नाम , पद की लालसा में गिरनार जी निकला जैन समाज के हाथों से

इंदौर ! (देवपुरी वंदना) कई दशकों पूर्व से हमारे पूर्वज जहां हमारे 23 वे तीर्थंकर नमिनाथ भगवान के मोक्ष स्थल गिरनार जी पर निर्वाण लाडू चढ़ाने जाया करते थे अब वह जैन समाज के हाथों से निकल गया है
कहां जाता है कि विभक्त समाज अधो गति को प्राप्त होता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आपके सामने मौजूद है जबकि संगठित समाज सफलता की बुलंदियों को स्पर्श करता है मगर आज दिगंबर जैन समाज में अपनी महत्वकांक्षा लालसा के चलते नाम पद की चाहत में आपसी प्रतिद्वंदिता से उपजे मनमुटाव ने समाज में विभाजन की एक दीवार खड़ी कर दी है। जिससे हमारा समाज सिर्फ हंसी का पात्र बनकर रह गया साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में पिछड़ता चला जा रहा है। और हमारी संस्कार- संस्कृति पर कब्जा होते जा रहा है जिससे कोई अनजान नहीं है। बस आपसी मतभेद बढ़ता जा रहा है जिसका लाभ अन्य सभी ले रहे हैं सिर्फ जैन समाज नहीं ? हमारी आपसी फूट हमारी धरोहर अब दूसरों की आमदनी का साधन बनती जा रही हैं क्या पद प्राप्ति का तात्पर्य ही समाज सेवा या समाज उन्नति है आजकल धन के बलबूते पर समाज में आगे बढ़ना ही समाज सेवा है या करना माना जाता है तो बात यही समाप्त हो जाना चाहिए फिर हमें किसी पर दोषारोपण नहीं करना चाहिए और नहीं हमें पदैन पदाधिकारियों की कमी व गलतियो से उसे अवगत कराना चाहिए।


मगर हम अपने पूर्वजों या हमारी नई पीढ़ी को देखें तो हमें आज हमारी विध्वंसकारी सोच पर विचार करना होगा सदियों से चली आ रही हमारी सामाजिक परंपरा के अनुरुप समाज संस्कृति के गया प्रतीक हमारी आस्था श्रद्धा भक्ति की सीढ़ी का हमारी धरोहर ही हमें एक सूत्र में बांधने रखती यह साम हमारे लिए बहुत गर्व की बात है समाज की संस्कार पदा संस्कृति को बचाएं रखने के लिए एक दशक पूर्व पान से जैन समाज में समाजसेवी संस्थाओं को बनाया गया था जिसमें प्रमुख रूप से नाम तो बहुत चला इन संस्थाओं के काम से भी सभी अवगत हैं इन जैसी अन्य राष्ट्रीय संगठन भी बनाया साथ ही क्षेत्रीय स्थानीय कमेटी संघ बने मगर उस में अब पदैन पदाधिकारियों की अपनी मंच माला पद की लोकप्रियता में सिर्फ पद पाने की चाहत ह्रीं बढ़ती जा रही है ? उसी का परिणाम है।
सूत्रों के अनुसार पता चला है कि गिरनार जी की पाँचवीं टोंक पर भगवान नेमिनाथ जी की निर्वाण स्थली पर संबंधित पदाधिकारियों ने निर्वाण लाडु चढ़ाने के लिए पूर्व के वर्षों की तरह ज़िला प्रशासन अधिकारियों को लिखित में आवेदन दिया ही नहीं है। इसका मतलब ज़िम्मेदार पदाधिकारियों ने आज 25 जून 2023 को पांचवीं टोंक से दूरी बना ली है। उसको अपनी अर्थात समाज और धर्म की मानना छोड़ दिया है। इस बार यात्री भगवान नेमिनाथ जी की निर्वाण स्थली तक नहीं जावेंगे। ज़िम्मेदार पदाधिकारियों ने विकल्प में पहली टोंक पर निर्वाण लाडु चढ़ाने का प्रबंध किया है। अब गिरनार पहाड़ पर भगवान नेमिनाथ जी की निर्वाण स्थली पर यात्री वंदना के लिए नहीं जावें। यह मानसिकता समाज के ज़िम्मेदार पदाधिकारियों की हो गई है। जिनकी रुचि सत्यता जानने की हो। वह गिरनार जी तीर्थराज से जुड़े पदाधिकारियों से सम्पर्क कर समाज को जानकारी देकर अनुग्रहित करें। पहली टोंक और तलहटी स्थित समोसारण मंदिर पर‌22-22 किलो के निर्वाण लाडू चढ़ाकर इतिश्री कर ली ?
जिम्मेदारी से मुंह क्यों मोड़ लिया ।

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