कर्नाटक में कांग्रेस की जीत में जैन समाज की भी बड़ी भूमिका
नाराज जैन समाज ने सिखाया भा.ज.पा . को सबक
इंदौर ! हाल ही में हुए कर्नाटक चुनाव के परिणामों में कांग्रेस की जीत में बड़ा योगदान जैन समाज को भी जाता है । कर्नाटक में जैन समाज बहुतायत तो नहीं परंतु हर एक विधानसभा सीट पर निर्णायक भूमिका में है और उसी का परिणाम इस विधानसभा चुनाव में देखने को मिला क्योंकि लगभग 70 प्रतिशत से 90 प्रतिशत जैन समाज भाजपा के पक्ष में रहा हे । ये बात अलग है की इतिहास के परिपेक्ष्य में देखे तो एक समय जैन समाज कांग्रेस के पक्ष में रहा हे । कांग्रेस में देश के पूर्व गृह मंत्री प्रकाशचंद सेठी , मध्य भारत के पूर्व मुख्यमंत्री मिश्रीलाल गंगवाल जेसे कद्दावर राष्ट्रीय नेता रहे हे । पुरानी पीढ़ी हमेशा कांग्रेस की पुरजोर समर्थक रही हे । किंतु समय के साथ बदली पीढ़ी का रुझान शने: शने: भाजपा की ओर होता चला गया । पुरानी पीढ़ी के लोग आज भी इस बात को कहते नजर आते है की कांग्रेस ने जितना जैन समाज को दिया वो किसी ने नहीं दिया । आज जितने भी तीर्थ , ट्रस्ट और धरोहरें है वे सब कांग्रेस की देन है । किंतु नई पीढ़ी समय के साथ बदलती गई और जैन समाज का वोट कांग्रेस से निकल कर भाजपा की ओर जाने लगा । सेठी जी , गंगवाल जी जेसे कद्दावर नेताओं के बाद जैन समाज में कोई सशक्त नेतृत्व का नही उभर पाना भी एक कारण रहा । लेकिन जब से जैन समाज के तीर्थों पर आए दिन अतिक्रमण एवं कब्जे होने लगे तब से जैन समाज काफी नाराज हे । मोदी सरकार के कार्यकाल में अब जैन समाज अपने आपको असुरक्षित महसूस करने लगा हे ।
गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में जैन समाज के सबसे बड़े और प्रमुख तीर्थ गिरनार पर कब्जा हुआ । जिसमे मोदी सरकार ने जैन समाज को नजर अंदाज किया । केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद जिस प्रकार से जैन तीर्थो को एक एक कर निशाना बनाया गया उससे जैन समाज में भाजपा के खिलाफ नाराजगी बढ़ती दिखाई दे रही हे ।
जैन समाज के सबसे प्रमुख तीर्थ व 20 तीर्थंकरों की निर्वाण स्थली को पर्यटक स्थल घोषित करने जेसे भाजपा सरकार के प्रयासों , आदिवासी समाज को जैन समाज के खिलाफ खड़ा करने में भाजपा नेताओं की भूमिका भी जैन समाज को आहत कर गई । पालीताना में भी विवाद को जन्म दिया गया । और अब इंदौर के शिखरजी गोमट गिरी पर जैन समाज की भूमि पर एक समाज के कब्जे के प्रयासों के पीछे राज्य सरकार और तंत्र की भूमिका की बात भी सामने आई है । इस बात को ले कर देश भर का जैन समाज उद्वेलित है। यहाँ तक की संतो द्वारा भी अपने प्रवचनों में गोमट गिरी पर कब्जे के प्रयासों के प्रति चिंता प्रदर्शित की जा रही हे ।
जिस प्रकार कर्नाटक की प्रत्येक विधानसभा में 20,000 से 40000 तक जैन समाज का वोट है और यह किसी भी चुनाव में बहुत अहम भूमिका निभाता है । इस बार भाजपा से नाराज जैन समाज ने अपनी महत्ता दिखा दी है । कांग्रेस से 3 जैन का विधायक जीत कर आना भी जैन समाज में गर्व के साथ प्रसारित हो रहा हे । वही कर्नाटक के जैन तीर्थ श्रवण बेलागोला में बीजेपी 80000 वोटों से हारी हे और तीसरे नंबर पर रही हे ।
मध्य प्रदेश में जैन समाज कर्नाटक दोहराएगा..?
मध्य प्रदेश में जैन समाज बहुतायत में हे । सबसे ज्यादा समाज की बहुलता राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश में हे । देश की राजनीति में इंदौर का जैन समाज पूरे देश की राजनीति की धुरी है जहा से जैन समाज की दिशा तय होती है । पूर्व गृह मंत्री स्व.प्रकाशचंद सेठी , पूर्व मुख्यमंत्री स्व.मिश्रीलाल गंगवाल , स्व. तखतमल जैन , स्व.सर सेठ हुकमचंद , स्व.पद्मश्री बाबूलाल पाटोदी , स्व. देवकुमारसिंह कासलीवाल , भूतपूर्व विधायक स्व रतन पाटोदी , कांग्रेस नेता अशोक पाटनी , भरत मोदी जेसे कद्दावर जैन समाज के नेताओं की कर्म भूमि इंदौर ही है। ऐसे में गोमट गिरी पर माननीय उच्च न्यायायलय के आदेशों को प्रशासन द्वारा नजर अंदाज कर अवेध कब्जे को प्रश्रय देने की बात समाज में चर्चा का विषय है । यहा तक की सोशल मीडिया पर पिछले दिनों राज्य सरकार के एक मंत्री की भूमिका पर भी सवाल उठे । जिसमे कहा यह जा रहा था की गोमट गिरी की बाउंड्री वॉल बनाने को ले कर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा ट्रस्ट को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराए जाने के आदेश प्रशासन को दिए गए थे । दो दिन पुलिस सुरक्षा देने के बाद तीसरे दिन एक मंत्री के आदेश पर पुलिस सुरक्षा प्रशासन द्वारा हटा ली गई । और चौथे दिन गोमट गिरी की भूमि पर एक अन्य समाज द्वारा रास्ता बनाने की अवेध रूप से मार्किंग कर दी गई पांचवे दिन प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में अवेध कब्जा धारियों द्वारा युद्ध स्तर पर रास्ता बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया । यहा तक की पुलिस की मौजूदगी में अवेध कब्जा धारी लोगो द्वारा जैन समाज के लोगो के साथ मारपीट की बात भी सामने आई है ।
इस घटना से स्तब्ध और उद्वेलित जैन समाज कलेक्टर , भाजपा के मंत्री , सांसद , भाजपा विधायकों से ताबड़ तोड़ मिला । लेकिन भाजपा नेताओं और प्रशासन के उदासीन रवैए से जैन समाज चिंतित और नाराज दिखा ।
कर्नाटक के चुनाव परिणामों के बाद अटकलें लगाई जा रही हे की राजस्थान और मध्यप्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव में जैन समाज की बढ़ती नाराजगी भाजपा के लिए मुसीबत बनेगी ।
मनीष अजमेरा