पानी का अपव्यय पाप है मितव्ययिता से पानी का उपयोग करें :: आर्यिकाश्री105 विज्ञान मति

इंदौर ! ( देवपुरी वंदना )पानी प्रकृति के द्वारा प्रदत्त उपहार है। मनुष्यों, जानवरों और पेड़-पौधों सभी का जीवन पानी के बिना संभव नहीं है। आज आवश्यकता इस बात की है कि लोग पानी के महत्व को समझे और भविष्य में पानी का संकट उत्पन्न ना हो इसलिए पानी का उपयोग विवेक पूर्वक करें। व्यर्थ पानी बहाना पाप है एवं मितव्ययिता के साथ पानी का उपयोग राष्ट्रधर्म और अहिंसा धर्म का पालन एवं जल कायिक त्रस जीवो पर उपकार करना है।
ये उदगार शुक्रवार को आर्यिका श्री 105 विज्ञानमती माताजी ने श्री दिगंबर जैन 1008 मुनि सुब्रतनाथ जिनालय स्मृति नगर में प्रवचन देते हुए व्यक्त किए। पानी के महत्व पर विचार व्यक्त करते हुए आपने आगे कहा कि जल संकट से बचने के लिए पानी का संरक्षण करना और अनावश्यक पानी का दुरुपयोग रोकना समय की मांग है । अब तो वैज्ञानिकों ने भी शोध करके यह सिद्ध कर दिया है कि पानी की एक बूंद में विभिन्न प्रकार के 3,6450 जीव होते हैं। इन जीवो की रक्षा एवं स्वयं के स्वास्थ्य के लिए के लिए पानी छानकर उपयोग किया जाना चाहिए ताकि जीव हिंसा के दोष से भी बचा जा सके । माताजी ने धर्म सभा में उपस्थित लोगों को संकल्प दिलाया की आज से ही हम अपने दैनिक जीवन में साफ सफाई, स्नान, सेविंग एवं मंजन आदि कार्यों में अनावश्यक पानी खर्च नहीं करेंगे और विवेक पूर्वक एवं मितव्ययिता से पानी का उपयोग करेंगे। सभा का संचालन ब्रह्मचारी तरुण भैया ने किया । धर्म सभा में दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के मंत्री डॉक्टर जैनेंद्र जैन, सचिन जैन कोल, प्रफुल्ल जैन, पवन जैन चैलेंजर आदि समाज श्रेष्ठी उपस्थित थे।

✍🏻 राजेश जैन दद्दू,
मीडिया प्रभारी

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