छावनी दिगंबर जैन मंदिर में हुई खंडित मूर्ति 31 दिनों में पुनः वास्तविक रूप में
इंदौर ! (देवपुरी वंदना ) विश्व के पटल में विख्यात जैन समाज का हृदय स्थल इंदौर शहर स्थित संयोगितागंज दिगंबर जैन समाज का पंचायती मंदिर इन्दौर मे श्रावक की लापरवाही या निमित्त मात्र से भगवान श्री 1008 पार्श्वनाथ की प्राचीन मूर्ति खण्डित हो गयी थी जिससे इंदौर शहर का
पूरा जैन समाज अवसाद मे आ गया वहीं शहर के दूसरे छोर पर आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी के शिष्य, मुनि श्री 108 श्री आदित्यसागरजी ससंघ चातुर्मास हेतु विराजमान है। समाज के श्रावक – श्राविकाओ जब उक्त घटना का मुनि श्री से जिक्र किया तब मुनि श्री के मार्गदर्शन मे मूर्ति को 31 दिन घी शक्कर मे रखा गया एवं सतत अनुष्ठान किया गया, विजयादशमी बुधवार को मुनिश्री ने धार्मिक क्रियाओं के साथ मूर्ति को घी शक्कर से बाहर निकाला तो भगवान श्री पार्श्वनाथ की प्रतिमा पूर्व रूप मे होकर खण्डित दोष समाप्त हो गया, इस सूचना से समाज मे हर्षोल्लास छा गया भक्त श्रावक – श्राविका खुशी से झूम उठे और नृत्य करने लगे । जिस प्रकार महाराष्ट्र प्रांत के श्री 1008 अतिशय क्षेत्र कचनेर जी में अतिशय हुआ उसी प्रकार इंदौर शहर में भी अतिशय से खडित मूर्ति पुनः वास्तविक मूलरूप में आ गई है।
छावनी के समाजसेवी एम. के .जैन, अध्यक्ष श्री प्रकाश चंद्र बड़जात्या ने जानकारी देते हुए बताया कि इस खुशी के प्रसंग पर्व पर मुनिसंघ ने पंचायती मंदिर को अतिशय क्षैत्र घोषित किया, इस अवसर पर मुनि संघ ने समाज को बहुत – बहुत आशीर्वाद दिया अनुष्ठान मे सौधर्म इन्द्र श्री देवेन्द्र , श्री जिनेन्द्र सेठी, यज्ञ नायक श्री गुलाबचंद गोधा एवं शान्तिधारा का सौभाग्य श्री अनिल जी व श्री अनीस सोनी को प्राप्त हुआ, सांयकाल भक्तामर का पाठ एवं महाआरती केआयोजन के साथ समाज अपनी खुशीया मनाई।