19 अगस्त को अखिल भारतीय जैन ज्योतिषाचार्य परिषद का द्वितीय स्थापना दिवस जयपुर में

नई दिल्ली ! जैन ज्योतिष शास्त्र के द्वारा मनुष्य आकाशीय-चमत्कारों से परिचित होता है। फलतः वह जनसाधारण को सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्र-सूर्य ग्रहण, ग्रहों की स्थिति, ग्रहों की युति, ग्रह युद्ध, चन्द्र श्रृगान्नति, ऋतु परिवर्तन, अयन एवं मौसम के बारे में सही-सही व महत्वपूर्ण जानकारी रख सकता है। इसलिए ज्योतिष विद्या का बड़ा महत्व है इसी को ध्यान में रखते हुए आगामी शुक्रवार ‌दिनांक 19 अगस्त 2022 को प्रातः 8:00 बजे से नारायण सर्किल भट्टारक जी की नसिया जयपुर में विराजित आचार्य श्री 108 सुनील सागर जी महाराज (ससंघ) के पावन सानिध्य में अखिल भारतीय जैन ज्योतिषाचार्य परिषद (पंजी.) का द्वितीय स्थापना दिवस मनाया जाएगा।
इस आयोजन में देश के विभिन्न क्षेत्रों में निवासरत प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य व वास्तुविद शामिल होंगे।
जैन ज्योतिष की उपयोगिता के ऊपर विशेषज्ञ अपनी राय रखेंगे तथा ज्योतिष को लेकर उपस्थित जनसमूह की जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे।
परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष
रवि जैन गुरुजी, दिल्ली मोबाइल नंबर 8826755078
ज्योतिषी विनोद जैन जयपुर मोबाइल नंबर
9828076193
ज्योतिषी डॉ शालू जैन, जयपुर
मोबाइल नंबर 9690922800
ने जानकारी देते हुए
बताया कि दिल्ली, जयपुर, इंदौर, भोपाल, मुंबई, ग्वालियर, उज्जैन, नीमच, अहमदाबाद, जबलपुर, बेंगलुरु, मेरठ, रायपुर, किशनगढ़, बड़ौत, निवाड़ी, कोल्हापुर, सोलापुर, उदयपुर, छतरपुर,गुरुग्राम, मेरठ, झांसी, जींद, पटना, गाजियाबाद, मुरैना, दमोह, मुरादाबाद, पुणे, फरुखनगर, आदि शहरों से ज्योतिषाचार्य पहुंचेंगे।
चातुर्मास सेवा समिति के देव प्रकाश खंडाका ,रूपेंद्र छाबड़ा, राजेश गंगवाल, राजीव जैन ,मुकेश जैन, ओम प्रकाश काला , व रमेश कुमार गंगवाल सहित समस्त कार्यकारिणी ने सभी से निवेदन किया है कि आप अपनी कंप्यूटर से बनी कुंडली लेकर आए ।
ज्योतिष-विज्ञान वह विज्ञान है जो मनुष्य को उसके कार्यक्षेत्र से परिचित कराता है और जिस तरह रोग-निवारण में औषधि का प्रयोग सहायक सिद्ध होता है। उसी प्रकार इस विज्ञान में जीवन की बाधाओं के प्रति मानव को सचेत करते हुए उसके समुचित निवारण को निर्दिष्ट करने की अद्‍भुत क्षमता है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए तो ज्योतिष विज्ञान एक अमूल्य वरदान है। उसके आधार पर वर्षा, भूकम्प, बाढ़ और तूफान जैसे प्राकृतिक क्रियाकलापों से अवगत होकर संभावित प्रकोपों के प्रति पहले से सावधान हुआ जा सकता है।
ज्योतिष के माध्यम से प्राप्त जानकारी विश्वसनीय सिद्ध होती रही है। शिक्षा के क्षेत्र में भी ज्योतिष विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। यह विज्ञान अपना अध्ययन क्षेत्र चुनने में विद्यार्थियों का पथ प्रदर्शन करने में भी पूरी तरह समर्थ है। उद्योग के क्षेत्र में भी इस विज्ञान के माध्यम से बहुत सहायता प्राप्त की जा सकती है।
इसी प्रकार चिकित्सा और मनोविज्ञान की विधाओं में भी ज्योतिष-शास्त्र बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक जहाँ मात्र बाह्य निरीक्षणों के आधार पर रोग का निर्धारण करते हैं वहीं ज्योतिष विज्ञान जन्मकालीन ग्रह और नक्षत्रों की स्थितियों के आधार पर आंतरिक वास्तविकता का ज्ञान कराने में समर्थ है। राजनीति के क्षेत्र में भी ज्योतिष विज्ञान का विशेष महत्व है।
इस तरह कहा जा सकता है कि आज के युग में भी ज्योतिष विज्ञान मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वरदान सिद्ध होने की असाधारण क्षमता रखता है। ज्योतिष विज्ञान वस्तु का स्वरूप तो सहज ही बता सकता है, लेकिन उसमें किसी तरह का परिवर्तन लाना उसके लिए संभव नहीं है। हाँ, वह किसी आदमी को उसके व्यक्तित्व की कमियों और खूबियों का अहसास कराते हुए तदनुसार अपना विकास करने के लिए उसे अवश्य प्रेरित कर सकता है।

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