दिल्ली से अधिकारी सम्मेद शिखरजी की पहाड़ी का निरीक्षण करने पहुंचे
मधुबन ! तीर्थराज सम्मेद शिखर पहाड़ के संरक्षण व वन्य प्राणी सुरक्षा हेतु निरीक्षण के लिए आयी दिल्ली से केंद्रीय दल ने स्वर्ण भद्र कूट पर साधनारत अंतर्मना गुरुदेव के किए दर्शन और मार्गदर्शन लिया
सम्मेदशिखर जी-शाश्वत तीर्थराज सम्मेद शिखर पर्वत के संरक्षण, संवर्धन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए दिल्ली से आये केंद्रीय दल के वरिष्ठ सदस्य श्री संजय के. श्रीवास्तव IFS – Former PCCE तमिलनाडु, डाक्टर विभु प्रकाश जी वैज्ञानिक फाॅरेस्ट विषय पंचकुला, डाक्टर एम. जितराम प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ़ फाॅरेस्ट नैनीताल, डाक्टर अमित कुमार जी वैज्ञानिक वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इण्डिया, रामबाबू सिंह रेंजर मधुबन व स्थानीय फाॅरेस्ट अधिकारियों ने किया पहाड़़ का निरिक्षण और अंतर्मना गुरुदेव से भेंट कर आशीर्वाद लिया और विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा करते हुए लिया मार्गदर्शन।
अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महामुनिराज गुरुदेव 557 दिन की अखण्ड मौन व्रत की एकांतवास साधना में स्वर्णभद्र कूट पर रत है, इसलिए अन्तर्मना गुरदेव ने केन्द्र सरकार से आये सभी सदस्यों को तीर्थ राज सम्मेद शिखर पर्वत के संरक्षण, सम्वर्धन, सादगी, स्वच्छता, और पर्वत की पवित्रता के लिए विशेष रूप से यह निर्देशित किया कि यह पहाड़़ सम्पूर्ण जैन समाज की धड़कन है, श्रद्धा विश्वास और आस्था का केंद्र है। यदि इसकी पवित्रता के साथ, सरकार खिलवाड़ करती है तो इससे जैन समाज को बहुत चोट पहुंचती है। अतः इसके मूलभूत सुविधाएं अस्तित्व के साथ कोई भी परिवर्तन नहीं होना चाहिए। इस तीर्थराज पर्वत को पर्यटन नहीं, तीर्थ की पवित्रता पर ध्यान देने की आवश्यकता है जैसे केदारनाथ, बद्रीनाथ, वैष्णो देवी, काशी, अयोध्या तीर्थ है उसी प्रकार शाश्वत तीर्थराज सम्मेद शिखर पर्वत भी पवित्र धर्म तीर्थराज है। आपकी सुविधा देने पर हमारे तीर्थराज सम्मेद शिखर की पवित्रता पर, आशंका असम्भावी है, इसलिए आप से कुछ निवेदन करना चाहता हूं – जैसे सम्पूर्ण पहाड़ ग्रीन क्षेत्र घोषित हो। तीर्थराज पहाड़ प्लास्टिक मुक्त हो।
तीर्थराज अहिंसा क्षेत्र घोषित हो।
तीर्थराज पर औषधियां एवं फल दार वृक्षों का बीजारोपण हो।
तीर्थराज पर जो 6-7 झरने हैं, उनका सौन्दर्यीकरण हो।
परिक्रमा पथ व्यवस्थित हो l
यात्रियों के लिए प्राथमिक चिकत्सा की सुविधा हो l
तीर्थराज पर सम्मेद शिखर पर्वत की साफ-सफाई और पवित्रता के लिए यात्रियों में जागरूकता का भाव आये, ऐसी कोई व्यवस्था हो।
इन सभी बातों को गुरुदेव ने आकाश जी से लिखित पत्र पढ़वा कर उनको सुनाया। सभी सदस्यों ने ध्यान से सुना और गुरुदेव की भावनाओं को ऊपर तक अपनी रिपोर्ट के माध्यम से भेजने की बात कही। सभी सदस्यों ने गुरुदेव के कठिन तप साधना की अनुमोदना की और कहा कि आप जैसे तपस्वी साधु सन्तों से ही यह सब सम्भव होगा। सभी ने गुरुदेव को यह विश्वास दिलाया कि हमसे पहाड़ के संरक्षण, सुरक्षा के लिए जो भी अच्छे से अच्छा होगा हम अवश्य करेंगे। और आपके मार्गदर्शन अनुसार सभी बिन्दुओं पर विचार विमर्श किया जायेगा। यह एक पवित्र धर्म स्थल है, इसे नैनीताल, शिमला, मसूरी, ऊंटी ना बनने दें। अन्यथा जैन समाज आपको कभी माफ नहीं कर पायेगा। *यह घूमने फिरने का नहीं बल्कि मन के मैल को धोने का पवित्र पुण्य स्थान है.!
मीडिया प्रभारी
राज कुमार अजमेरा