देहरादून के राजभवन में “प्रकृति व संस्कृति के संरक्षण में संतों का योगदान” विषय पर संगोष्ठी 8 को अतिथि श्री राज्यपाल उत्तराखंड

देहरादून ! ( देवपुरी बंदना ) भारत के अध्यात्म क्षितिज पर जैन धर्म, दर्शन एवं संस्कृति का विशेष प्रभाव है। लेकिन इस प्रभाव को विश्व क्षितिज पर पहुंचाने का अनूठा कार्य कुछेक मुनियों एवं आचार्यों ने किया है। समूची दुनिया में भारत की अहिंसा को विशेष महत्व मिला है, क्योंकि दुनिया अशांत है, हिंसा एवं आतंकवाद से त्रस्त है, आदमी कहीं भी सुरक्षित नहीं है। समाज की धरती पर मनुष्य ने जब-जब विषमता के बीज बोये, तब-तब हिंसा, आतंक और घृणा के विषफलों ने मानवता की कमनीय काया को विद्रूप बनाया, विकृत किया और निष्प्राण किया है। मनुष्यता को इस महाविनाश से उभारने के लिए, उसे अहिंसा, प्रेम और सहअस्तित्व का प्रशिक्षण देने के लिए भारतीय संत परम्परा में संतों, ऋषियों, मनीषियों ने उल्लेखनीय उपक्रम किये हैं। इसी संत परम्परा में आचार्य डॉ. लोकेशमुनिजी का एक विशिष्ट स्थान है। भगवान महावीर के सिद्धांतों को जीवन दर्शन की भूमिका पर जीने वाले इस संत चेतना ने संपूर्ण मानवजाति के कल्याण और जीवन-निर्माण में स्वयं को समर्पित कर समय, शक्ति, श्रम और सोच को एक सार्थक पहचान दी है। वे शांतिदूत हैं, प्रखर प्रवक्ता हैं, समाज सुधारक हैं, विचारक हैं, मनीषी हैं और धर्म के प्रवर्तक हैं। आपके निबंध कर्तृत्व ने राष्ट्रीय एकता, सद्भावना एवं परोपकार की दिशा में संपूर्ण राष्ट्र को सही दिशाबोध दिया है। वे पुरूषार्थ की महागाथा हैं, कीर्तिमानों का कीर्तिमान हैं।अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के संस्थापक आचार्य डॉक्टर लोकेश मुनि जी के 40 वें दीक्षा दिवस पर आगामी शनिवार 8 अक्टूबर 2022 को प्रातः 10:00 बजे देहरादून के राजभवन उत्तराखंड मैं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन रखा है ।जिसमें मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह जी माननीय राज्यपाल उत्तराखंड के मुख्य अतिथि में प्रकृति व संस्कृति के संरक्षण में संतों का योगदान विषय पर प्रकाश डालते हुए समाज राष्ट्र के लिए अत्यंत आवश्यक संगोष्ठी के रूप में चर्चा की जाएगी जिसमें योग ऋषि स्वामी रामदेव जी संस्थापक पतंजलि योगपीठ, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाश जी निरंजन पीठाधीश्वर, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी परमाध्यक्ष परमार्थ निकेतन, के आशीर्वचन के मध्य आचार्य डॉक्टर लोकेश मुनि जी‌ का 40 वा दीक्षा दिवस मनाया जाएगा । आयोजन में सुरक्षा की दृष्टि से एंट्री बाय ऑफिशल इन्विटेशन कार्ड के आधार पर होगी आयोजन समिति के अहिंसा विश्व भारती और विश्व शांति केंद्र के पदाधिकारियों ने संगोष्ठी में पधारने वाले अतिथियों से समय से 30 मिनट पूर्व आयोजन स्थल पर पधार कर अपनी सुविधा अनुरूप स्थान ग्रहण करने का आह्वान किया है ।
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