महावीर जी पर लगा वह हरे रंग का ध्वज कितने ही अनसुलझे प्रश्नों को लहर गया
इंदौर! ( देवपुरी वंदना ) केवल और केवल मात्र 9 दिन का घटनाक्रम एक नई इबादत लिखा गया ?
जहां लगभग पांच राज्यों जैन सामाजिक ब॑धुओ का जिस क्षेत्र पर हमेशा ताता लगा सा रहता है चाहे कोई सा भी मौसम हो ठंड गर्मी, बरसात हो यहां पर हमेशा दिन प्रतिदिन श्रावक जनों का आना-जाना लगा रहता है अपनी श्रद्धा भक्ति और आस्था सदैव महावीर जी पर बनाए रहने वाले स्थल पर भी मायाचारी होने का सिलसिला देखने में आने लगा है
ट्रस्ट कमेटी अपने मनचाहे महत्वाकांक्षी पद को बनाए रखने के लिए किस हद तक गिर सकता है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण विगत अल्प दिनो मे बहुत ही सही ढंग से सभी को देखने व सुनने को मिला
जिससे श्रावक जन को यह जानने में आसानी लगी की ट्रस्ट कमेटी किस तरह अपने फायदे के लिए अपनों से कमजोर व्यक्तियों को दबाने को अपना हक मानती है चाहे गलती अपनी स्वयं की रही हो अपनी कमजोरी को छुपाने के लिए सभी प्रकार के शाम -दाम – दंड भेद को उपयुक्त करने की आवश्यकता है । महावीर जी तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कमेटी सबकी नजरों से बचते हुए अभी तक न जाने कितने ही ऐसे महत्वाकांक्षी कार्य कर चुकी होगी मगर कहां जाता है कि देर जरूर होती है मगर अपने किए गए कार्यों की गणना जरूर होती है ।
झंडा प्रकरण एक अनसुलझा प्रश्न कहे या रहस्य को उजागर करने में राह दिखा गया महावीर जी ट्रस्ट कमेटी के पदाधिकारी अपनी जिम्मेदारी को किस तरह अपने अनुसार निभा रहे हैं ।
जागरूक श्रावक संदीप जैन ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी कहे या तीर्थ प्रेम किसी गलत कार्य की जानकारी देना अपने जीवन भर के लिए एक नासूर पैदा करना हो गया है माना उसे जमानत मिल गई मगर वह न जाने कब तक एक अपराधी की जीवन शैली जिएगा । वह मन ही मन उस समय को कौस रहा होगा जब उसने अतिश क्षेत्र महावीरजी पर लगे उस झंडे को देखा होगा और उसने उसे झंडे की फोटो अपने मोबाइल पर कैद की होगी ।
संदीप जैन की ने जो गलती करी उसकी सजा वह भुगत के बाहर आ गया ।
मगर ट्रस्ट कमेटी उस अज्ञात व्यक्ति को अभी तक इतने महंगे सुरक्षा कैमरो से कोई बुद्धिजीवी वर्ग फायदा नहीं ले पाया यहां तक तो ठीक है जब धर्मादे के मध्य से सुरक्षा कर्मियों को उनकी मेहनत के अनुसार वेतन देने के बाद भी अपने तीर्थ पर सभी को दिखने वाले गलत कार्य को करने वाले व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाए ?
9 दिन के प्रकरण में घटनाक्रम दिन से ही तीर्थ क्षेत्र महावीर जी के अध्यक्ष द्वारा जानकारी बतौर लगाए गए सुविधाजनक मोबाइल को भी अनसुना व अनदेखा किया गया ..?
क्यों तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने अपने द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण को अलग-अलग बातों से पेश किया ? क्या वह स्वयं भूल गए की पहले हमने क्या कहा था व दूसरे स्पष्टीकरण में क्या कहां है ?या अपनी महत्वाकांक्षा उनको यह सब करने के लिए लालाहित कर रही थी ! अब देखना यह है कि ट्रस्ट कमेटी इस घटनाक्रम से क्या सबक लेती है । या भूलकर किसी बड़ी घटना का इंतजार करती है ?