राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के आज तक 16 चेयरमैन बने है। एक बार भी चैयरमेन पद जैन बंधु को क्यों नहीं मिला ..?

कर्नाटक ! (देवपुरी वंदना )
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के गठन का निर्णय 12/01/ 1978 में गृह मंत्रालय के रेसोलुशन द्वारा हुआ था।. तब से मतलब 1978 से 07/03/2022 तक 40 साल में कुल 16 अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन बने है। दुर्भाग्यवश आज तक राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष पद जैन समाज के किसी भी व्यक्ति को नहीं मिला है। 16 राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्षों में से 14 अध्यक्ष सिर्फ मुस्लिम धर्मानुयायी बने है। रिक्त 02 बार अध्यक्ष स्थान सिख धर्म को मिला है।
अल्पसंख्यक आयोग का उद्देश्य अल्पसंख्यक धर्मो का विकास और संरक्षण है। अगर किसी भी अल्पसंख्यक समाज के ऊपर किसी भी प्रकार का अन्याय या अत्याचार होता है तो उसका दखल अल्पसंख्यक आयोग लेती है। सरकार को जरुरी करवाई के लिए किसी न्यायालय की तरह आदेश दे सकती है। इस आयोग का भरपूर फायदा दूसरे अल्पसंख्यकों को हुआ है। परन्तु जैन समाज को अध्यक्ष पद ना मिलने के कारण जैन धर्म को बहुत नुकसान हुआ है। *जैन समाज आपस में ही अहम ,पद व पूजा – पद्धति संतवाद -पंथवाद में ही उलझता रहा 40 साल के अल्पसंख्यक आयोग के कार्यकाल में जैन समाज ने हजारो मंदिर खो दिए है, हजारो जैन मंदिरों पर अतिक्रमण हुआ है! सच कहे तो 90 % प्राचीन मंदिरो पर अतिक्रमण हुआ है!
अल्पसंख्यक आयोग के कार्यकाल में जैन समाज के कम से कम Rs. 10000 करोड़ (दस हज़ार करोड़ ) डूब गए है।* इसका मतलब हैं कि केंद्र अल्पसंख्यक मंत्रालय और राज्य सरकार के अल्पसख्यक मंत्रालयों से 40 साल में Rs.2 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा पैसा अल्पसंख्यक धर्मो के विकास के लिए मिला है। परन्तु जैन समाज को इस का 01 % भी नहीं मिला है।
बात सिर्फ पैसो की नहीं है!
जैन धर्म पे अनगिनत समाज – सांस्कृतिक अतिक्रमण हुए है। जैन धर्म को व्यवस्थित ढंग से कमजोर किया गया है। जैन समाज की गरीबी बड़ी है, जैनो में बेरोजगारी बड़ी है! जैन समाज एक अलग ही प्रकार के अत्याचार का शिकार हुआ है। हज़ारो गरीब जैन परिवारों का मज़बूरी में धर्मान्तरण हुआ है। हज़ारो लड़कियों के ऊपर अत्याचार हुए है। सैकड़ो साधुओ का क़त्ल हुआ है। आज भी साधूओ को विहार में तकलीफों का सामाना करना पड़ रहा है।
जैनियों अब तो जागो और अपना स्वाभिमान को जगाओ! सरकार के ऊपर दबाव बनाओ! राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष पद जैन समाज के संरक्षण और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है!

जागो जैन जागो!
आज तक के 16 अल्पसंख्यक आयोग के नाम और उनका कार्यकाल.

1- 1978-1981 : M.R. Masani (24.2.1978 – 31.5.1978)

2- M.R.A. Ansari (28.7.1978 – 23.2.1981)

3- 1981-1984 : M.H. Beg

4- 1984-1987 : M.H. Beg

5-1987-1990 : M.H. Beg (till 31.3.88) and S.M.H. Burney (since 1.4.88)

6- 1990-1993 : S.M.H. Burney

7- 1993-96 : Mohd. Sardar Ali Khan1996-1999 : Professor Dr. Tahir Mahmood

8- 2000-2003 : Justice Mohd. Shamim

9- 2003-2006 : Sardar Tarlochan Singh

10-2006-2009 : Mohammad Hamid Ansari

11- 2011-2014 : Wajahat Habibullah

12-2014-2017 : Naseem Ahmad

13- Syed Ghayorul Hasan Rizvi

14- Iqbal Singh Lalpura

सकल जैन समाज के संघ, संगठन ,परिषद ,समितियां, ग्रुप्स ,मंडल के साथ – साथ श्रमण संघ इस विषय की गंभीरता को समझे और राष्ट्रीय स्तर के जैन संस्थाओं को इस बारे में सोचने के लिए आदेश दे। पूरा जैन समाज मिलकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद के लिए सरकार को समाज के अच्छे व्यक्ति का नाम भेजना चाहिए।
महेश जैन
कर्नाटक

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