26 मार्च को दिल्ली के जंतर मंतर सहित अन्य शहरों में सम्मेद शिखरजी को  “”जैन तीर्थ स्थल ” घोषित कराने हेतु देशव्यापी आंदोलन

 नई दिल्ली ! ( देवपुरी वंदना )
इतिहास साक्षी है कि श्री सम्मेद शिखरजी या पारसनाथ पर्वत भारत के झारखंड राज्य के गिरिडीह ज़िले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित एक पहाड़ी है जो विश्व का सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल  है। ‘श्री सम्मेद शिखरजी’  के इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों  ने मोक्ष की प्राप्ति किया यही सें 23 वें तीर्थकर श्री 1008 पार्श्वनाथजी ने भी निर्वाण प्राप्त किया था सर्व विदित ही है कि 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों ने यहां पर मोक्ष प्राप्त किया था। 1,350 मीटर (4,430 फ़ुट) ऊँचा यह पहाड़ झारखंड प्रदेश  का सबसे ऊंचा  जैन समाज का पवित्र स्थान ही है।
मगर हमारी उदासीन या अनदेखी करने की कारण आज स्थानीय शासन- प्रशासन द्वारा हमारी कमजोरी या अहिंसा वादी परंपरा संस्कृति संस्कृति को देखते हुए अपनी मनमर्जी से तीर्थ क्षेत्र का कायाकल्प के नाम पर  अशोभनीय हमारी परंपरा की विरुद्ध कार्य कर रही है जिससे वह वहां पर अपना आधिपत्य जमा सके।
जिस प्रकार गुजरात प्रांत के जैन तीर्थ श्री गिरनार जी पर धर्म के नाम से अपना कब्जा जमा रखा है उसी को ध्यान में रखते हुए । 20 जैन तीर्थँकरों की मोक्ष स्थली श्री सम्मेद शिखर जी “पारसनाथ” पर्वतराज को ‘पारसनाथ हिल’ लिखकर इसे ‘वन्य जीव अभ्यारण’ का मात्र एक भाग घोषित कर इसका अस्तित्व व प्राचीनता को नष्ट करने के प्रयास और पारसनाथ हिल व मधुवन में गैर धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इन्हे ‘इको सेंसिटिव जोन’ के अंतर्गत घोषित कर पर्यटन, पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा देने वाले झारखण्ड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा जारी  2 अगस्त 2019 के नोटिफिकेशन के विरोध में और सम्पूर्ण पर्वत को जैन समाज का पवित्र “जैन तीर्थस्थल” घोषित कराने हेतु भगवान श्री 1008 आदिनाथजी के जन्म कल्याणक दिवस आगामी शनिवार  26 मार्च को प्रात: 11 बजे से देशव्यापी आंदोलन जंतर- मंतर, दिल्ली व अन्य शहरों में किया जा रहा है।देश के  विभिन्न सभी प्रदेशों मे निवास सभी श्रावक श्रेष्ठी  जनों से विश्व जैन संगठन के साथ सभी तीर्थ क्षेत्र सुरक्षा संघ संगठन आप सबसे आव्हान करते हैं कि आप सभी अपने-अपने निवास  स्थल शहरों , कस्बो एव गावों में भी सम्मेद शिखरजी को शासन प्रशासन द्वारा सिर्फ “जैन  तीर्थ‌ “” घोषित करवाते हुए उसकी सुरक्षा मैं सहयोग कर ते हुए जैनत्व की संस्कार – संस्कृति को सुरक्षित कराए  विस्तृत जानकारी के लिए आप संपर्क करें ।

विश्व जैन संगठन  मो.: 9312278313

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

You might also like