इंदौर की घटना के बाद संपूर्ण समाज को ऐसी घटना की पुनरावृति ना हो इसलिए सावधान भी किया मगर सोए जैन समाज का अब क्या ??
इंदौर ! ( देवपुरी वंदना )
सभी जानते हैं की अभी-अभी चातुर्मास काल के समय इंदौर में ऐसी अशोभनीय हृदय- विदारक आश्चर्यचकित घटना घटी थी जिसमें श्रमण संस्कृति की पहचान विमद सागर जी ने एक आम नागरिक की सोच से भी हटकर समाज , धर्म व स्वयं के पद की गरिमा को ताक में रखते हुए आत्महत्या जैसा कदम उठाकर उनके स्वयं के पद व श्रमण संस्कृति को एक बद नूमा अमिट स्याही से लिखकर इस संसार से विदा ले ली मगर इसका हर्ष क्या हुआ कुछ नहीं रात गई बात गई सभी सब कुछ भूल कर अपनी – अपनी जीवन शैली में पुनः लौट आए इस घटना के बाद पुनः ऐसी घटना ना घटे इसलिए संपूर्ण समाज को सचेत व सावधान भी किया मगर समाज के कुछ जिम्मेदार चौधरीयो ने अपने नाम पद पर उंगली न उठे या सवाल जवाब के डर से घटना को समाज की बदनामी का वास्ता देते हुए सत्यता से पर्दा न उठाने के लिए अनेकों अनैतिक आजमाइश की जिसमें वह सफल रहे क्योंकि समाज में महत्वकांक्षी अवसरवादी श्रावको का ही चलन ज्यादा है ।
अभी-अभी विगत कुछ दिनों पूर्व ही राजस्थान प्रांत स्थित अजमेर शहर में अनुभव सागर
के साथ पुनः घटना घटी अब इसके लिए कौन जिम्मेदार है श्रमण संस्कृति या जैन समाज क्योंकि अजमेर का स्थानीय जैन समाज स्वयं दो भागों में बटासा नजर आ रहा है । समाज में चल रहे पंथवाद ,संतवाद अब समाज को और क्या क्या दिखाएगा या अब समाज में ऐसी घटनाएं घटना आम बात हो जाएगी क्या अब हर दिन या सामाजिक धार्मिक आयोजनों से पूर्व ऐसी घटनाओं से स्थानीय समाचार पत्रों की सुर्ख़ियों में जैन समाज आता रहेगा । इस अशोभनीय विषय वस्तु पर समाज का नेतृत्व क्या अभी भी मौन रहेगा या नजरअंदाज कर पुनः ऐसी घटना के लिए तैयार रहेगा । देवपुरी वंदना समाचार पत्र पुनः अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए समाज व श्रमण संस्कृति से निवेदन करता है कि थोड़ा खुली आंखों से देखते हुऐ कुछ निर्णययात्मक ठोस कदम उठाते हुए समाज की गिरती साख को बचाने का प्रयास करें।