बुंदेलखंड के प्रथमाचार्य विराग सिंधु गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी गुरुदेव का समाधि मरण

(जतारा महाराष्ट्र‌) ! भारत वर्ष की पावन भूमि सदैव नर रत्नों की जन्म दात्री रही है, जहाँ पर तीर्थंकरों, यतिवरो तथा महापुरुषों ने जन्म लेकर पुरुषार्थ द्वारा, त्याग, तपस्या के माध्यम से अपना आत्म कल्याण किया। इस श्रंखला में आचार्य श्री विराग सागर जी ने जन्म लेकर इस वसुंधरा को गोरवान्वित किया। मध्य क्षेत्र के पथरिया दमोह जिला, म.प्र. नगर में जब सूर्य उच्च शशि पथ पर भ्रमण कर रहा था तब 2 मई 1963 के दिन श्रावक श्रेष्ठ श्री कपूर चंद जी तथा माँ श्यामा देवी के घर यह युग की महान विभूति का अवतरण हुआ, जिसका नाम रखा गया ‘अरविन्द’

बाल अरविन्द जी ने कक्षा पांचवी तक की मौलिक शिक्षा ग्राम पथरिया में ही प्राप्त की और आगे की पढाई करने हेतु सन 1974 में ग्यारह वर्ष की आयु में अपने माता पिता से दूर कटनी आये। वहां पर श्री शांति निकेतन दिग. जैन संस्था में 6 वर्ष तक धार्मिक तथा लोकिक शिक्षा ग्रहण की। लोकिक शिक्षा ग्यारहवीं तक पूर्ण की। साथ में शास्त्री की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। इस छह वर्ष की कालावधी में अनेक साधू -संतों का समागम प्राप्त हुआ, जो भावी जीवन की नीव डालने में साधनभूत हुआ।

-: संक्षिप्त जानकारी :-

पूर्व नाम :- श्री अरविन्द जैन

पिता :- श्री कपूरचंद जी जैन (समाधिस्थ : मुनि विश्ववंध सागर जी महाराज)

माता :- श्रीमती श्यामादेवी जैन (समाधिस्थ : आ. विशांत श्री माताजी)

जन्म :- 2.5.1963, गुरुवार ( वैशाख सुदी 9 वि.सं 2020)

जन्म स्थान :- पथरिया (म.प्र.)

बहन :- श्रीमती मीना जैन, श्रीमती विमला जैन

भाई :- श्री विजय कुमार, श्री सुरेंद्र कुमार, बा.ब्र श्री नरेंद्र भैयाजी

लौकिक शिक्षा :- इण्टर, मध्यमा (पथरिया, श्री शांतिनिकेतन, दि.जैन संस्कृत विद्यालय, कटनी)

विवाह :- बाल ब्रह्मचारी

क्षुल्लक दीक्षा :- 20.2.1980, (फाल्गुन शु. 5 वि. सं. 2036)

क्षुल्लक दीक्षा स्थान :- बुढ़ार, शहडोल

नाम :- पूज्य क्षुल्लक श्री 105 पूर्ण सागर जी

क्षुल्लक दीक्षा गुरु :- प.पू.तपस्वी सम्राट आचार्य श्री 108 सन्मति सागर जी

मुनि दीक्षा :- 9.12.1983,(मंगसर शु. 5 वि.सं.2040)

मुनि दीक्षा स्थान :- औरंगाबाद

नाम :- प. पु. मुनि श्री 108 विरागसागर जी

मुनि दीक्षा गुरु :- प. पु. आ.श्री 108 विमल सागर जी

आचार्य पद :- 8.11.1992, द्रोणगिरि (कार्तिक शु.13 वि.सं.2049)

आचार्यपद :- द्रोणगिरि जी में

आपने लगभग 360 जैनेश्वरी दीक्षाएं दी है।

श्रमण परंपरा के रक्षार्थ गणाचार्य गुरुवार का आज 4 जुलाई 2024 को प्रातः 2.30 से 3 बजे के मध्य जालना (महाराष्ट्र) शहर के नजदीक देवमूर्ति ग्राम, सिंदखेड़ राजा रोड पर समाधि हुई।

उनका अंतिम डोला सुबह 11 बजे अक्षय मंगल कार्यलय, देवमूर्ति ग्राम, सिंदखेड राजा रोड जालना से 1 किलोमीटर दूरी पर पाटनी फार्म परिसर देव मूर्ति ग्राम में होगा।

गुरुदेव के चरणों में शत-शत त्रिबार नमोस्तु, नमोस्तु, नमोस्तु

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