फिरोजाबाद में 22 जनवरी को प्रथम आचार्य चारित्र चक्रवर्ती शांति सागर जी की मूर्ति स्थापना समारोह एवं नवीन वेदी शुद्धि

फिरोजाबाद ! (देवपुरी वंदना) बीसवीं सदी के प्रथमा चार्य चारित्र चक्रवर्ती श्री 108 शान्तिसागर जी महाराज के आचार्य पदारोहण शताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में आचार्य श्री के प्रतिमा की स्थापना एवं नवीन वेदी शुद्धि होने जा रही है। दिल्ली सूरत निवासी श्री आनंद अनुज जैन परिवार द्वारा आचार्य शांति सागर जी की मूर्ति प्रदान की गई है ।
स्थान-: श्री रत्नत्रय दिगम्बर जैन नाशिया जी मंदिर, कोटला रोड, फिरोजाबाद
दिनांक-: 22 जनवरी, 2024, वार सोमवार
पावन सान्निध्य-: गुरु गौरव प्रज्ञा श्रमण बालयोगी तत्त्वार्थ प्रतिपादक मुनिश्री 108 अमित सागर जी महाराज ससंघ गौरवशाली प्रकाश पुंज आचार्य कुन्द कुन्द,स्वामी समंतभद्र, विद्या नंदी, जिन सेन इत्यादि आचार्यों की जन्मभूमि तथा उपदेश से पवित्र कर्नाटक प्रदेश में आचार्य श्री 108 शांतिसागर महाराज का जन्म हुआ। बेलगाँव जिले में भोज ग्राम के भीमगौंडा पाटील की धर्मपत्नी सत्यवती थीं। सन् 1872 में आषाढ़ कृष्णा षष्ठी के दिन माता सत्यवती ने अपने पीहर येळगुळ में एक पुत्र को जन्म दिया। इस पुत्र का नाम ‘सातगौंडा’ रखा गया। ये ही आगे प्रथमा चार्य शांतिसागर जी हुए हैं। ‘आचार्य शांतिसागर जी के माता-पिता भोज ग्राम निवासी थे, लेकिन आचार्य शांतिसागर जी का जन्म येलगुळ ग्राम में नाना के घर हुआ। इसलिए दक्षिण में कुछ लोग येळगुळ को जन्मस्थान मान लेते हैं तथा कुछ लोग भोज ग्राम को जन्मस्थान मान लेते हैं। किन्तु आज भी देखा जाता है कि यदि किसी बालक का जन्म ननिहाल, अन्य शहर या हास्पीटल में हुआ होवे, तो भी जन्मभूमि पैतृक स्थान को ही माना जाता है। इस दृष्टि से भोज ग्राम को ही आचार्य श्री का जन्मस्थान मानना ठीक है।’ बाल्यावस्था में भगवान की भक्ति पूजा करना, त्यागी गणों को आहार दान देना, उनकी वैया वृत्य करना, दीन-दुखियों को सहायता पहुँचा ना आदि कार्यों में उनकी विशेष रुचि थी। छोटे-बड़े व्यसनों से दूर पिताजी ने सोलह वर्ष तक दिन में एक ही बार भोजन करने का व्रत लिया था। आचार्य श्री का बाल-जीवन इस प्रकार से सदाचार सम्पन्न माता-पिता की छत्र-छाया में व्यतीत हुआ। एक प्रकार से निसर्ग योजना में यह मणि कांचन संयोग ही था। सात गौंडा की लौकिक शिक्षा बहुत कम हुई। वे पाठशाला में तीसरी कक्षा तक पढ़ पाये। शिक्षा के आदान-प्रदान की व्यवस्था भी आज की अपेक्षा देहातों में अपेक्षाकृत कम थी। संस्कारशील माता-पिता के द्वारा घर में जो कुछ धार्मिक संस्कार हुए, केवल वे ही जीवनाधार बन गये। पाठशाला में भी सात गौंडा ने एक बुद्धिमान विद्यार्थी के रूप में ही प्रसिद्धि पाई थी।
22 जनवरी का ‌ :-विशेष आयोजन :-
प्रातः 6:15 बजे-: अभिषेक एवं शान्तिधारा
प्रातः 7:00 बजे-: ‌श्री शान्तिसागर विधान
प्रातः 9:00 बजे-: वेदी शुद्धि एवं मूर्तिस्थापना
प्रातः 9:30 बजे-:प्रवचन
प्रातः 10:00 बजे-: आहारचर्या
प्रातः 11:00 बजे-: स्वल्पाहार
संध्या काल में 6:30 बजे-108 दीपकों द्वारा संगीत मय महाआरती एवं दीपोत्सव भक्ति संध्या होगी जिस में क्षेत्रीय श्रावक-श्राविकाओं से सभी कार्यक्रम में भाग लेकर धर्मलाभ प्राप्त करने का आव्हान किया ।
:-‌ आयोजक -:
श्रीधर्मश्रुत शोध संस्थान
श्री संवेगसागर त्यागीव्रती आश्रम
श्री सर्वार्थसिद्धि पीयूष वर्षायोग कमेटी
– निवेदक – सकल दिगम्बर जैन समाज, फिरोजाबाद ( उत्तर प्रदेश ‌)
प्रज्ञाश्रमण नेटवर्क -9252830005, 8630130299

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