भगवान के प्रति तन्मयता हो तो मोबाईल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी – मुनिश्री पूज्य सागरजी
इंदौर | श्रमण संस्कृति के उन्नायक दिगाम्बराचार्य श्री 108 अभिनन्दन सागरजी महाराज के प्रभावक, दूरद्रष्टा, वात्सल्य मूर्ति सुशिष्य अंतर्मुखी मुनि श्री 108 पूज्य सागरजी महाराज की प्रभावना से इस कडाके की ठंड में भी श्रावक-श्राविका प्रातः काल से ही अपने मानवीय जीवन को श्रेष्ठ बनाने में लगे है. सभी को विदित है की माँ अहिल्या की नगरी के पश्चिम क्षेत्र स्थित अतिशयकारी नवग्रह जिनालय ग्रेटर बाबा में चल रहे नव दिवसीय श्री 1008 कल्पद्रुम महामंडल विधान का आज आठवा दिन भक्तिपूर्वक चल रहा है जहां गुरुदेव ने अपने आशीर्वचन में कहा की श्रावक-श्राविका दुसरो की कमी को न देखते हुए स्वयं के मन में बने कचरे को बहार निकाल फेके. जिसका प्रत्यक्ष उदहारण है जब एक दंपत्ति नई शादी के बाद शहर के एक छोटे से मकान में रहने जाता है जहा उनके सामने की छत पर रोज़ कपडे सूखते थे, उसे देख कर उसकी पत्नी रोज़ अपने पति से कहती थी की देखो सामने रहने वालो को कपडे ठीक से धोना नहीं आता. फिर अगले दिन भी पत्नी अपने पति को यही बात बताती है, पति कुछ नहीं कहता. एक दिन पत्नी अपने पति से कहती है की आज तो सामने वालो ने कपडे अच्छे धोये है तब पति कहता है की हां मुझे पता है, पत्नी पूछती है आपको केसे पता, पति कहता है की आज तुमसे जल्दी में उठ गया था ओर मेने उस खिड़की का कांच साफ़ किया ओर वापिस आकर सो गया. जिससे तुम्हे लगा की सामने वालो ने कपडे अच्छे धोये है. दरअसल कपडे हर रोज़ अच्छे धुल रहे है मगर हमारे ही घर की खिड़की गन्दी थी जिसके चलते हमे दुसरो के घर के कपडे गंदे लग रहे है. ठीक उसी प्रकार हमे दुसरो को धर्म का ज्ञान देने से पहले अपने आप मन में झांक लेना चाहिए की हम खुद कैसे अपने धर्म की प्रभावना कर रहे है. जब हम किसी की शादी में जाते है तब हम किस किस प्रकार के कपडे पहनते है और जब हम मंदिर जाते है तो किस प्रकार के कपडे पहनना चाहिए उसका ज्ञान नहीं होता.आज आपके बच्चो को फ़ोन हाथ में दे देते है, उसकी जगह यदि बचपन में उसे जिनवाणी हाथ में दी होती तो आज हमे नहीं रोंना पड़ता. आज बच्चे एसी चीजों का सेवन कर रहे है जो हमारे खाने तो क्या छूने योग्य भी नहीं है. यदि जिनवाणी के 2 पाठ भी अपने बच्चो को पढाये होते तो कुछ सोचने से पहले जिनेन्द्र भगवन व दिगंबर साधू संतो का चहरा और उनकी तपस्या मन में आ जाती. जिसके ह्रदय में भगवान विराजमान होते है वह कभी भी कोई गलत काम करने तो दूर करने का सोच भी नहीं सकता. यदि भगवान के प्रति तन्मयता हो तो मोबाईल की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी. आज के बच्चे सोने से पहले मोबाईल फ़ोन में आँखे गढ़ाए रखते है, कभी कभी तो फ़ोन चलाते चलाते ही नींद लग जाती है ओर सुबह उठते से सबसे पहली चीज मोबाईल में किसके व्हाट्सअप आये है वह देखने के लिए बैचेन हो जाता है. अपने बच्चो को शिक्षा ऐसी दो की वह सुबह उठे तो सबसे पहले जैन मंदिर जाकर जिनेन्द्र भगवान के दर्शन करे ना की मोबाईल फ़ोन के.
इसके पूर्व, प्रतिष्ठाचार्य विनोद पगारिया, पंडित किर्तेश जैन के सानिध्य में नित्य नियम की पूजा के बाद 1008 अर्घ श्रीजी के समक्ष समर्पित किये. जिसमे स्वर्गीय नेमीचंद है की स्मृति में प्रधुमन-नीना, अखिलेश-रश्मि जैन व अनिल जैन समैया परिवार ने शांतिधारा के साथ दिन की शुरुआत की. संगीतमय वातावरण में रूपल जैन ने आकर्षक मंगलाचरण की प्रस्तुति दी. इस अवसर पर दीप प्रज्वलन का अवसर डॉक्टर अनुपम जैन व प्रोफेसर सरोज जैन के साथ नरेन्द्र वेद को मिला. मुनिश्री के पाद प्रक्षालन का लाभ अनिलकुमार हेमचंद काला एवं राजेन्द्र झांझरी परिवार ने लिया. साथ ही जिनवाणी भेट का लाभ अनिल जैन समैया एवं हंसा जैन ने लिया.
इस शुभ अवसर पर डॉक्टर धीरेन्द्र जैन, विमल बडजात्या (कालानी नगर दिगंबर जैन समाज), डॉक्टर संजय जैन व डॉक्टर सोनल-प्रियदर्शी जैन के साथ-साथ विहर्ष सागर भक्त मंडल, गुप्तिसदन महिला मंडल, कालानी नगर महिला मंडल, स्मृति नगर बहु मंडल, जैन कॉलोनी महिला मंडल, महिला परिषद्, राजमोहल्ला महिला मंडल जेसे अनेको महिला मंडल एवं समाज ने मुनिश्री के समक्ष श्रीफल अर्पित कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया.
महोत्सव समिति के प्रमुख नरेन्द्र वेद एवं हितेश कासलीवाल ने जानकारी देते हुए बताया कल दिनांक 7 जनवरी को इस एतिहासिक विधान का अंतिम दिन है,जहां विश्वशांति महायज्ञ में आहुति देकर आयोजन का समापन किया जायेगा. साथ ही कूछ अतिमहत्वपूर्ण आयोजन भी होने जा रहे है,जिसमे देश के ख़ास पत्रकारों का अभिनन्दन किया जाएगा. समाज से आग्रह है की अधिक से अधिक संख्या में पधार कर मुनिश्री का आशीर्वाद प्राप्त कर धर्म लाभ लेवे.