कौन बनेगा कुंडलपुर तीर्थ क्षेत्र का अध्यक्ष…?
कुंडलपुर ! ( देवपुरी वंदना )
क्या कुंडलपुर जैसे से तीर्थ क्षेत्र में भी आगामी 14 जून को श्वेत पोश समाजसेवी के बीच अपनी लालसा या महत्वकांक्षा के बीच पद का मुकाबला अपनी – अपनी शक्ति प्रदर्शन के साथ होगा या आपसी सहमति से पदों का बंटवारा हो जाएगा ।
कहां जाता है कि समाज हित के सभी विषयों में आचार्य श्री की सहमति होती है ।
विगत दिनों कुंडलपुर ट्रस्ट के अध्यक्ष के चुनाव हेतु एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें पूर्व अध्यक्ष व नये बनने वाले अध्यक्ष के बीच काफी आपसी मतभेद चलते रहे 5 से 6 घंटे चली बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई अंत में बैठक को समाप्त कर दिया गया व आचार्य श्री के पास जाकर आशीर्वाद लेने का कह कर बात को आगे बढ़ा दिया । अध्यक्ष पद के लिए पूर्व अध्यक्ष संतोष सिंघई वीरेश सेठ और चंद्र कुमार शराफ अपनी अपनी समाज सेवा की जिम्मेदारी लिए चुनाव के मैदान में उतरे हैं अब देखना या है कि त्रिकोणीय मुकाबले में शक्ति प्रदर्शन के साथ किसे अध्यक्ष पद की कुर्सी मिलती है ।
पद की चाह रखने वाले समाजसेवीयो ने अपनी अपनी बात रखी क्षेत्र के सुरक्षा विकास की बात कही मगर आप सी मतभेद जो कि अब मन भेद मैं बदल रहा हे उसके चलते किसी ने भी अन्य श्रावको या कुंडलपुर और आचार्य श्री के प्रति अपनी श्रद्धा भाव रखने वाले जनमानस के मन की बातों पर ध्यान नहीं दिया बस अपनी ही कहते रहे इन सबके बीच मत भेद बढ़ते रहे वहां उपस्थित तीनो अध्यक्ष पद की चाह रखने वाले सेठों के बीच 8/10 अन्य साथी भी हे जो अध्यक्ष बनना चाहते हैं जिन्होंने आवेदन फार्म खरीदा हे । अब देखना यह है कि बुंदेलखंड के प्रसिद्ध क्षेत्र जोकि आचार्य श्री के नाम से पहचाना जाता है । प्रायः देखा गया है कि विगत दिनों हुए कुंडलपुर पंच कल्याणक महामहोत्सव में भी आपसी मतभेद के चलते अच्छे खासे विवाद हो गए थे जिस पर आचार्य श्री के नाम का पर्दा डाल दिया गया मगर लालसा को समाप्त करने का विचार भी नहीं किया उसका नतीजा आप सभी के समक्ष आज प्रत्यक्ष रुप से दिख रहा है । समाज में चौथा स्तंभ कहे जाने की अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पूर्व की भांति पुनःसजग सचेत व जागरुक करते हुए निवेदन हे कि अपनी- अपनी महत्वकांक्षा पद की चाह में समाज को किस दशा व दिशा मे ले जा रहे हो थोड़ा चिंतन मनन जरूर करें। और आचार्य श्री के नाम से अपने नाम पद के पंखों के उड़ान पर अंकुश जरुर लगाएं ।