इंदौर दिगंबर जैन समाज एकजुट रहे और एक अध्यक्ष के अधीन ही अपने उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु कार्य करें
इंदौर ! (देवपुरी वंदना) किसी भी संस्था का अध्यक्ष संस्था का दिशा-निर्देशक होता है विश्व में संस्थाओं के प्रमुख इसीलिए बनाए जाते हैं कि शासन और प्रशासन में काम करने वाले, अधिकारी और पदाधिकारियों को संस्था के उद्देश्यों,दायित्वों एवं कर्तव्यों में एकरूपता के साथ जोड़ा जा सके अध्यक्ष अथवा संस्था प्रमुख एक सचेतक की तरह होता है जो समय समय पर अपनी टीम को संस्था के उद्देश्यों के लिए दिशा निर्देशित करता है।
आप कल्पना कर सकते हैं एक वाहन जिसमें दो स्टेरिंग, दो ब्रेक, दो एक्सीलेटर लगे हो वह किस दिशा में जाएगा?
भारत सरकार में दो प्रधानमंत्री, दो राष्ट्रपति, और दो विपक्ष के नेता बना दिए जाएं तो विश्व स्तर पर भारत की कैसी छवि प्रस्तुत होगी? दुख की बात है कि आज इंदौर में ऐसा ही हो रहा है। जैन दर्शन में गुणों की प्रधानता को माना गया है पदों की नहीं इसीलिए जैन धर्म के महामंत्र णमोकार मंत्र में पदों को नमस्कार किया गया है व्यक्तियों को नहीं । राजनीति में गुणों की जगह गणों को महत्व दिया जाता है और गण अपनी स्वार्थ पूर्ति हेतु साम, दाम, दंड, भेद से पद पाना चाहते हैं। मेरा व्यक्तिगत रुप से मानना है कि जैन समाज का झंडा उठा कर आगे चलने वालों को को जैन दर्शन की मान्य परंपराओं का पालन करना चाहिए अथवा ऐसा करते दिखना चाहिए तथा जैन दर्शन के सिद्धांत सत्य, त्याग,अहिंसा, संयम,अपरिग्रह और अनेकांतवाद को व्यक्तिगत स्वार्थ से परे, प्राथमिकता देनी चाहिए,
इंदौर जैन समाज में भी वर्तमान में इसी तरह की स्थिति बनी हुई है विवाद का केंद्र बिंदु, मुझे जैसा याद है, निम्न रहा है।
तत्कालीन अध्यक्ष, समाज रत्न स्वर्गीय श्री प्रदीप सिंह कासलीवाल ने दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के चुनाव अपने कार्यकाल की समाप्ति पर घोषित किए थे, चुनाव अधिकारी भी निर्धारित कर दिए थे परंतु विधि अनुकूल परिस्थितियोंवश पुनः नए चुनाव अधिकारी की घोषणा करते हुए चुनावों की तारीख समाज को दी गई।
सामाजिक संसद के विधान अनुसार श्री प्रदीप जी अध्यक्ष के रूप में दो कार्यकाल पूर्ण कर चुके थे अतः वह शांति एवं सौजन्यता पूर्वक अपना उत्तराधिकारी समाज को देना चाह रहे थे एक कार्यक्रम की मीटिंग के दौरान समाज के गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे जिसमें सभी ने एकमत से संविधान संशोधन करने एवं श्री प्रदीप जी को पुनः अध्यक्ष चुने जाने पर जोर दिया था मुझे प्रसन्नता है कि मैं और प्रदीप बड़जात्या जी भी इस मीटिंग का हिस्सा थे, श्री प्रदीप जी ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया था और कहा था कि जो सामाजिक संसद के विधान में निश्चित है उसमें किसी तरह का कोई संशोधन नहीं किया जाएगा अब समाज को नया अध्यक्ष और नया नेतृत्व मिलना ही चाहिए।
निर्धारित तिथि पर बास्केटबॉल कांपलेक्स में सामाजिक संसद के चुनाव करवाए गए जिसकी विधिवत सूचना व्यक्तिगत रूप से, मंदिरों के माध्यम से एवं अखबारों के द्वारा सभी समाज जन को दी गई।
चुनाव मतपत्र में दोनों प्रतिनिधियों का नाम लिखा गया एवं मतदान करवाया गया।
विरोधी गुट द्वारा भी मतदान कराने की प्रक्रिया पूर्ण की गई, ऐसा बताया जाता है कि उस मतदान प्रक्रिया में दोनों प्रतिद्वंदी के नाम शामिल नहीं किए गए अर्थात श्री राजकुमार पाटोदी का नाम मतपत्र में नहीं था, ऐसा माना गया कि अध्यक्ष का चुनाव पहले ही हो चुका था, मतदान की प्रक्रिया एक छलावा मात्र था।
परिणाम स्वरूप इंदौर की प्रतिष्ठित एवं प्रगतिशील समाज के दो अध्यक्ष बन गए अतः समाज के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किसी आयोजन करने के प्रकरण और चुनावों की वैधता सिद्ध करने के लिए मामला न्यायालय एवं प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत किया गया एवं सभी जानकारियां न्यायालय एवं प्रशासन को विधिवत रूप से उपलब्ध कराई गई।
जैन समाज के विधान अनुसार चुनाव कराने एवं पूर्ण प्रक्रियाओं का पालन करने के मद्देनजर, श्री राजकुमार पाटोदी जी को न्यायालय एवं प्रशासन द्वारा भी जैन समाज का सर्वमान्य अध्यक्ष घोषित करते हुए उस आयोजन करने की अनुमति प्रदान की गई।
इस बार भी समाज द्वारा पुनः श्री राजकुमार पाटोदी को वर्ष 2022 से 2025 तक का अध्यक्ष निर्विवाद रूप से चुना गया है।
अन्य गुट इस चुनाव को पूर्व की भांति ही चुनौती देने के लिए तैयार है और अपने अपने माध्यमों से इसके लिए प्रयास कर रहा है। भगवान
महावीर जन्म कल्याणक के पावन अवसर पर महावीर के सिद्धांतों में से एक अनेकांतवाद को ही हम ध्यान में रखें तो इस विवाद का हल दिखाई देता है।
समाज के दोनों पक्ष समाज हित में कार्य करना चाहते हैं यह सर्वमान्य सत्य है। इसलिए बड़ा हृदय रखकर सभी को समाज हित में फैसले लेने होंगे। इंदौर दिगंबर जैन
सामाजिक संसद के विधान अनुसार आदरणीय श्री राजकुमार पाटोदी जी वर्ष 2025 तक दो कार्यकाल पूरे कर चुके होंगे अतः निश्चित है कि वह पुनः अपनी दावेदारी प्रस्तुत नहीं कर सकेंगे।
अब इनके अंतिम अध्यक्षीय कार्यकाल के लिए सभी गुट, भारत की अंतरराष्ट्रीय नीति की तरह, निर्गुटता का पालन करें और इन्हीं के मार्गदर्शन में कार्य करने को संकल्पित हो।
अतः सभी गुटों को समाज हित में वर्तमान अध्यक्ष को ही समाज का अध्यक्ष मानकर चलना होगा और एकता दिखा कर समाज के समग्र विकास के लिए सबका साथ सबका विकास की धारणा पर ध्यान देना होगा।
जैनागमजिन नीतिगत मुद्दों पर विरोधी गुट असहमत है वह भी संविधान में संशोधन करते हुए दूर करने चाहिए जिससे आगे ऐसी स्थिति पैदा ना हो
आज तात्कालिक परिस्थितियां एकजुट होने की हैं हम देश में अल्पसंख्यक हैं हमारी संपन्नता अहिंसा, त्याग, संयम, अपरिग्रह के चर्चे संपूर्ण विश्व में होते हैं अतः हमें नाम पद, अहम , वर्चस्व व महत्वकांक्षा ,कि हठधर्मिता छोड़कर इस पर विचार करें अन्यथा हमारे मंदिर, धर्मशालाएं, संत सदन और अन्य समाज उपयोगी संस्थान खतरे में पड़ जाएंगे। इस का प्रत्यक्ष उदाहरण इंदौर का तीर्थ क्षेत्र गोम्मटगिरी है
इंदौर हमेशा से ही संपूर्ण देश को और विश्व को नवीनता का संदेश देता रहा है आपको याद होगा निजी टेलीकम्युनिकेशन में सर्वप्रथम इंदौर को ही चुना गया था स्वच्छता, शैक्षणिक जागरूकता, औद्योगिक क्रांति, व्यवसायिक चेतना, चिकित्सा उपलब्धियां आदि आदि…. यहीं से शुरू होती हैं और संपूर्ण देश इनका अनुकरण करता है।
आइए संपूर्ण देश की जैन समाज को एक संदेश दें कि इंदौर दिगंबर जैन समाज समग्र रूप से अब ग्रंथवाद,पंथवाद,संतवाद से ध्यान हटाकर, सर्वप्रथम समाज हित में कार्य करेंगी और सभी वरिष्ठ, योग्य समाजसेवी श्री राजकुमार जी के नेतृत्व में समाज के लिए अच्छे शैक्षणिक संस्थान, हॉस्पिटल, कोचिंग इंस्टीट्यूट, पैथोलॉजी समाज के गरीब वर्ग के लिए घर, व रोजगार के साधन उपलब्ध कराएंगे जिससे हमारा समाज सक्षम हो सके और जैन समाज की पताका संपूर्ण विश्व में आन- बान- शान से लहराती रहे।
हम सब महावीर जन्म कल्याणक के पावन अवसर पर नगरहित,राज्य हित, राष्ट्रीय और विश्व हित में काम करे और एक श्रेष्ठ उदाहरण सभी को प्रस्तुत करें।
संजीव जैन “संजीवनी ”
9826064407