देवशास्त्र गुरु की वाणी को सेव करो बाकी सब डिलीट करो.. -मुनि श्री 108 पूज्य सागरजी
इंदौर ! माँ अहिल्या की नगरी स्थित नवग्रह जिनालय ग्रेटर बाबा की पुण्य धरा पर चल रहे श्री कल्पद्रुम महामंडल विधान के द्वितीय दिवस पर श्रमण संस्कृति के उन्नायक अंतर्मुखी परम पूज्य श्री 108 पूज्य सागरजी गुरुदेव ने अपने आशीर्वचन में कहा की – हम सब यहाँ बैठ कर पूज्यो की आराधना कर रहे है, आचार्य भगवन कहते है –
“अपने मनुष्य रूप भव ही ऐसा भव है जहा हम हमारे तन-मन-धन से हमारे भाव को सुधार सकते है. तप, त्याग, दान हमारे पाप कर्मो का अर्जन करता है. मन वचन काय से कर्म का बंधन होता है. जब हम सरकारी नौकरी में जाते है, तब हमे कई प्रकार की ट्रेनिंग लेनी पड़ती है. फिर हम भक्ति भाव, पूजन करने की ट्रेनिंग क्यूँ नहीं लेते. आप विचार करना, क्या आप रावण से भी ज्यादा शक्तिशाली है क्या?..
जब उसका कर्म ही उसके विनाश का कारण बन गया, तब आप का कर्म आपके पुण्यो का उदय किस प्रकार करेंगे.”
किसी को समझाने के बजाए स्वयं समझे तो आपको किसी को समझाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. आप देवशास्त्र गुरु की वाणी को सेव करे बाकी सब डिलीट करे. आपका आयु कर्म आ जाए तो कोई नहीं बचा सकता, पुण्य ही आपको बचाता है.मृत्यु होने पर 100रुपए का कफ़न ही लगता है ना की 5000 का.इसके पूर्व प्रातः काल की गुलाबी ठंड के वातावरण में मुनिश्री की मुखारविन्द से गजेन्द्र जैन एवं राजीव जैन, चक्रवर्ती परिवार व साथी चक्रवर्तियो के साथ इन्द्रो ने शांतिधारा कर श्रीजी के चरणों के गंधोदक को सरमाथे लिया. साथ ही नगर पुरोहित पंडित नितिन झांझरी, पंडित विनोद पगारिया एवं पंडित कीर्तिश जैन के सानिध्य में संगीतमय वातावरण के हर्षोल्लास में नित्य नियम की पूजन के साथ श्री कल्पध्रूम विधान पूजन का लाभ लिया. इस अवसर पर मुनिश्री के पादप्रक्षालन का लाभ सर्व श्री तन्मय कासलीवाल,आयुष पाटनी को मिला. शास्त्र भेट करने का सौभाग्य शैलेन्द्र कुमार बाबूलाल जैन(मोडीवाले),सुभद्रा आनंद गोधा को प्राप्त हुआ.
मंगल दीप प्रज्वलन देवेन्द्र सोगानी, चन्द्र प्रकाश गोधा, ऋषभ पाटनी, दिलीप जैन आदि ने किया. मंगलाचरण रितेश पिंकी कासलीवाल,सौरभ प्राची छाबड़ा, हर्ष अन्नू पाटनी ने किया.
इस पावन पुनीत अवसर पर समाज के श्रेष्ठी हेमचंद झांझरी, अशोक काला, भरत मोदी, नकुल पाटोदी, सुभाष सामरिया, कैलाश लुहाडिया, प्रकाश छाबड़ा, मनोज पाटोदी एवं प्रयत्न ग्रुप के सभी साथियो ने मुनिश्री के चरणों में श्रीफल भेट कर मंगल आशीर्वाद लिया. विधान की मंगल बेला के अंतर्गत सायंकाल को श्रीजी व गुरुदेव की भक्तिभाव पूर्वक मंगल आरती, जिनभक्ति व गुरुभक्ति, भक्तामर, दीपर्चना कर भक्तो ने अपने मानव जीवन को सार्थक कर पुण्य लाभ लिया.
आयोजन समिति के नरेन्द्र वेद व हितेश कासलीवाल ने विशेष जानकारी देते हुए बताया की 2024 के प्रथम दिवस पर कल्पद्रुम महामंडल विधान के तहत प्रातःकाल मंगलाष्टक के बाद विधान मंडप में विराजित समस्त जिन प्रतिमाओं के अभिषेक एवं शांतिधारा चक्रवर्ती समूह द्वारा किये जाएंगे. इसके बाद विनय पाठ, पूजा पीठिका, नवदेवता पूजा के पश्चात ध्वज भूमि, कल्प भूमि एवं भवन भूमि पूजा के अंतर्गत इंद्र-इंद्राणीयो के समूह द्वारा विधान मंडल पर अष्टद्रव्य श्रीफल युक्त शताधिक अर्घ समर्पित किये जाएंगे. ..