हम अपनी संस्कृति छोड़ पाश्चात संस्कृति की ओर न बढे – मुनिश्री पूज्य सागरजी
इंदौर | माँ अहिल्या की नगरी के पश्चिम क्षेत्र स्थित अतिशयकारी नवग्रह जिनालय ग्रेटर बाबा में चल रहे नव दिवसीय श्री 1008 कल्पद्रुम महामंडल विधान में अंतर्मुखी मुनि श्री 108 पूज्य सागरजी महाराज एवं क्षुल्लक श्री 105 अनुश्रवण सागरजी महाराज के आशीर्वाद एवं सानिध्य में अनेको धर्माविलाम्भी श्रावकगण सहभागिता कर धर्म लाभ ले रहे है. आज छठे दिन गुरुदेव ने अपने आशीर्वचन में कहा की जीवन बहुत ही अप्रत्याशित है, हम अपनी पहचान खोते जा रहे है. जैन सिद्धांतो का पता भूल गए है, हम आने वाली पीढ़ी को पंथवाद-संतवाद के चक्रव्यूह में ढकेलते जा रहे है. आपका बच्चा भले सब कुछ जानता होगा लेकिन तीर्थंकरो के नाम एवं चिन्ह तक उसे पता नहीं होगा. जीवन में कुछ मांगना है तो यह मांगना की हम अपनी आराधना से अपने समाज-देश के संस्कार, संस्कृति को बचा सके. अपना यह देश एसा देश है की जहा अपने आराध्य तीर्थंकरो का जन्म हुआ है.कोण हम अपने जीवन को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के पुरषार्थ से आगे बढ़ा सकते है. आज की युवा पीढ़ी को भौतिक साधनों की जानकारी है मगर संस्कार संस्कृति से कोसो दूर होते जा रहे है. आज हम शादी-ब्याह जैन सिद्धांतो के आधार पर क्यूँ नहीं कर रहे है?.. शादी के बाद संस्कार संस्कृति बदल जाती है, जैन संस्कृति का पहनावा भी बदलता जा रहा है. जेसा आचरण करोगे वैसा ही भव मिलेगा. धार्मिक अनुष्ठान तो बहुत होते है मगर ऐसे धार्मिक व्यक्ति का सम्मान नहीं कर सकते है जो जैनत्व को बचा रहा है. आज हम साधना-आराधना करने वाले व्यक्ति को नज़रअंदाज कर देते है. प्रायः ऐसा देखा जाता है की आज की संस्कृति को देखे तो जैन समाज भी दो भागो में बटता जा रहा है, एक तामसी प्रवृत्ति और दूसरी संपूर्ण शाकाहारी प्रवृत्ति. आज अपनी संस्कार संस्कृति को छोड़ने वालो ने जैन धर्म के सिद्धांतो को हड़प लिया है. यदि जैनत्व के सिद्धांत नहीं बचे तो जिनेन्द्र देव की आराधना भी हम नहीं कर सकेंगे. मेरा आप सभी से अपने संस्कार संस्कृति को बचाने का निवेदन है, कही बहुत देर ना हो जाये और हम अपने जैनत्व को खोते हुए आने वाली पीढ़ी को अपने नाम के आगे जैन लगाने का मौका तक ना दे.
प्रातः काल में सूर्य की प्रथम किरण के साथ प्रतिष्ठाचार्य विनोद पगारिया, पंडित किर्तेश जैन के सानिध्य में तीर्थंकरो की 64 रिद्धि, सर्व साधू की तथा आर्यिकाओ की अष्ट द्रव्य श्रीफल चढ़ा कर महार्चना की गई. जिसमे कमल-रश्मि जी बडवाह परिवार ने शांतिधारा के साथ दिन की शुरुआत की. संगीतमय वातावरण में कशिश जैन एवं चहेती जैन, स्मृति नगर के साथ उन्मुक्त आनंद मानव सेवा संसथान, कालानी नगर के बच्चो ने आकर्षक मंगलाचरण की प्रस्तुति दी. इस अवसर पर दीप प्रज्वलन का अवसर हेमंत जी सेठ, संजय शाह परिवार बासवाडा को मिला. मुनिश्री के पाद प्रक्षालन का लाभ महोत्सव समिति के प्रमुख नरेन्द्र शकुन्तला वेद परिवार ने लिया. साथ ही जिनवाणी भेट का लाभ जय जिनेन्द्र महिला मंडल अंजनी नगर एवं सुनील जैन बडवाह परिवार ने लिया.
आज के शुभ अवसर पर गाँधी नगर महिला मंडल, व्यंकटेश नगर महिला मंडल, नंदा नगर महिला मंडल, किशनपुरा महिला मंडल, सुखलिया महिला मंडल के साथ-साथ गुरुदेव के जन्मस्थली पिपलगोंन दिगंबर जैन समाज ने मुनिश्री के समक्ष श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद लिया. समाज श्रेष्ठी डॉक्टर देवेन्द्र जैन, विजय जैन, मुकेश टोंग्या ने मुनिश्री के समक्ष श्रीफल अर्पित कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया.
इस शुभ अवसर पर आज नरेश कुमार जी जैन (कपटी परिवार) ने अपने नवजात पुत्र के नाम संस्करण की विधि भी गुरुदेव के आशीर्वाद एवं मुखारविन्द से करा कर धर्मामयी माहोल में और चार चाँद लगा दिए.
महोत्सव समिति के प्रफुल्ल जैन व हितेश कासलीवाल ने जानकारी देते हुए बताया की विधान के अंतिम कुछ दिनों के बचने के उपरांत श्रावकगणों में धर्मलाभ लेने की होड़-जोड़ लगी हुई है. सभी श्रावक अपने-अपने परिजनों को विधान में आकर धर्मलाभ लेने का आव्हान कर रहे है.