आचार्य श्री 108 विहर्षसागरजी ससंघ इंदौर में चातुर्मास करेंगे

इंदौर!( देवपुरी वंदना ) श्रावक के जीवन में संतों का सानिध्य मिलना या नगर में संतों का शुभागमन अथवा चातुर्मास होना बड़े ही हर्ष और पुण्य का सौभाग्य माना जाता है। इंदौर की दिगंबर जैन समाज बहुत सौभाग्यशाली है कि उसे इस वर्ष प्राप्त जानकारी अनुरूप मुनि श्री 108 सिद्धांत सागर जी, पूज्य वंदनीय आर्यिका105 विज्ञानमति माताजी ,के चातुर्मास के अलावा आचार्य श्री 108 विहर्ष सागरजी का भी चातुर्मास कराने और उनका सानिध्य पाने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
आचार्य श्री विहर्षसागरजी गणाचार्य‌श्री 108 विरागसागरजी
महाराज के सुशिष्य हैं और इंदौर चातुर्मास हेतु भोपाल से इंदौर के लिए बिहार कर रहे हैं। जो अभी आज आष्टा नगर से बिहार कर चुके हैं ।आचार्य श्री स्पष्टवादी प्रखर प्रवचनकार हैं और प्रवचन के माध्यम से युवक-युवतियों को धर्म के प्रति जागृत करने के साथ-साथ समाज को भी एकता के साथ संगठित रहने की शिक्षा देते हैं। पिछले दिनों विहार के दौरान इंदौर दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के अध्यक्ष राजकुमार पाटोदी, दिगंबर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश विनायका, समाजसेवी आजाद जैन, दिगंबर जैन परवार समाज के संरक्षक डॉक्टर जैनेंद्र जैन, के साथ समाज श्रेष्ठियो ने अचार्य श्री को श्री फल समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया और इंदौर चातुर्मास हेतु निवेदन किया। मौसम की सुविधा अनुरूप दिनांक 16 या 17 जून को आचार्य श्री ससंघ इंदौर नगर मंगल ‌प्रवेश करेंगे ।
परिचय : राष्ट्रसंत आचार्य श्री 108 विहर्षसागरजी महाराज
7 मार्च 1970 को बुंदेलखंड की वसुंधरा बीना जिला सागर में धर्मश्रेष्ठी स्वर्गीय श्री दीपचंद जी जैन एवं स्वर्गीय श्रीमती आशादेवी जैन (समाधिस्थ आर्यिका 105 संमति माताजी) के घर आंगन में जन्मे विनोद उर्फ बंटी भैया आज हम सबके बीच गणाचार्य विराग सागर जी महाराज से दीक्षित आचार्य विहर्षसागरजी नाम से देशभर में अपने त्याग, तपस्या, चर्या और ज्ञान से श्रमण संस्कृति एवं नमोस्तु शासन को जयवंत कर रहे हैं।
इंटर तक शिक्षित विनोद उर्फ बंटी भैया के मन में युवा वस्था की दहलीज पर कदम रखते ही वैराग्य उत्पन्न हो गया और माता-पिता की अनुमति एवं गणाचार्य विराग सागरजी से आशीर्वाद प्राप्त कर आप आचार्य श्री के संग में बाल ब्रह्मचारी के रूप में सम्मिलित होकर अध्ययन, मनन और चिंतन कर धर्म साधना करने लगे। आपकी भक्ति, श्रद्धा एवं मन में उपजे वैराग्य को देखकर गणाचार्य विरागसागरजी ने दिनांक 23 फरवरी 1996 को देवेंद्र नगर (पन्ना) में आपको ऐलक दीक्षा एवं 14 दिसंबर 1998 को दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र बरासो जिला भिंड मैं मुनि दीक्षा प्रदान कर मुनि विहर्ष सागर बना दिया,तब से आज तक आप देशभर में पद त्राण विहीन चरणों से पदयात्रा करते हुए श्रमण संस्कृति की धर्म ध्वजा फहरा रहे हैं विहर्ष वाणी के माध्यम से जगत कल्याणी जिनेंद्र वाणी को जन-जन मैं प्रचारित/ प्रसारित कर रहे हैं। 13 फरवरी 2023 को विरागोदय तीर्थ पथरिया जिला दमोह में गणाचार्य श्री 108 विरागसागरजी महाराज ने हजारों लोगों की उपस्थिति एवं सैकड़ों संतो के सानिध्य मेंआपको आचार्य पद प्रदान किया। आचार्य पदारोहण के बाद आचार्य विहर्षसागरजी का धर्म नगरी इंदौर में पहला चातुर्मास हो रहा है इसके पूर्व मुनि अवस्था में जबलपुर, भिंड, जगदलपुर, भिलाई, राजनाद गांव, बीना, झांसी, ग्वालियर, आगरा एवं दिल्ली आदि शहरों में चातुर्मास कर धर्म की महती प्रभावना कर चुके हैं। आप ने मेरठ में विगत वर्ष 2018 में आर एस एस के प्रमुख श्री मोहन भागवत के सानिध्य में हजारों आर .एस. एस. के कार्यकर्ताओं को एवं नफजगढ़ (दिल्ली) मे सी.आर.पी.एफ. के जवानों को भी संबोधित कर आशीर्वचन दिया
बड़ी प्रसन्नता है कि इंदौर दिगंबर जैन समाज को चातुर्मास (वर्षा योग) समय में अपने धर्म , संस्कार ,संस्कृति, को और समझते हुए हमारे इस मानवीय जीवन को और सार्थक रूप से समझने का मौका मिलेगा । सभी श्रावक -श्राविकाओ से निवेदन है कि हमें मिले इस अवसर का लाभ लेते हुए जीवन को श्रेष्ठ ऊंचाइयों पर ले जाएं ।

डॉक्टर जैनेंद्र जैन ✍🏻
राजेश जैन दद्दू ✍🏻

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