धर्म प्रभावना के नाम पर हम संस्थान-कमेटी में क्यूँ बट जाते है.. – मुनिश्री पूज्य सागरजी

इंदौर | माँ अहिल्या की नगरी के पश्चिम क्षेत्र स्थित अतिशयकारी नवग्रह जिनालय ग्रेटर बाबा में चल रहे नव दिवसीय श्री 1008 कल्पद्रुम महामंडल विधान में अंतर्मुखी मुनि श्री 108 पूज्य सागरजी महाराज एवं क्षुल्लक श्री 105 अनुश्रवण सागरजी महाराज के आशीर्वाद एवं सानिध्य में अनेको धर्माविलाम्भी श्रावकगण सहभागिता कर धर्म लाभ ले रहे है. आज सातवे दिन गुरुदेव ने अपने आशीर्वचन में कहा की बाज़ार में बहुत सी वस्तुए बिकती है जिस तरह सज्बी मंडी में आवाज़ लगा कर सब्जी बेचने वाले बेचते है परन्तु हम मात्र उसी का नाम सुनते है जो हमे लेनी होती है. ठीक उसी प्रकार गुरु की वाणी में भी हम उसी बात को सुनते है जो हमारे अनुकूल बैठती है. आपने अपने परिवार, समाज में क्या कार्य किया है, इस संसार में उसी को याद रखा जाता है जिन्होंने कुछ किया हो. आपका घर व्यापार कितना भी भव्य या आलिशान हो, समाज के योग्य कार्य नहीं किया तो आपको कोई याद नहीं रखेगा. आज महात्मा गाँधी को अभी के समय में किसी ने नहीं देखा परन्तु आज हम पीढ़ी दर पीढ़ी उन्हें याद करते है क्यूँ कि स्वतंत्रता संग्राम में भले ही कितनो का सहयोग हो परन्तु महात्मा गाँधी को उनके आचरण के कारण याद करते है. आपने आपके जीवन में आपके धन को धर्म में नहीं लगाया तो वह धन व्यर्थ है. मरने के बाद चार व्यक्ति कंधे पर ले जाते है, परन्तु आपके कर्म ओर समाज में सेवा के कारण आपको याद करते है वरना जलने तक आपको बद्दुआ ही मिलती है. दान आपके पुण्य के संचय को बढ़ता है, ओर यदि यही दान पुण्य की प्रवृत्ति अपने बच्चो को नहीं दी तो वह आपके दुख का कारण बन जाता है. जिस प्रकार एक चिड़िया एक बूँद पानी से आग बुझाने का प्रयास करती है, क्या आप भी अपने तीर्थ क्षेत्रो को बचाने के लिए पांच रुपए भी नहीं निकाल सकते? क्यूँ कि हमारी उदासीनता तीर्थ क्षेत्रो को अदालत की कार्यवाही में करोडो रुपए का नाश करवा चुकी है. समाज की तीर्थ क्षेत्र कमेटी हो या अन्य कोई संस्था हो, सभी ने अपने घर को महल बना दिया परन्तु तीर्थो व मंदिरों की दुर्दशा कर गए. जब हम जी.एस.टी. का टैक्स ना भरे तो नोटिस आ जाता है, फिर हम दान का छठा भाग मंदिरों के सुरक्षा के लिए क्यूँ नहीं देते? क्या जीवनभर तीर्थ क्षेत्र कमेटी केस ही लडती रहेगी? पद पर बेठने वाले व कार्य करने वालो के विचारो में भिन्नता हो सकती है, परन्तु धर्म प्रभावना एक साथ होनी चाहिए. साधू, समाज आज अपनी वाह-वाही के लिए प्रति माह की प्रशस्ति तक मिटा देते है. फिर हम जैन कहलाने के योग्य किस प्रकार है? तीर्थो की सुरक्षा व धर्म प्रभावना के नाम पर हम संसथान-कमेटी में क्यूँ बट जाते है? आज जब समाज जा युवा वर्ग योग्य है तो फिर हम अपनी कुर्सी बचाने के लिए उन्हें आगे क्यूँ नहीं लाते? इसी के चलते हमारे तीर्थो पर अन्य समाज कब्ज़ा रहा है और हम अदालती केस लड़ते रहते है.
इसके पूर्व, प्रतिष्ठाचार्य विनोद पगारिया, पंडित किर्तेश जैन के सानिध्य में नित्य नियम की पूजा के बाद 120, 96, 96, 24 अर्घ कुल मिला कर 336 अर्घ समर्पित किये. जिसमे विनोद कुमार जैन परिवार (ए-1 नमकीन), स्मृति नगर ने शांतिधारा के साथ दिन की शुरुआत की. संगीतमय वातावरण में विधि-रोबिन जैन, पिपलगोंन ने आकर्षक मंगलाचरण की प्रस्तुति दी. इस अवसर पर दीप प्रज्वलन का अवसर राजेश जैन शाह उदयपुर, उषा पाटनी, देवेन्द्र पाटोदी, छावनी को मिला. मुनिश्री के पाद प्रक्षालन का लाभ श्रीफल फाउंडेशन के फाउंडर ट्रस्टी राजेश जैन शाह उदयपुर ने लिया. साथ ही जिनवाणी भेट का लाभ छावनी दिगंबर जैन महिला मंडल व कंचन बाग़ महिला मंडल ने लिया.
आज के शुभ अवसर पर जैन कॉलोनी, बियाबानी, विजय नगर, कालानी नगर, क्लर्क कॉलोनी, चन्द्रनाथ जिनालय अम्बिका पूरी जैन समाज व महिला मंडल ने मुनिश्री के समक्ष श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद लिया. समाज श्रेष्ठी इन्द्र सेठी, कैलाश वेद, पी.सी.जैन, हेमंत गदिया, पंकज जैन (गायक) ने मुनिश्री के समक्ष श्रीफल अर्पित कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया.
महोत्सव समिति के कमलेश जैन व संजय पाटनी ने जानकारी देते हुए बताया की आगामी दिनांक 6 व 7 जनवरी को अतिमहत्वपूर्ण आयोजन होने जा रहे है, जिसमे कलमकार पत्रकारों का अभिनन्दन किया जाएगा. समाज से आग्रह है की अधिक से अधिक संख्या में पधार कर मुनिश्री का आशीर्वाद प्राप्त कर धर्म लाभ लेवे

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