आर्यिका रत्न 105 पदम नंदिनी माताजी को शत शत नमन…

जुरहरा ! (मनोज नायक) दिगंबराचार्य श्री वसुनंदी महाराज की सुशिष्या साध्वी आर्यिका 105 पदम नंदिनी माताजी का मंगलवार प्रातः जैन धर्मशाला जुरहरा में समाधि पूर्वक देवलोक गमन हो गया । यह समाचार सुनकर आसपास की जैन समाज स्तब्ध रह गई ,बड़ी संख्या में जुरहरा पहुँच कर अंतिम विदाई दी गईं।
जुरहरा जैन समाज के अध्यक्ष महेंद्र जैन से प्राप्त सूचना के अनुसार पदम नंदिनी माताजी का मंगलवार प्रातः समाधिमरण हो गया तो जम्मू स्वामी तपोस्थली बोरखेड़ा पर विराजमान उनके गुरुवर आचार्य श्री 108 वसु नंदी महाराज के निर्देशानुसार निर्माणाधीन नेमिश्वर धाम पर अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार से पूर्व दिगंबर जैन मंदिर जुरहरा से नेमीश्वर धाम तक अंतिम विमान यात्रा निकाली गई तो जुरहरा वासियों सहित जैन श्रद्धालुओं ने नम आंखों से आर्यिका को विदाई दी।
अंतिम यात्रा तक जुरहरा के बाजार रहे बंद जैन साध्वी की अंतिम यात्रा निकाले जाने तक जोहर के बाजार बंद रहे और व्यापारियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर क्षुल्लक विशंक सागर महाराज ने कहा कि जैन दर्शन मृत्यु का शोक नहीं, महोत्सव मनाता है। अंतिम समय में उत्कृष्ट परिणाम के साथ चिरनिद्रा में लीन हो जाना ही जीवन का सर्वश्रेष्ठ सार है। क्षुल्लिका परम् नंदनी माताजी सहित संघस्थ ब्रह्मचारी भाइयों ने भी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर मुखाग्नि राजेन्द्र जैन जुरहरा,अमित जैन शंकर नगर दिल्ली द्वारा दी गयी तो पूजन अरुण जैन दिल्ली परिवार द्वारा की गयी।


जुरहरा से रहा अटूट रिश्ता‌‌ धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री संजय जैन बड़जात्या ने बताया कि दिवंगत जैन साध्वी का जुरहरा से अटूट रिश्ता रहा। तीस नवंबर 2008 को सीकरी कस्बे में जब माताजी को आचार्य वसुनंदी महाराज द्वारा जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान की गई तो जुरहरा निवासी राजेंद्र प्रसाद जैन व उनकी धर्मपत्नी शांति देवी जैन माता-पिता बने और तभी से माताजी का जुरहरा में निरंतर आवागमन रहा इस दौरान कई वर्षायोग भी जुरहरा में किये। मध्य प्रदेश के हटा जिला दमोह में जयकुमार जैन व आशा जैन के प्रांगण में जन्मी प्रीति प्रारंभ से ही धार्मिक संस्कारों से ओत प्रोत थी।जो संयम के मार्ग पर अग्रसर हो आर्यिका गुरु नंदनी माताजी से प्रेरित होकर आर्यिका बनी।
चल रहा था नेमीश्वर धाम का निर्माण जैन साध्वी पदम नंदनी का सपना जुरहरा की धरा पर नेमीश्वर धाम के रूप में साकार रूप ले रहा था। माताजी के निर्देशन में 23 मई 2022 को शिलान्यास के बाद तीव्रता से निर्माण चल रहा था अंतिम संस्कार के समय उपस्थित लोगों ने उसे सपने को साकार रूप देने का संकल्प भी लिया इस अवसर पर बड़ी संख्या में जैन श्रावक श्राविकाएं एवं जुरहरा वासियों के साथ आसपास की जैन समाजों के महानुभाव उपस्थित रहे।

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