बेहतर यातायात के लिए लोनिवि और एनएचएआई का अनुबंध
इंदौर। शहर के बढ़ते क्षेत्रफल, आबादी, वाहनों की संख्या का सीधा असर यातायात व्यवस्था पर पड़ रहा है। इससे कई बार प्रमुख मार्गों और चौराहों पर वाहन चालक गुत्थम गुत्था होते हैं। यातायात को सुगम बनाने लगातार नगर निगम, ट्रेफिक पुलिस, जिला प्रशासन और इंदौर विकास प्राधिकरण कर रहा है।
इन विभागों के प्रयास के बाद भी आने वाले 10-15 सालों में सड़क का ट्रेफिक दुरुस्त करना चुनौती पूर्ण रहेगा। इसे देखते हुए इंदौर के पांच स्थानों पर रोपवे बनाए जाएंगे। रोपवे निर्माण के लिए टैंडर बुला लिए गए हैं। रीगल चौराहा से राजबाड़ा जाने वालों को रोपवे से सुगम सफर मिल सकेगा। रोपवे निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग और एनएचएआई के बीच अनुबंध हो चुका है।
जानकारी के मुताबिक, इंदौर में पांच, भोपाल-सागर में 3-3, ग्वालियर-जबलपुर में 2-2, रतलाम, खंडवा, धार, छतरपुर एवं विदिशा में एक-एक फ्लाय ओवर भी प्रस्तावित हैं। इस संबंध में राष्ट्रीय राजमार्ग लाजिस्टिक मैनेजमेंट कंपनी और लोक निर्माण विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी है। एमपीआरडीसी ने इन रोपवे की डीपीआर तैयार कर ली गई है। लंबे समय से सड़क के यातायात को दुरुस्त करने की कवायद चल रही है। शासन ने इस समस्या से निजात दिलाने केबल कार की योजना पर भी विचार किया है। केबल कार को लेकर अभी धरातल पर कुछ भी नहीं है। लेकिन, इंदौर विकास प्राधिकरण ने अपने बजट में इस पर फोकस किया है। बजट में फ्लाई ओवर ब्रिज का काम शुरू कर दिया है। यह ब्रिज लवकुश, भंवरकुआ और खजराना में बनाए जाना है। इन ब्रिजों के टैंडर हो चुके हैं। शीघ्र ही वर्कआर्डर जारी होंगे।
इन ब्रिजों के निर्माण से काफी हद तक यातायात व्यवस्था में सुधार हो सकेगा। उधर, रीगल चौराहा पर यातायात का अन्य चौराहों की अपेक्षा अत्यधिक दबाव है। इस चौराहों से बड़े अधिकारी भी गुजरते हैं। एक मिनट में सैकड़ों छोटे-बड़े वाहनों की आवाजाही रहती है। पूर्व में चौराहे का यातायात सुधारने के लिए रोटरी छोटी करने की योजना बनाई थी। रोटरी को छोटी करने की योजना कागज पर सिमट कर रह गई। अब यहां से राजबाड़ा तक करीब एक किलोमीटर मार्ग पर लोक निर्माण विभाग और एनएचएआई रोपवे का निर्माण करेगा। रोपवे और केबल कार के शुरू होने सड़क का यातायात व्यवस्थित हो सकेगा। हालांकि, निगम भी मेट्रो ट्रेन को वर्ष 2023 तक चलाने पर तेजी से काम कर रहा है।