Dakhni chilli: टाइप 2 डायबिटीज को रिवर्स करने के लिए दखनी मिर्च कारगर साबित हो

Dakhni chilli proves effective in reversing type 2 diabetes

Dakhni chilli proves effective in reversing type 2 diabetes
Dakhni chilli proves effective in reversing type 2 diabetes

टाइप 2 डायबिटीज को रिवर्स करने के लिए दखनी मिर्च कारगर साबित हो सकती है।लाल मिर्च और काली मिर्च के फायदे जबान पर याद रहते हैं लेकिन सफेद मिर्च की उतनी बात नहीं की जाती। इसे दखनी मिर्च भी कहते हैं, जिसे सब्जी, दूध और लड्डू में मिलाकर उपयोग किया जा सकता है।

पुराने वक्त से इस जड़ी बूटी को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल करते हैं। सफेद मिर्च के दानों को पाउडर बनाकर इस्तेमाल करते हैं। इन दानों के अंदर पाइपेरिन और कैप्साइसिन मौजूद होता है। शोध बताता है कि ब्लड शुगर कम करने के लिए डायबिटीज की दवा के साथ पाइपेरिन लेना चाहिए। ये तत्व इंसुलिन के इस्तेमाल को बेहतर बनाते हैं और ग्लूकोज का इस्तेमाल बढ़ जाता है। जिन बच्चों या बुजुर्गों की नजर कमजोर हो गई है उनके लिए यह मिर्च खाना लाभदायक होता है। कहा जाता है कि इसका सेवन मोतियाबिंद जैसी आंखों की बीमारी से बचा सकता है। बादाम पाउडर, त्रिफला पाउडर, सौंफ और चीनी के साथ थोड़ा दखनी मिर्च पाउडर मिलाकर सेवन करें। इस देसी चूर्ण से खांसी, जकड़न या सर्दी का नाश किया जा सकता है। Dakhni chilli

दखनी मिर्च की तासीर गर्म

दखनी मिर्च की तासीर गर्म होती है व एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी बायोटिक गुण कफ की जड़ को मिटाने का काम करते हैं। शहद में मिलाकर इसे लेने से तुरंत फायदा मिलता है। दखनी मिर्च फ्लेवेनोइड्स से भरी है जो खून का सर्कुलेशन स्मूथ बनाती है। इस वजह से हाई बीपी के मरीजों को इसे खाने की सलाह दी जाती है। मोटापे के मरीजों का पाचन बढ़ाकर यह फैट बर्निंग को तेज करने में मदद करती है। बता दें कि सेहत की देखभाल करने के बाद भी कुछ बीमारियां शरीर को पकड़ ही लेती हैं, जिनमें डायबिटीज भी शामिल है। कई लोग ऐसे भी हैं जो डेली एक्सरसाइज करते हैं लेकिन उनका ब्लड शुगर हाई रहता है।

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यह मेटाबॉलिक बीमारी लाइलाज है जो इंसुलिन की गड़बड़ के साथ शुरू होती है। जबतक इसका लेवल बैलेंस नहीं किया जाएगा, तबतक डायबिटीज मेलिटस को कंट्रोल नहीं कर सकते। शरीर कई बार इंसुलिन का उत्पादन कम कर देता है और कई बार इसका इस्तेमाल करना ही बंद कर देता है। इसलिए तमाम तरीकों से इंसुलिन को बैलेंस करने की कोशिश की जाती है ताकि ब्लड शुगर का लगातार इस्तेमाल होता रहे। इस तरह खून में ग्लूकोज जरूरत से ज्यादा नहीं बन पाता।

source – ems

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