श्रमण संस्कृति के बहुभाषाविद श्रमण श्री108आदित्यसागर जी महाराज
श्रमण संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ चर्या शिरोमणि, आगम अध्येता आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक बहुभाषाविद शिष्य
श्रुत संवेगी मुनि श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज का आज 24 मई को 37 वां “अवतरण दिवस” है ।
इंदौर नगर के दिगंबर जैन धर्मावलंबियों एवं मुनि भक्तों का यह सौभाग्य है कि उन्हें दूसरी बार मुनि श्री108 आदित्य सागर जी महाराज की सन्निधि में उनका “अवतरण दिवस” मनाने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। पिछले वर्ष अंजनी नगर दिगंबर जैन समाज के तत्वावधान में जैन धर्मावलंबियों को मुनि श्री का जन्म दिवस मनाने एवं उनका गुणानुवाद करने का अवसर प्राप्त हुआ था। इस वर्ष यह अवसर अंबिकापुरी दिगंबर जैन समाज को वहां मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज के ही ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान प्राप्त हो रहा है।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि अधिकांश दिगंबर जैन मुनि अपना जन्म दिवस नहीं मनाते वह तो अपना दीक्षा दिवस स्मरण रखते हैं और दीक्षा दिवस को श्रमण और श्रावक मिलकर मनाते हैं। जन्म दिवस मनाना तो हम ग्रहस्थों का काम है लेकिन अंबिकापुरी में विराजित मुनि श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज के प्रति हम सबकी श्रद्धा है इसलिए अंबिकापुरी दिगंबर जैन समाज के तत्वावधान में नगर की दिगंबर जैन समाज स्वेच्छा से मुनि श्री का “अवतरण दिवस मना रही है।
दिनांक 24 मई 1986 को संस्कारधानी जबलपुर में जन्मे सन्मति जैन आज हम सबके बीच श्रुत संवेगी मुनि श्री 108आदित्य सागर जी महाराज के रूप में उपस्थित हैं और अपनी पीयूष वर्षणी वाणी से जन-जन को ना केवल जिनवाणी का प्रसाद बांट रहे हैं बल्कि ढोंग का नहीं ढंग का जीवन जीने की प्रेरणा भी दे रहे हैं। आप एमबीए तक शिक्षित है़ और 16 भाषाओं के ज्ञाता हैं। बचपन से ही धार्मिक संस्कारों से समृद्ध होने के कारण सन्मति भैया के मन में वैराग्य का बीजारोपण हो गया और युवावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही वैराग्य का बीज पल्लवित पुष्पित होने पर मात्र 25 वर्ष की आयु में जब आपको अपने तन पर पहने जाने वाले कपड़े बोझ लगने लगे तो माता-पिता से आज्ञा लेकर आप आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के पास पहुंच गए और उनकी चरण वंदना कर उनसे जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान किए जाने का निवेदन किया और आचार्य श्री ने भी कुछ समय पश्चात दिनांक 8 नवंबर 1911 को सागर मध्यप्रदेश में सन्मति भैया के माता पिता और परिजनों की सहमति के बाद सन्मति भैया को जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान कर मुनि श्री आदित्यसागर बना दिया तब से आज तक आप अपने ज्ञान, अपनी आगम अनुकूल चर्या और साधना से ना केवल धर्म की प्रभावना कर रहे हैं बल्कि नमोस्तु शासन को भी जयवंत कर रहे हैं। आज के इस पावन दिवस पर हम भावना भातें हैं कि मुनि श्री का रतनत्रय सदैव कुशल मंगल रहे एवं दिन प्रतिदिन उनका मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो और हम सबको भी उनका सानिध्य और आशीर्वाद दीर्घकाल तक मिलता रहे।”अवतरण दिवस” पर मुनिश्री के चरणों में कोटि-कोटि नमन
✍🏻 डॉक्टर जैनेंद्र जैन ✍🏻
मंत्री दिगंबर सामाजिक सांसद इंदौर