उ. प्र.जैन विद्या शोध संसथान व मंगलायतन तीर्थ द्वारा 7-8 अक्टूबर 2023 को जैन पत्रकारों की राष्ट्रीय संगोष्ठी

अलीगढ़ ! (देवपुरी वंदना) देश का सबसे धार्मिक प्रांत उत्तर प्रदेश जहां भगवान राम, कृष्ण ‌ के साथ साथ जैन तीर्थंकरो की जन्मभूमि के लिए प्रसिद्ध राज्य है इसी को प्रतिपादित करते हुए धर्म, समाज, संस्कार, संस्कृति के रक्षार्थ उ.प्र. जैन विद्या शोध संस्थान, विपिन खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ-की स्थापना 31 जनवरी, 1991 में संस्कृति विभाग, उ.प्र .के अधीन स्वायत्तशासी संस्था के रूप में की गई है। संस्थान का मुख्य उद्देश्य भारत के विभिन्न भागों में प्रचलित जैन विधाओं का राष्ट्रीय सन्दर्भ में अध्ययन एवं तत्सम्बन्धी शोध करना तथा तीर्थंकरों की सांस्कृतिक महत्व की परम्परागत एवं आधारभूत मान्यताओं, मानवीय मूल्यों एवं कला कौशल का संरक्षण करना है। संस्थान द्वारा परिचर्चा, पर गोष्ठी, व्याख्यान, सम्मेलन, संगोष्ठी एवं राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार आदि आयोजित करना।
जैन धर्म से सम्बन्धित विभिन्न विशेष दिवसों ,पर्वों पर व्याख्यान माला, संगोष्ठी, वाद-विवाद प्रतियोगिता, पेंटिंग प्रतियोगिता, निबन्ध प्रतियोगिता आदि का आयोजन करना रहा ‌है उसी उद्देश्य को और गौरवान्वित करने के लिए जैन समाज के चौथा स्तंभ कहे जाने वाले साहसिक, निडर, निष्पक्ष, व अपनी दूरदृष्टि के चिंतन मनन से समाज को लाभ – हानि की सोच से सचेत करने वाले जैन पत्र संपादक व पत्रकारों की लेखनी से समाज व राष्ट्र को आने वाले समय की रूपरेखा से अवगत कराने के लिए
उ.प्र.जैन विद्या शोध संस्थान, लखनऊ संस्कृति विभाग
( उ०प्र० सरकार) एवं तीर्थधाम मंगलायतन, सासनी हाथरस उत्तर प्रदेश संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय
-: राष्ट्रीय संगोष्ठी :-
‌‌ शनिवार -रविवार
7-8 अक्टूबर, 2023
स्थानः मंगलायतन तीर्थधाम, सासनी जिला, हाथरस में
तीर्थंकर महावीर के उपदेशों के प्रसार एवं प्रचार में जैन समाज एवं पत्रकारों का अवदान
में उपर्युक्त
निम्नलिखित बिषय जैसे :-
1.हमारी पूर्व शताब्दी और जैन पत्रकार।
2 हमारे आध्यात्मिक व सामाजिक विकास मे जैन पत्रकार।
3-सामाजिक व आर्थिक विकास मे जैन समाचार ‌पत्रो की भूमिका।
4- जैन पत्रकारिता मे जैन नारीयो की भूमिका।
5-हमारे अविस्मरणीय जैन पत्रकार।
6-आजादी के विकास मे जैन पत्रकार की भूमिका।
7-जैन पत्रिकाओं के सन्चालन मेआर्थिक भूमिका।
8-जैन पत्रिकाओं की साहित्यिक व सामाजिक भूमिका।
9-जैन पत्रिकाओं के संचालन मे आगत समस्या और उनका समाधान।
10-जैन समाज के स्वतन्त्र पत्रकार व लेखक।
बाल साहित्य जगत मे जैन पत्रकार व लेखक।
11-आलोचना के क्षेत्र मे जैन पत्र व पत्रकारिता।
12-सामाजिक व राजनैतिक चेतना मे जैन पत्रिकाओं की भूमिका।
13-राष्ट्रीय एकता के सम्वाहक जैन पत्र व पत्रकार।
14-पुरातात्विक व स्थापत्य कला के क्षेत्र मे जैन पत्र पत्रिकाएं ।
15-जैन पत्रकारो का शैक्षिक स्तर।
16-गुटबाजी मे फंसा जैन पत्रकार
इसी तरह और भी विषयो पर लेख सादर आमंत्रित है ।
संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश शासन की पत्रिका मे प्रकाशित होगे वही लेख सेमीनार मे पठनीय होगे जोकि उत्तर प्रदेश सरकार की संस्कृति विभाग किक विशेषांक काशी तो होंगे इस शुभ प्रसंग पर उत्तर प्रदेश सरकार व तीर्थ क्षेत्र मंगलायतन द्वारा प्रशस्ति पत्र व अन्य उपकरण से सम्मानित कर हर्षित होगा । आयोजन समिति देश के सभी प्रांतों में निवासरत सरस्वती पुत्र जैन कलम वीरो से इस ऐतिहासिक अविस्मरणीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में सहभागिता करने का आह्वान करता है निम्नलिखित सूचनायें प्रेषित करने का कष्ट करें।
1. विचार प्रस्तुत करने हेतु विषय 2. पूर्ण आलेख जो उत्तर प्रदेश सरकार की पत्रिका में प्रकाशित किया जा सके 2 से 3 पेज (अधिकतम) Ms word में double space में टाइप कॉपी करायें। लेख 15 सितम्बर 2023 तक प्राप्त होना चाहिए केवल वही लेख प्रकाशित होंगे जो संगोष्ठी में प्रस्तुत किए जायेंगे।
क्या आप अपने संसाधन से प्रतिभागिता करेंगे ?
सूचना भेजने के लिए
Whatsapp no. 7252095817
मेल आई डी [email protected]
विशेष निवेदनः – जैन पत्रकार बंधु
अपनी सहभागिता की सूचना
15 जुलाई, 2023 तक अवश्य भेजने का कष्ट करें।
विस्तृत जानकारी के लिए
संपर्क करें :-
संयोजक ‌✍🏻
डॉ योगेश चंद्र जैन
मो.नं.7252095817

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