नवीन जैन वस्त्र त्यागकर बने दि.जैन संत मुनि श्री 108 नियोग सागरजी महाराज

मुरैना ! संसार से विरक्ति होने पर प्राणी को वैराग्य उत्पन्न होता है । ज्ञानतीर्थ क्षेत्र जैन मंदिर में नवीन जैन ने बस्त्रों को त्यागकर दिगम्बर रूप में मुनि दीक्षा अंगीकार की । अब वे जैन मुनि श्री 108 नियोगसागर के नाम से जाने जायेगे ।
छाणी परंपरा के सप्तम पट्टाचार्य श्री 108 ज्ञेयसागर जी महाराज ने आगरा के बाल ब्रह्मचारी नवीन भैयाजी के दीक्षा संस्कार करते हुए कहाकि अनेकों जन्मों के संचित पुण्य के बाद लाखों मनुष्यों में से किसी एक को जैनेश्वरी मुनि दीक्षा लेने का सौभाग्य प्राप्त होता है । दीक्षा संस्कार की समस्त क्रियाओं में आचार्य श्री108 विभुधसागर महाराज, मुनिश्री108 ज्ञातसागर महाराज, प्रतिष्ठाचार्य जयकुमार निशांत टीकमगढ़, ब्र. प्रदीप जैन पियूष जबलपुर, ब्र.संजय भैयाजी मुरैना ने सहयोग प्रदान किया । दीक्षा संस्कार करने से पूर्व आचार्य श्री108 ज्ञेयसागर जी महाराज ने संघस्थ साधुओं, दीक्षार्थी के परिजनों, रिश्तेदारों, उपस्थित जन समुदाय से स्वीकृति प्राप्त की । दीक्षार्थी नवीन जैन ने सभी से क्षमा याचना करते हुए सभी प्राणियों को क्षमा किया ।
दीक्षा से पूर्व के के जैन (चांदी वाले) आगरा ने ध्वजारोहण, अजित जैन (चांदी वाले) आगरा ने चित्र अनावरण, कालीचरण निर्मलकुमार जैन, आगरा ने दीप प्रज्वलन, एवम दीक्षार्थी नवीन भैया परिवार आगरा द्वारा पाद प्रक्षालन किया । नव दीक्षित मुनि श्री नियोगसागर महाराज को पिच्छिका व कमंडल संजय- सुशील- पवन- अजय जैन परिवार आगरा, प्रथम जिनवाणी भेंट: आशु जैन, गुड़गांव ने भेट की । इस अवसर पर ब्र. ब.अनीता दीदी, मंजुला दीदी, ललिता दीदी, श्रीमती बंदना जैन डिप्टी कलेक्टर मुरैना, मुकेश जैन विटूमेन आगरा, ज्ञानोदय क्लब मुजफ्फर नगर एवम आगरा, के के जैन, रूपेश जैन, राजकुमार गुड्डू, आगरा सहित अंबाह, पोरसा, धौलपुर , आगरा, दिल्ली, मुजफ्फर नगर, टीकमगड़, जौरा, बानमोर से हजारों की संख्या में गुरुभक्त उपस्थित थे । समारोह में उपस्थित सभी के लिए रूपेश जैन चांदी वाले आगरा की ओर से वात्सलय भोज की व्यवस्था की गई थी ।

मनोज नायक✍🏻

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