इन्दौर सामाजिक संसद और हम सब ~ प्रदीप बड़जात्या (पुलक जन चेतना मंच)

इंदौर! ( देवपुरी वंदना ) इंदौर जैन समाज महान था, महान है और महान रहेगा। 100 में से 100 नम्बर किसी को नही मिलते। इंदौर जैन समाज में 13 पंथ था, है और रहेगा। 20 पंथ था, है और रहेगा पर पंथ वाद सबका अपनी क्रियाओं तक है। बाकी सब जगह सब एक है और रहेंगे। इंदौर में सन्त वाद है, पंथ वाद है, मुमुक्ष है पर सब अपनी मान्यताओं तक है बाकी हर जगह एक है।

इंदौर में जैन समाज मे उधोगपति है, व्यापारी है, नोकरी पेशा है, अमीर है, मध्यमवर्गीय है, गरीब है और गरीबी रेखा के नीचे भी है पर सबकी व्यवस्था अपनी अपनी है। समाज स्तर पर सब का अपना महत्व है, सबकी अपनी गरिमा है कोई भेद भाव नही है।

इंदौर में युवाओं कि अपनी संस्था है, महिलाओं की अपनी अपनी संस्था है, सीनियर सिटीजन की अपनी टीम है पर सब एक दूसरे के पूरक है। सब एक दूसरे का सम्मान करते है। इंदौर में अनेक जैन समाज की संस्थाओं का समावेश है, सब अपना अपना काम अपने एजेंडा अनुसार काम करते है। कोई किसी की भी प्रकार की राजनीति नही है, सभी एक दूसरे का सम्मान करते है, एक दूसरे को अपने आयोजनों में आमन्त्रित भी करते है।

इंदौर में करीब करीब सभी राष्ट्रीय संस्थाए है और सभी के प्रमुख राष्ट्रीय पदाधिकारी इंदौर के है और सब एक दूसरे का सम्मान करते है।

इंदौर में समाज के सभी पर्व एकता और धूम धाम से मनाए जाते है जैसे महावीर जन्मकल्याणक, पर्युषण पर्व, क्षमा वाणी अन्य भी सभी आयोजन और पूरा समाज इकट्ठा होता है। प्रेम से मिलते है, सब एक दूसरे का सम्मान करते है, महावीर जन्मकल्याणक में शोभायात्रा के बाद दो जगह भोजन की व्यवस्था रहती है। दोनो जगह अलग अलग कार्यक्रम आयोजित होते है। इतना बड़ा समाज होता है, समय और जगह कम होती है, जिसको जहाँ जाना होता है सुविधा होती है। वो वहाँ चले जाता है कोई नही कहता है कि वहाँ मत जाना, यहाँ आना। सभी सुव्यवस्थित चलता है और बहुत ही आनन्द और उल्लास के साथ त्योहार मनता है।

क्षमावाणी पर सब बिना मन भेद के सब एक जगह कलश देखते है और निर्विकार भाव से एक दूसरे से गले मिलते है और क्षमा मांगते है वो भी बिना गलती किए भी, इन्दौर में सभी पंथों के साधुसंतों, आर्यिका माताजीओ का आना जाना, पंचकल्याणक करवाना, चातुर्मास होना सब होते है पूरा समाज एक होकर सभी पंथों के साधु साध्वियों का आदर सम्मान करते है और हर आयोजनों में बिना भेद भाव के शामिल होते है।

इन्दौर में साधर्मी जरूरत मन्द परिवारों को बच्चों को राशन, शिक्षा, चिकित्सा, आवास, हर तरह की समस्याओं के लिए दानवीरों उद्योगपति, संस्थाओ, कार्यकर्ताओ द्वारा हर तरह की मदद बिना किसी भेद भाव से की जाती है।

कोरोना काल मे या अन्य समय कभी भी कोई भी साधर्मी अकाल मौत के काल में नही गया। हर तरह की मदद और सहयोग साधर्मी को मिलता है। इन्दौर ने आदरणीय देवकुमार सिंह कासलीवाल जी, श्री पदमश्री बाबूलाल जी पाटौदी जी, मिश्रीलाल जी गंगवाल, श्री प्रकाश जी सेठी जैसे राष्ट्रीय हस्तियो के साथ अपना स्तर बनाया है। इन्दौर में बड़े बड़े प्रशासनिक अधिकारी जैन है, कई त्यागी व्रती इन्दौर शहर से है, इन्दौर जैन समाज में क्या नही है और क्या नही था।

इंदौर में अनेक उपजातियां है जैसे परवार, खण्डेलवाल, नरसिंगपूरा, गोलालारी, गोलापुरा, जैसवाल, पोरवाल, पद्मावती, हुमड, आदि पर सब की उपजाति पर एक नाम है, पहचान है, सब एक है सब जैन है। यहाँ तक कि इंदौर में श्वेताम्बर और दिगम्बर भी मत से अलग अलग है पर मन से सभी जैन है सभी एक दूसरे के साधु-संतों का, पूजा पाठ का, धार्मिक आयोजनों का पूरा पूरा सम्मान करते है। कुल मिलाकर इंदौर जैन समाज की बहुत सारी विशेषताओं के बीच दो सामाजिक संसद का विषय कोई बड़ा या टेंशन का मुद्दा नही है। वक्त आएगा तो एक अध्य्क्ष हो जाएंगे और नही भी होते है तो सब को अपना अपना कार्य करने देवे। इस विषय को तूल नही देवे ऐसी मेरी सोच है और सबके लिए ठीक है। एक घर मे दो भाई के विचार मत एक नही होते है पर मन भेद नही होते है एक दूसरे के सुख दुःख में सब शामिल है।

अब एक अध्य्क्ष वाले मुद्दे को कुछ समय के लिए विराम देकर भाई चारा जो बना हुआ है सदा बना रहे इस पर ही ध्यान रखना चाहिए हम बहुत छोटे है आप सभी समाज श्रेष्ठीयों के सामने नादान हु अनुभवहीन है फिर भी मन की बात लिख दी है गलत ओर बुरा लगे तो हमे क्षमा कीजियेगा।

 

~ प्रदीप जैन बड़जात्या, इंदौर ✍🏻

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