आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज ससंघ का चातुर्मास -2024 कोलकाता या बंगाई गांव में .

गुवाहाटी ! ( देवपुरी वंदना ) जैन श्रमण परम्परा में चातुर्मास का अत्यन्त महत्व है। आगामी 20 जुलाई 2024 शनिवार से यह आध्यात्मिक जागृति का महापर्व आ रहा है, जिसमें स्व पर हित साधन का अच्छा अवसर प्राप्त होता है। यही कारण है कि वर्षवास को मुनिचर्या का अनिवार्य अंग और महत्वपूर्ण योग माना गया है। इसलिये इसे वर्षायोग अथवा चातुर्मास भी कहा जाता है। भगवती अराधना में लिखा है कि ‘वर्षाकालस्य चतुर्षुमासेषु एकत्रैवावस्थानं भ्रमण त्याग’ अर्थात वर्षाकाल के चार महीनों में साधुओं को भ्रमण का त्याग करके एक स्थान पर रहने का विधान किया गया है। इसे श्रमण के दस स्थितिकल्पों में अन्तिम पर्युषणा कल्प के नाम से अभिहित किया गया है। ‘वृहतकल्पभाष्य’ में इसे ‘संवत्सर’ कहा गया है। वर्षाकाल में आकाशमण्डल में घटायें छाई रहती हैं तथा प्राय: वर्षा भी निरंतर होती रहती है। इससे यत्र—तत्र भ्रमण तथा विहार के मार्ग रुक जाते हैं, नदी नाले उमड़ जाते हैं। वनस्पतिकाय आदि हरितकाय मार्ग ओर मैदानों में फैल जाते हैं। सूक्ष्म—स्थूल जीव—जन्तु उत्पन्न हो जाते हैं। अत: किसी भी परजीव की विराधना तथा आत्म विराधना से बचने के लिए श्रमण धर्म में वर्षाकाल में एकत्र—वास का विधान किया गया है। यही समय एक स्थान पर स्थिर रहने का सबसे उत्कृष्ट समय होता है। श्रमण और श्रावक दोनों के लिये इस चातुर्मास का धार्मिक तथा आध्यात्मिक विकास की दृष्टि से महत्व है। इसी लिये श्रमण या उनके संघ के श्रावक चातुर्मास या वर्षायोग को सर्व प्रकारेण प्रिय और हितकारी अनुभव करते हैं। उसी के मध्य नजर श्री दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र पुष्पगिरी के प्रणेता गाणाचार्य ‌श्री 108 पुष्पदंत सागर जी के शिष्य आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज ससंघ के 2024 के चातुर्मास को लेकर बंगाईगांव जैन समाज द्वारा विगत रविवार दोपहर को आयोजित विशेष धर्मसभा में काफी भक्तों की उपस्थिति देखी गई, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में स्थानीय समाज सहित काफी संख्या में कोलकाता, बरपेटा, नलबाड़ी, दिसपुर, धुबड़ी सहित विभिन्न स्थानों से पधारे श्रावक गण मौजूद थे। कोलकाता नगर में चातुर्मास कराने हेतु कोलकाता से पधारी आचार्य श्री के भक्तों की टीम ने बहुत ही भक्ति भाव व विनय पूर्वक आचार्य श्री के श्री चरणों में श्री फल अर्पित कर 2024 का चातुर्मास कोलकाता नगर में करने का निवेदन किया‌ तो वहीं दूसरी ओर सभा में उपस्थित बरपेटा, नलबाड़ी, दिसपुर आदि सभी समाजों ने आचार्य श्री ससंघ का दर्शन लाभ लेते हुए पूर्वोत्तर में कुछ दिन और धर्म प्रभावना करने का निवेदन किया। बंगाईगांव समाज ने आचार्य श्री ससंघ को भगवान आदिनाथ एवं भगवान महावीर स्वामी जन्म कल्याण महोत्सव में संघ का सान्निध्य प्रदान करने का निवेदन किया। यद्यपि आचार्य श्री ने अगला चातुर्मास किसकी झोली में जाएगा, इस बात का खुलासा नहीं किया लेकिन उन्होंने संघ की ही कुछ आर्यिका माताओं को पूर्वोत्तर की धरती पर धर्म प्रभावना हेतु छोड़ कर जाने की बात कही। साथ ही आचार्य श्री ने कोलकाता से आये भक्तों की टीम को अपने गुरु गणाचार्य 108 श्री पुष्पदंत सागरजी महाराज से चातुर्मास हेतु अनुमति लेकर आने की बात कही । यह दोनों बातें आचार्य श्री के 2024 का चातुर्मास कोलकाता में होने का स्पष्ट संकेत दे रही हैं। उम्मीद है आचार्य श्री के अगले चातुर्मास को लेकर जारी असमंजस की स्थिति अगले रविवार तक साफ हो जाएगी।
महावीर जैन ”हाथी गोला” अध्यक्ष ✍🏻
बीरेंद्र कुमार सरावगी मंत्री श्री दिगम्बर जैन पंचायत, गुवाहाटी (असम)

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