वात्सल्य ,वारिधि, राष्ट्र गौरव आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी के सानिध्य में दसलक्षण पर्व मनाएं …
राजस्थान!( देवपुरी वंदना )
दया ,प्रेम ,करुणा, अहिंसा के प्रणेता हमारे आराध्य श्री 1008 श्री महावीर जी का दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र (मन्दिर) है जो राजस्थान के श्री महावीर जी नामक स्थान पर ठस्थित है। यह मंदिर संपूर्ण भारत में जैन धर्म के पवित्र स्थानों में से एक है। इसको ‘टीले वाले बाबा’ के रूप में भी जाना जाता है। गंभीर नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में 24वें तीर्थंकर श्री वर्धमान महावीरजी की मूर्ति विराजित है। आमतौर पर भारत में एक शिखर वाले मंदिर बहुतायत में हैं, लेकिन यहां स्थित तीन शिखर वाले मंदिर की बात ही कुछ और है। इस मंदिर में देश-विदेश से जैन धर्मानुयायियों के अलावा पूरे राजस्थान से गुर्जर और मीणा समुदाय के लोग भी आते हैं। यही वजह है कि हर साल महावीर जयंती के मौके पर यहां लगने वाले मेले में जैनियों के अलावा दूसरे संप्रदायों के लोग भी काफ़ी संख्या में आते हैं। इस मेले को राजस्थान पर्यटन विभाग प्रदेश के महत्त्वपूर्ण आयोजनों में से एक मानता है।
पर्यूषण जैन धर्म का मुख्य पर्व है। जैन धर्म में 10 दिन तक मनाया जाता है। जिन्हें प्रचलित भाषा में दसलक्षण पर्व के नाम से भी संबोधित किया जाता है। जैन धर्म के दस लक्षण निम्न प्रकार हैं:
१) उत्तम क्षमा, २) उत्तम मार्दव, ३) उत्तम आर्जव, ४) उत्तम शौच, ५) उत्तम सत्य, ६) उत्तम संयम, ७) उत्तम तप,८) उत्तम त्याग, ९) उत्तम अकिंचन्य, १०) उत्तमब्रहमचर्य
पर्यूषण पर्व का मूल उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करके आवश्यक विधाओं पर ध्यान केंद्रित करना, पर्यावरण का शोधन करना तथा संत और विद्वानों की वाणी का अनुसरण करना है।
परम पूज्य वात्सल्य वारिधि, राष्ट्रगौरव आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज भारत की धरा पर एक ऐसे सूर्य के रूप में सम्पूर्ण देश में प्रकाश फैला रहे हैं जैसे चतुर्थ काल के समय अत्यंत कठिनाई पूर्वक संयम धारण कर हजारों की संख्या में मुनिवर अन्धकार दूर करने हेतु अपना प्रकाश फैलाया करते करते थे. उस समय ऐसे साधुओं की संख्या कभी हजारों में और कभी सैंकड़ों में हुआ करती थी किन्तु काल दोष का प्रभाव कहें कि वर्तमान में ऐसी चर्या का पालन करने वाले गिने चुने मुनिसंघ ही विद्यमान हैं जिनमें आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ससंघ भारत में शिखर चोटी पर है. जैन मुनि में 28 मूलगुण आवश्यक माने गए हैं, आत्मकल्याण ही इनका लक्ष्य होता है, जिस कारण सदैव आत्मा में विचरण इनका मूल स्वभाव रहता है .
पर्वराज पर्यूषण महापर्व 31 अगस्त बुधवार से 9 सितम्बर शुक्रवार 2022तक
आइये भगवान महावीर स्वामी की चाँदनपुर वाले बाबा की पावन नगरी में वात्सल्य वारिधि पंचम पट्टाचार्य परम् पूज्य आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर महाराज के ससंघ पावन सानिध्य में प्रभु आराधना एवं गुरु वन्दना का सौभाग्य प्राप्त कर पुण्य वर्गणाओं को प्राप्त कर अपना जीवन धन्य करें।
प्रतिष्ठाचार्य-पं०मुकेश जैन “मधुर”शास्त्री साहित्याचार्य श्री महावीर जी
भव्य आयोजन स्थल-वर्धमान सभागार श्री महावीर जी
प्रतिदिन प्रातः 9:00बजे से परम पूज्य वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज द्वारा मंगल आशीर्वचन पूजन विधान में सम्मिलित होने वाले सभी महानुभावों के शुद्ध भोजन व आवास की व्यवस्था उपलब्ध रहेगी।
यह सौभाग्य हमारे जीवन में नई जागृत व कल्याण का कारण है शीघ्रता से अपने श्री महावीर जी आने की सूचना देकर पुण्यशाली बनने का अवसर प्राप्त करें।
सम्पर्क सूत्र-
राजकुमार सेठी
9829098098
नरेश पाटनी-
9928925522
आचार्यश्री108 वर्धमान सागर चातुर्मास समिति-महोत्सव समिति-अंतर्गत प्रबन्धकारिणी कमेटी
दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी
पंडित मुकेश जैन शास्त्री,व जनसम्पर्क अधिकारी 9828280480
7230933030