कहां गए मुनि प्रशंसक मुनि निंदा में इतनी बड़ी जागरण सभा और 09 टुकड़ों पर पर मौन क्यों…?
इंदौर ! ( देवपुरी वंदना ) दोहरी मानसिकता रखने वाले धर्माधिकारी कहां है जो जैन श्रावक द्वारा उनकी नजरों में मुनि निंदा करने पर विगत 3 जुलाई 2021 रविवार को मध्य प्रदेश के भोपाल शहर स्थित एक विशाल प्रांगण में मुनि भक्त जागरण सभा रखी जाती है वह जोर शोर से विरोध कर समाज ही नहीं शासन-प्रशासन से भी कड़ी से कड़ी सजा देने का प्रस्ताव रखा जाता है जो बिल्कुल सही था जिसका प्रकरण न्यायालय में भी चला परंतु उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा जो प्रकरण का परिणाम आया उससे आप सभी विदित है । जिस श्रमण संस्कृति की रक्षा सुरक्षा के लिए सभी धर्माधिकारियों को इतनी बेचैनी रही की समाज की जाजम से हटकर शासन – प्रशासन पर अपना प्रभाव रखते हुए पुलिस व न्यायलय तक जाने में जरा सी भी देरी नहीं की और सही है अपने धर्म ,समाज, संस्कार, संस्कृति की बुराई कौन सुनेगा।
मगर हैरानी इस बात की है कि वही धर्म, संस्कृति की दुहाई देने वाले धर्माधिकारी अब मौन क्यों हैं माना परिवार का मुखिया अपने ही परिवार की ही रक्षा सुरक्षा करता है मगर परिवार में भाई – भतीजे भी रहते हैं जब उनकी भी समय आने पर रक्षा सुरक्षा करता है तब समाज में भी भाई भतीजे की रक्षा सुरक्षा के लिए पीछे क्यों क्या धर्म समाज में धर्माधिकारी हेलमेट पहनकर कार्य करते हैं कि उन्हें मात्र सामने का ही नजर आता है या जो वह देखना पसंद करते हैं वही दिखना चाहिए आसपास की घटित समाज की अन्य घटनाएं वह देखना पसंद नहीं करता है या एक ही लक्ष्य रखता है ऐसा क्यों ..? क्या उनके मन मस्तिष्क में सिर्फ अमिट गहरी स्याही से लकीर खींच दी गई है की एक ही उद्देश्य रहता है । उनको अपने निकटतम सामाजिक बंधुओं से भी कोई मतलब नहीं रहता उनको सिर्फ बह प्रतिद्वंदी सा ही नजर आता है ..?
अभी विगत दिनों ही कर्नाटक प्रांत के बेलगाम जिले में एक अजैन व मुस्लिम द्वारा श्रमण उन्नायक को दिल दहला देने वाली क्रूरता पूर्वक बेरहमी से पिच्छी कमंडल धारी गुरु को दर्द दायक यातना के साथ करंट लगाकर हत्या कर ने के बाद 09 टुकड़े- टुकड़े कर 400 फीट गहरे बोरवेल में डाल दिया गया । अव कारण कुछ भी रहा होगा दबी जुबान से सही बातें उजागर तो हो रही है। सही या गलत अब उनके साथ ही गया फिर भी मानवता के ही नाते ही सही हम हमारी संवेदनाएं भी हो चुके हैं क्या ..? यह तो सही है इतना बड़ा हादसा हुआ है तो कारण भी कोई अच्छा नहीं रहा होगा जिनके साथ यह घटना घटी वही कुछ प्रश्नों को खुला छोड़ गए जिनका उत्तर किसी के पास नहीं है सब अपनी अपनी सोच विचार शक्ति के द्वारा उत्तर का अनुमान लगाकर इतिश्री कर लेगा ।
क्योंकि इस प्रकार की यह पहली घटना नहीं है जिसमें सभी उठते प्रश्नों का उत्तर सरलता से सही मिल जाए । इससे पहले भी इंदौर शहर में भी मुनि द्वारा आत्महत्या जैसा मामला भी सभी को जानकारी में है तब के उठे प्रश्न भी आज तक प्रश्न ही बनकर रह गए।
जिनके उत्तर की अब प्रतीक्षा भी करना व्यर्थ सा लगने लगा है ।
खैर पंचम काल में ऐसी अनेकों घटनाएं घटित होती जा रही है जिसका समाधान किसी के पास नहीं है ..? समाधान तो है मगर कोई आगे आने को तैयार नहीं है
क्योंकि आज श्रावक -श्राविका अपनी आजीविका के साथ परिवार चलाने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि उनको समाज में हो रही घटनाओं से कोई लेना – देना नहीं रहता है। क्या इसके प्रकार समाज संस्कृति के रक्षार्थ श्रमण संघ भी सिर्फ स्वयं या अपने द्वारा दीक्षित मुनिश्री या साध्वीजी तक ही सीमित रह गया है ..?
वह भी अन्य दूसरे संघ या मुनिराजो के साथ हो रही घटनाओं से अनजान रहते हैं..?
देश के विभिन्न शहरों कस्बों व गांवों में चातुर्मास ( वर्षा योग )
के लिए विराजित सभी श्रमण उन्नायको को त्रिबार नमोस्तु कर निवेदन है कि कर्नाटक में घटी अशोभनीय घटना की समीक्षा की ओर ध्यान देते हुए विवेचना कर
समाज को एक संगठित नई दशा एवं दिशा की ओर अग्रसर करें । इन्हीं भावनाओं के साथ…