देश के डूबते कर्ज के लिए बनाए बेड बैंक ने अपना खाता खोला

नईदिल्ली (ब्यूरो)। केन्द्र सरकार द्वारा बैंकों की दशा सुधारने और दिए गए कर्ज की वसूली नहीं हो पाने के बाद बनाए गए बेड बैंक ने अपने पहले डूबत ऋण की वसूली को लेकर बैंकों को दिए गए प्रस्ताव से बैंकें भी आश्चर्यचकित है। रेनबो पेपर पर बैंकों के 1100 करोड़ की वसूली होना थी वसूली न हो पाने के कारण यह प्रकरण बेड बैंक को सौंपा गया था। बेड बैंक ने इसमें केवल 80 करोड़ ही वसूलने की बात कही। यानि एक हजार करोड़ रुपया बैंकों का डूबना तय है।


सरकार द्वारा बैंकिंग सुधार और उद्योगों को दिए गए ऋण से बैंकों के खातों को साफ करने के लिए बेड बैंक का निर्माण किया गया था। कहा गया था कि इससे बैंकों की बैलेंसशीट सुधर जाएगी और उन्हें वसूल नहीं हो पाने वाले कर्ज से मुक्ति मिल जाएगी। अब यह कार्य बैंकों के लिए बेड बैंक करेगा। बेड बैंक को बैंकों द्वारा दिया गया पहला प्रकरण रेनबो पेपर का था। इस पर 1100 करोड़ रुपया बकाया था। बेड बैंक ने बैंकों को 80 से 85 करोड़ वापसी का कहा है। यानि 1 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बैंकों के डूबत में ही रहेंगे। उल्लेखनीय है कि उद्योगों को और कार्पोरेट घरानों को दिए गए 6 लाख करोड़ से ज्यादा के कर्ज बैंकों के उलझे हुए है। इनकी वसूली बेड बैंक के माध्यम से होनी है। आंकड़ा बता रहा है कि 6 लाख करोड़ के कर्ज में से 600 करोड़ ही वापस आ पाएंगे। जबकि विश्व के अन्य देशों में बेड बैंकों ने बेहतरीन वसूली करके दी जिसमें स्वीडन में 87 प्रतिशत, मलेशिया में 58, कोरिया में 60, थाईलैंड में 40, इंडोनेशिया में 23 प्रतिशत डूबत पैसा बेड बैंक ने वसूल करके दिया था। भारत में यह प्रयोग अब फेल होता दिख रहा है।

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