राजस्थान में कई विधानसभा सीटों पर जैन समाज की प्रबल दावेदारी बनती है
जयपुर! (देवपुरी वंदना ) कहां गया हमारा जैन मारवाड़ी क्षत्रिय वीर का जोश क्या वह भी महत्कांक्षाओं की भेट चढ़ गया है। या अब जैन क्षत्रिय वीरो के शरीर में रक्त की जगह ठंडा पानी बहने लग गया है ? जागो मारवाड़ी जैन क्षत्रिय वीर यह अंतिम मौका है । अपने कुल, परिवार, समाज, धर्म , तीर्थ ,संस्कार ,संस्कृति, राष्ट्र को बचाने का वरना शायद ही बाद में मौका मिले राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी जीवंत , सक्रिय , सहभागिता निभाने का अवसर न चुके कोई राजनैतिक दल जैन समाज के उम्मीदवार को अनदेखा कर देता है तो उन्ही दल को निर्दलीय रूप में अपनी ताकत दिखाएं । राजस्थान की वीर भूमि पर जैन बाहुल्य क्षेत्र जैसे
ब्यावर,मसूदा/भिनाय/केकड़ी
अलवर,बाड़मेर ,बालोतरा चोहटन अंता ,छबडा, हिण्डोली,भीलवाड़ा
माण्डलगढ़ ,बेंगू,बडीसादडी
सरदार ,शहर/लाडनू ,राजाखेडा
मालवीय नगर ,सांगानेर ,सिविल लाइन्स ,भीनमाल,जैसलमेर
जोधपुर ,कोटा उत्तर ,कोटा दक्षिण
मेड़ता,पाली,सुमेरपुर,प्रतापगढ़
राजसमंद ,सिरोह,टोंक ,उदयपुर
मावली ,निम्बाहेड़ा ,खानपुर
इसके अलावा भी राजस्थान के कई विधानसभा क्षेत्रों के परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता जैन समाज के पास है। बक़ौल मुनि श्री 108 पुंगव सुधा सागर जी के अनुसार जैन समाज किसी क्षेत्र में जीतने की स्थिति मे् नहीं होने के बावजूद जीतने वाले को हराने और हारने वाले को जीताने की क्षमता रखता है अर्थात् निर्णायक स्थिति में है! ऐसे भी कम से कम दस से बारह क्षेत्र है, जैसे बीकानेर, रानी, फालना, चित्तौड़गढ़, किशनपोल बाज़ार, आदर्श नगर इत्यादि।
हमारी एकजुटता नहीं होना, अंधभक्ति में लीन होना, हमारे समाज की सबसे बड़ी कमजोरी है, हम नाम, पद ,प्रतिष्ठा छोड़कर जैन समाज का दामन थाम लें तो सारे राजनैतिक दल हमारे आगे-पिछे घूमने लगे हैं हमारी मानसिक ग़ुलामी ने समाज को दो कौड़ी का बना दिया है, हमारा स्वाभिमान और आत्म सम्मान मर चुका है, हम समाज के नाम पर एकजुट होकर मतदान करने को तैयार नहीं है, इसलिए कई बार हमने अवसरों को गँवाया है, व गवते आ रहे हैं जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमारे मंदिर, तीर्थो पर कब्जे होते आ रहे हैं ।