संतो द्वारा अजैन राजनेताओं को इतनी तवज्जो क्यों दिलवाई जाती है ..?

इंदौर ! (देवपुरी वंदना) आज जैन समाज का हर वर्ग जानता है कि हमारी आस्था एवं संस्कृति पर कब्जा व आघात करने वाले और कोई नहीं राजनैतिक संरक्षण प्राप्त अजैन समाज ही है ।
फिर भी हमारे समाज के सिर्फ व्यक्तिगत हित वाले व्यक्तित्व या कहा जाए तो अपनी महत्वाकांक्षा व नाम, पद की मौह लालसा प्रिय समाज बंधु अपने ही समाज का अहित करते हुए अपनी रोटी सेकने में लगे हैं। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण गिरनारजी,शिखरजी, गोमट गिरी तो है ही जिसका जैन समाज के हित में कोई निर्णय नहीं आता हुआ दिख रहा है इसके बावजूद भी हमारा श्रेष्ठी वर्ग फिर भी चुनाव चलते समय में अजैन राजनेताओं को स्वयं तो अपने निजी फायदेमंद व्यापार या अन्य स्रोतों के चलते तवज्जो देते ही आ रहे व देना भी चाहिए यही एक सफल व्यापारिक की पहचान है
मगर जिस कुल, परिवार, समाज से उनकी पहचान है उसी समाज को खोखला कर क्या जताना चाहते हैं ।
विगत दिनों ही गोमट गिरी पर गुर्जर समाज द्वारा गोमट गिरी पहाड़ी पर प्रशासनिक आदेश को ताक में रखते हुए अराजकता पूर्वक जेसीबी मशीन द्वारा अनैतिक तौर पर वृक्षों की कटाई करते हुए उनके हित में रास्ता निकालने के लिए पहाड़ी की खुदाई की गई थी तब शहर में गोमट गिरी से कुछ ही दूरी की कॉलोनी में मुनी श्री 108 आदित्य सागर जी ससंघ विराजमान थे तब गोमट गिरी के पदाधिकारी कलेक्टर से लेकर अजैन राजनेताओं से गुहार लगाने में व्यस्त थे जिसका नतीजा भी सबके सामने रहा ।
‌ जब पदाधिकारीगणो कि उक्त करवाई का नतीजा कुछ नहीं निकला फिर अब आचार्य श्री 108 पुलक सागर जी , आचार्य श्री 108 प्रमाण सागर जी, मुनि श्री 108 सुधा सागर जी, मुनि श्री 108 आदित्य सागर जी सहित अन्य साधुओं से गोमट गिरी पर हो रहे अतिक्रमण को मुक्त करवाने में मदद एवं मार्गदर्शन का निवेदन किया है ।
एक और तीर्थ पर कब्जौ की बात चल रही है वहीं दूसरी ओर अजैन राजनेताओं को समाज वर्ग आने वाले आयोजन के लिए साधने में लगे हैं ? क्या जैन समाज के श्रावक -श्राविकाओ ने अपना वजूद खो दिया है ?

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