जैन समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ क्यों..?

इंदौर ! (देवपुरी वंदना) भारत एक धर्मनिरपेक्ष स्वतंत्र देश था .?

धर्म ,समाज, संस्कार, संस्कृति, आज सिर्फ राजनैतिक गलियारों से होकर गुजरता है इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण देश के महामहिम प्रधानमंत्री जी के द्वारा साक्षात देखने को मिला विगत दिवस हुए सांसद भवन के लोकार्पण के अवसर पर धर्म व संस्कृति का एक और मीडिया पर जोर शोर से प्रचार प्रसार किया

वहीं दूसरी ओर अनदेखे या अनदिखने वाले पहलुओं पर प्रत्यक्ष रूप से आघात किया गया.?

सभी जानते हैं कि भारत देश का सबसे प्राचीन सबसे बड़ा जैन धर्म व समाज ही है जिसे सभी जानते व मानते भी हैं । फिर भी अपनी महत्वाकांक्षा के दरमियान स्वयंभू को सिद्ध करने के चक्कर में एक और सर्व धर्म समाज के प्रतिनिधियों के द्वारा प्रार्थना सभा या कहे तो सर्वसिद्धि मंत्रउच्चारण

करवाया गया जिसे हम सभी को गर्व है । हम में भी राष्ट्रभक्ति का जज्बा है हम भी सभी के धर्म ,समाज ,संस्कार ,संस्कृति की रक्षा करते हैं न कि उनके साथ खिलवाड़ फिर हमारे जैन धर्म समाज के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ क्यों.? या हम पर अहिंसा वादी का ठप्पा लगा है कि जिससे कोई भी आकर कभी भी हमारी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर इति श्री कर सकता है । जब इस बारे में जानकारी चाहे तो जिम्मेदार व्यक्तित्व ने अनजाने में गलती होने का शाब्दिक तर्क दिया क्या इतनी बड़ी बात को गलती माना जा सकता है किसी के आराध्य भगवान के समक्ष जूते चप्पल पहनकर फोटो सेशन करवाना उचित है ।

जिम्मेदार व्यक्तित्व से निवेदन है कि ऐसे ही सार्वजनिक क्षेत्र में धर्म समाज के प्रतीक पहचान हो सावधानी पूर्वक दर्शाया जाए या फोटो सेशन के लिए नियम व शर्तें अवश्य दर्शाए जिससे किसी भी धर्म समाज की आस्था भक्ति श्रद्धा के साथ खिलवाड़ ना होते हुए ऐसी घटना की पुनरावृति दोबारा ना हो।

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