सनावद के णमोकार धाम में भक्ति भाव से मनाया गया आदिनाथ भगवान का जन्म कल्याण पर्व
सनावद ! जैन धर्म के संस्थापक व प्रथम तीर्थंकर आराध्य श्री 1008 आदिनाथ भगवान का जन्म एवम तप कल्याणक महोत्सव मनाया गया।
सन्मति जैन काका ने बताया की भगवान आदिनाथ के जन्म कल्याण के अवसर पर आदिनाथ जिनालय में प्रातः श्री जी का अभिषेक किया गया तत पश्चात शान्ति धारा एवम भगवान का पूजन किया गया पश्चात कुंडल पुर वाले बड़े बाबा का मंडल विधान किया गया एवम रात्री में भगवान की संगीतमय भक्ति व 48 दीपों से भक्तामर जी की आराधना सनावद की स्थानीय भजन मंडलियों द्वारा किया गया।
वही बड़े मंदिर जी मे प्रातः आदिंनाथ भगवान का पंचामृत अभिषेक किया गया वही णमोकार धाम में भक्तों के द्वारा वृहद स्तर पर आदिनाथ भगवान का पंचामृत अभिषेक एवम पूजन किया गया।
जैसे की सभी को ज्ञात है की जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का जन्म चैत्र कृष्ण नौवीं के दिन सूर्योदय के समय हुआ। उन्हें ऋषभदेव जी, ऋषभनाथ भी कहा जाता है। ऋषभदेव आदिनाथ भगवान का जन्म युग के आदि में राजा नाभिराय जी के यहां पर माता मरूदेवी की कोख में हुआ था। उन्हें जन्म से ही सम्पूर्ण शास्त्रों का ज्ञान था। वे समस्त कलाओं के ज्ञाता और सरस्वती के स्वामी थे।
जैन पंथ में 24 तीर्थंकर हुए हैं, जिनमें सबसे पहले आदिनाथ भगवान हैं, ये राजा हुआ करते थे, लेकिन एक घटना के बाद इनका ह्रदय परिवर्तन हुआ और वैराग्य धारण कर इन्होंने जैन पंथ को अतिसार कर लिया। भगवान आदिनाथ ने विश्वशांति के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया। इस अवसर पर सभी समाजजनों ने उपस्थित होकर अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाई।
सनावद णमोकार धाम में श्री जी के अभिषेक करते हुए श्रद्धालुजन। विपिन जैन ✍🏻