यह हमारे अन्नदाता और हम कर दाता ..
इंदौर ! (देवपुरी वंदना )सुना है किसान अपने कड़े परिश्रम पर भरोसा करता हैं, और किसी अन्य पर नहीं। वह मौसम के किसी भी परिस्थिति की परवाह किये बिना खेतों में कड़ी मेहनत से अपना काम करता हैं। किसान सारे राष्ट्र को कई किस्मों के भोजन देने के बावजूद भी वह बहुत ही सरल भोजन करते हैं, और एक सादगी भरा जीवन जीते हैं! उसी प्रकार करदाता एक व्यक्ति या व्यवसाय इकाई हो सकता है जो केंद्रीय, राज्य या स्थानीय सरकार को करों का भुगतान करने के लिए बाध्य है।
व्यक्तियों और व्यवसायों, दोनों से कर सरकारों के लिए राजस्व का प्राथमिक स्रोत हैं।
भारत में, व्यक्तिगत करदाताओं को आम तौर पर प्रत्यक्ष कर होने पर केंद्रीय कर रिटर्न दाखिल करने और भुगतान करने की आवश्यकता होती है।
यदि यह एक अप्रत्यक्ष कर है तो राज्य कर रिटर्न भी समय-समय पर फाइल करने की आवश्यकता होती है।
व्यवसायों को भी वार्षिक रिटर्न दाखिल करना चाहिए, लेकिन आमतौर पर नियमित रूप से अनुमानित कर भुगतान की योजना बनाते हैं और तिमाही भुगतान करते हैं। हमारा कोई अन्नदाता नही है, हम मेहनत करके अपने एवं अपने परिवार का पेट भरते है। सो किसी को भी अन्नदाता कह कर हमारी मेहनत को शर्मिंदा व अपमानित ना करें। जितनी हमे अन्न की ज़रूरत है, उतनी ही किसान को भी उस की उपज बेचने की ज़रूरत है। हम एक दूसरे के पूरक है, ना किसान दाता, ना हम याचक कोई किसान यह नही कहता कि मैं अपने परिवार के लिए पर्याप्त अन्न के अलावा सारी उपज दान करूंगा। सो ज़बरदस्ती का अन्नदाता हम पर ना थोपे, अगर सही मायने में इस देश में कोई दाता है, तो वह “करदाता” है, जो अपनी कमाई का एक बहुत बड़ा हिस्सा देश कि उन्नति के लिए प्रदान करता है, वह करदाता जिसका कर पहले कटता है और तनख्वाह बाद में आती है, वह कर दाता जिसके कर से इन तथा कथित दाताओ को कई प्रकार की सब्सिडी और कर्ज माफी मिलती है। अगर इसी तरह चलता रहा तो कल को जीवन दाता (डॉक्टर), न्याय दाता (जज, वकील), ज्ञानदाता (शिक्षक), ईधन दाता (पेट्रोल पंप मालिक), दूध, चाय, शक्कर, तेल, कपड़े, सैनिक, इत्यादि उपयोग की वस्तुओं के दाताओं के संगठन प्रदर्शन के नाम पर सड़कें रोककर अराजकता फैलाने की प्रेरणा लेते रहेंगे ? और आप और हम हाथ पर हाथ धरे तमाशा बिन बनकर आंखें मूंद बैठे रहेंगे ..?