श्री महावीर जी की सच्चाई बताने वाले श्रावक पर कानूनी कार्यवाही क्यों …?

इंदौर ! ( देवपुरी वंदना ) श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षैत्र श्री महावीर जी जिला करौली राजस्थान मैं विगत दिनों पदाधिकारीयो की उदासीनता कहे या महत्वाकांक्षा ? एक झंडा और डंडा महत्वाकांक्षी पदाधिकारी पर भारी हो गया । सजग, जागरूक प्रत्यक्ष प्रमाण सहित झंडा लगने की सूचना देने वाले पर सोई हुई कमेटी द्वारा कानूनी कार्रवाई ?
और झंडा और डंडा लगाने वाले अजैन पर धार्मिक भावना का सौहार्द अजैन मीणा समाज के व्यक्तियों पर एकता की भावना का नाम और जो सच्चाई बताने वाले श्रावक परअफवाह फैलाने का आरोप क्यों ? अगर तीर्थ रक्षा सुरक्षा कमेटी के पदाधिकारी इसी प्रकार अपने नाम पद को बचाते रहेंगे तो गिरनार जी , गोमटगिरी की तरह यहां पर भी स्थानीय अजैन समाज द्वारा अपना हक जताने का प्रयास धीरे-धीरे चालू हो जाएगा जिस के बाद में आने वाले पदाधिकारी समझौते की ओर रुख करेंगे ? इस घटनाक्रम के बाद अध्यक्ष श्री सुधांशु कासलीवाल जयपुर से चर्चा करनी चाही पर व्यस्तता के कारण वह अपना मोबाइल नहीं उठा पाए और नहीं बाद में छूटी कॉल का जवाब दिया गया ।

महावीर जी में अगर देखा जाए तो या अगर कमेटी के पदाधिकारी को जानकारी हो तो क्षेत्र पर अपने जैन समाज के श्रावक बंधुओं द्वारा ही उनकी श्रद्धा ,भक्ति ,व भावनाओं के अनुरूप ही दान दिया जाता है जिसके फल स्वरुप ही वहां की व्यवस्था चलती है ना की कमेटी के पदाधिकारीयो के दान से जब सुरक्षा कर्मियों को वेतन देकर सुरक्षा करवाई जाती है तो यह उनकी सुरक्षा में संदैह का कार्य या मिली भगत का क्योंकि लंबे – चौडे व इतनी ऊंचाई पर झंडा और दंडा ले जाने वाला कोई बाहरी व्यक्ति तो नहीं हो सकता है ? जो यह कार्य खुली आंखों से देखने वालों को लग रहा है ? असुरक्षित कार्य के बाद वहां स्थित वेतन देय पंडित जी द्वारा कमेटी के पक्ष में सफाई वाचन किया गया साथ ही कानूनी कार्यवाही का उल्लेख भी किया गया ।
उस व्यक्ति का बहुत-बहुत धन्यवाद जिस ने एक सजगतापूर्वक जिम्मेदार श्रावक की भूमिका निभाने मैं अपना प्रथम सहयोग किया और समाज को सूचना दी न की जिम्मेदार महावीर जी की कमेटी के पदाधिकारीयो द्वारा जागरूक श्रावक पर कानूनी कार्रवाई की धमकी अब दिगंबर जैन समाज स्वयं सोचे – समझे अपनी हठधर्मिता अपने पद नाम को बचाने वाले पदाधिकारियों जो स्वयं सामने न आते हुए एक सूचना देकर अपने दायित्वों से मुक्ति पा लेते हैं ?
आज हमारे समाज तीर्थ मंदिरों पर इसी उदासीनता के चलते कब्जो की प्रक्रिया बढ़ती जा रही है और हम हाथ पर हाथ धरे आंखें बंद कर हमारे पूर्वजों के
द्वारा दिए गए संस्कार, संस्कृति और धरोहर से‌ हम हमारी वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को सिर्फ फोटो में ही तीर्थ क्षेत्रौ के दर्शन कराने की योजना में अग्रसर होते जा रहे हैं इसे श्रवण गण अपनी कमजोरी समझे या फिर महत्वाकांक्षी पदाधिकारी की योजनाओं का एक दौर …..

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