भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षैत्र कमेटी के चुनाव 28 जनवरी 2024 को

इंदौर! ( देवपुरी वंदना ) तीर्थ बड़ा ही प्यारा शब्द है तीर्थ का मतलब ही मानवीय जीवन को तिराने वाला होता है। तीर्थ का दूसरा स्वरूप स्थावर है। पूरे देश में हमारे अनेकों दिगंबर जैन प्राचीन तीर्थ विद्यमान हैं, जिनकी गरिमा, महिमा और अलौकिकता बेमिसाल है। इन प्राचीन जैन तीर्थों में कालजयी प्रतिमाएं उन तीर्थंकरों की स्थापित हैं, जिन्होंने माया-मोह, मान सम्मान, का परित्याग कर कैवल्य पद प्राप्त कर लिया है। जैनवाद जिन अर्थात् इंद्रिय विजयी वीरों महावीरों का पथ है। इन सभी प्राचीन मूर्तियों से ऐसा तेज झलकता है, ऐसी दिव्य चमक दिखलाई पड़ती है, जो प्रेरक निमित्त बनता है सम्यक्त्व की साधना का। तीर्थों एवं वहाँ पर स्थापित मूर्तियों के दर्शन मात्र से आम जिंदगी के तनावों, आंतरिक संघर्षों और सांसारिक संतापों से मुक्ति मिल जाती है। अतीत के शिल्पियों द्वारा पाषाण प्रतिमाओं में जीवन का सार तत्व उकेर कर रख दिया है हमारी संस्कार ,संस्कृति, श्रद्धा ,भक्ति एवं आस्था के पहचान तीर्थ क्षेत्रों की रक्षा – सुरक्षा के लिए तीर्थ क्षैत्र कमेटी का उन्नीसवीं शताब्दी समाप्त होने के पूर्व सन् 1899 ई.में मुंबई निवासी दानवीर, जैनकुलभूषण, तीर्थ भक्त सेठ माणिकचंद हिराचंदजवेरी के मन में सबसे पहले उदित हुआ ।
सेठ साहब मुंबई प्रांतीय दिगम्बर जैन सभा के सर्वेसर्वा थे। अपने संकल्प को साकार करने के लिए उन्होंने उसी सभा में तीर्थ रक्षा विभाग की स्थापना कि जिसे एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रखा भारत देश के तीर्थ क्षैत्र मुख्यतः उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य – प्रदेश,छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आसाम,राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल , आंध्र – प्रदेश के साथ – साथ अन्य प्रांतों में भी सतत आज तक जारी है उसी के दायित्व को निभाते हुए व्यवस्था अनुरूप आगामी नए कैलेंडर वर्ष -2024 के प्रथम माह में 28 जनवरी को महाराष्ट्र प्रांत स्थित (नासिक रोड ) श्री 1008 दिगंबर जैन अतिशयकारी णमोकार तीर्थ क्षैत्र (चंद्रवाड़ा) में होने जा रहा है !
विस्तृत जानकारी के लिए कमेटी के कार्यालय पर संपर्क करें।

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