सकारात्मक सोच की शक्ति के साथ मुनि श्री108 पूज्य सागर जी ने इंदौर स्मृति नगर मैं चातुर्मास कलश स्थापना की
इंदौर ! ( देवपुरी वंदना) जैन धर्म ,समाज , संस्कार, संस्कृति मे मान्यता है कि बारिश के मौसम के दौरान अनगिनत कीड़े-मकोड़े और छोटे जीव को इन आंखों से नहीं देखा जा सकता है तथा वर्षा के मौसम के दौरान जीवों की उत्पत्ति भी सर्वाधिक होती है। चलन-हिलन की ज्यादा क्रियाएं इन मासूम जीवों को ज्यादा परेशान करेगी। अन्य प्राणियों को साधुओं के निमित्त से कम हिंसा हो तथा उन जीवों को ज्यादा अभयदान मिले, उसके दृष्टिगोचर कम से कम वे इस वर्ष ( 149 दिन ) के लिए एक गांव या एक स्थान में रहने के लिए अर्थात विशेष परिस्थितियों के अलावा एक ही जगह पर रहकर स्वकल्याण के उद्देश्य से ज्यादा से ज्यादा स्वाध्याय , त्याग , तप साधना ,आराधना, प्रतिक्रमण, प्रवचन तथा जिनवाणी के प्रचार-प्रसार को महत्व देते हैं।
उसी उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए
आचार्य श्री 108 अभिनंदन सागर महाराज के सुशिष्य अंतर्मुखी मुनि श्री 108 पूज्य सागर जी महाराज एवं क्षुल्लक श्री 105 अनुश्रमण सागर जी ने सकारात्मक शक्ति ऊर्जा के साथ (चातुर्मास ) वर्षायोग – 2023 के मंगल कलश भगवान श्री 1008 मुनि सुव्रतनाथ दिगंबर जैन श्रमण संस्कृति धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट स्मृति नगर इंदौर की ओर से आयोजित चातुर्मास स्थापना की मंगल चातुर्मास के मुख्य दो कलशो में भगवान 1008 मुनिसुव्रत सर्वार्थ सिद्धि कलश भरत जैन परिवार इंदौर एवं श्री 1008 चिंतामणी पार्श्वनाथ ”चिंतामणी” कलश कांतिलालजी बम द्वारा की गई।
इनके साथ – साथ आचार्य श्री 108 शान्तिसागरजी कलश की स्थापना श्रीमती मंजु रितेश रूपेश जैन परिवार इंदौर आचार्य श्री 108 अभिनंदन सागर कलश की स्थापना संदीप – ओमप्रकाश जी सेठी, परिवार एवं आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर कलश की स्थापना श्रीमती रंजु- अजित जैन परिवार द्वारा की गई मंगल कलश स्थापना के पूर्व नगर भ्रमण शोभायात्रा के माध्यम से कलश पूजन, शुद्धिकरण किया गया। उसके बाद मंगल द्रव्यों से मांगलिक महिलाओं द्वारा सुहस्त हाथों से कलशों में दिव्य द्रव्य भरा गया। मुनि श्री का पाद प्रक्षालन भरत जैन परिवार एवं कांतिलाल बम परिवार द्वारा किया गया। इसके पूर्व ट्रस्ट कमेटी के अनिल जैन, सत्येंद्र जैन ,योगेंद्र जैन ,दिलीप डोसी, दीपक जैन, सुदर्शन जैन आदि श्रेष्ठी बंधुओं ने मुख्य अतिथियों का स्वागत अभिनंदन किया।
दीप प्रज्वलन मुनि श्री के गृहस्थ अवस्था के माता-पिता श्री सोमचंद्रजी जैन – विमला जी जैन द्वारा किया गया। मंगल कलश स्थापना का संचालन ब्रह्मचारी तरुण भैया जी द्वारा किया गया! साथ ही साथ आगामी शनिवार 22 जुलाई से रविवार 10 सितंबर 2023 तक 48 दिवसीय अखंड श्री श्री गणधर वलय महामंत्र महाराधना एवं विश्व कल्याण कामना महायज्ञ विधान की उपयोगिता सहित सविस्तार जानकारी के साथ आमंत्रण पत्रिका का विमोचन किया गया ।
गुरुदेव की रिमझिम ….
…..जीवन की फुहारें …
मुनि श्री 108 पूज्य सागर जी का जन्म मध्यप्रदेश में खरगोन जिले के पिपलगोन गांव में सोमचंदजी जैन और विमला देवी के घर 3 जुलाई 1980 को हुआ था। वह हमेशा ही दूसरों की मदद को तत्पर रहते थे। वर्ष 1998 में चक्रेश जैन घर छोड़ने का संकल्प लेकर निकले और आज हमारे सामने मुनि श्री पूज्य सागर महाराज के नाम से हमारे आपके सम्मुख विराजमान है । बालक चक्रेश के रूप में उन्होंने छोटी सी उम्र में अपने मित्रों के साथ गांव के पंचायत भवन में मित्र मिलन वाचनालय की शुरुआत कर सभी को अध्ययन के लिए उपयुक्त स्थान दिया। मीडिया में रुचि और कुछ करने की चाह में स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता के साथ एन. एस. यू. आई के नगर अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया। गरीब लोगों के प्रति हमेशा से ही दया और करुणा का भाव उनके मन में रहता था। घर से स्कूल की फीस भरने को पैसे मिलते तो वह अपनी फीस न भरकर गरीब दोस्त की भर देते थे।
संयम मार्ग की और चल पड़े कदम ,,,,,
1 फरवरी 1998 बिजौलिया (राजस्थान) आचार्य श्री108 वर्धमान सागर जी महाराज के संघ में प्रवेश किया और 9 फरवरी 1998 बिजौलिया (राजस्थान) 3 साल का ब्रह्मचर्य व्रत आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज से आर्यिका श्री 105 वर्धितमति माता जी की प्रेरणा से धारण किया। इसके बाद उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत 22 अप्रेल 1999, अजमेर (राजस्थान) आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज से आर्यिका 105 वर्धितमति माता जी की प्रेरणा से धारण किया। क्षुल्लक दीक्षा 23 अप्रेल 2008 डेचा (राजस्थान), आचार्य श्री 108 अभिनन्दन सागर जी महाराज से कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी जी श्रवणबेलगोला की प्रेरणा से ग्रहण की। इसके बाद मुनि दीक्षा,1 मई 2015 भीलूडा (राजस्थान), उपाध्याय श्री अनुभव सागर जी महाराज से ग्रहण की।
विस्तृत जानकारी
के लिए संपर्क करें :-
ब्रह्मचारी तरुण भैया जी
7000947723