जैन समुदाय को वक्फ बोर्ड के खिलाफ खड़ा होना चाहिए – अब चुप्पी तोड़ने का वक्त आ गया है !
इंदौर ! (देवपुरी वंदना)
भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की
रक्षा और सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने के लिए जैन समुदाय को एक बड़े मोर्चे पर उतरने की ज़रूरत है। वक्फ बोर्ड द्वारा लगातार किए जा रहे संपत्तियों और धार्मिक स्थलों पर दावा एक ऐसा मुद्दा है, जिसे अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह केवल जैन धर्मस्थलों पर ही नहीं, बल्कि जैन समुदाय की अस्मिता, अधिकारों और उनकी सांस्कृतिक धरोहर पर सीधा हमला है। क्या जैन समुदाय इसे सहन करेगा ? नहीं!अब समय आ गया है कि जैन समुदाय खुलकर वक्फ बोर्ड के खिलाफ आवाज उठाए और इस मुद्दे पर एक निर्णायक लड़ाई लड़े।
वक्फ बोर्ड का बढ़ता दखल – धार्मिक संपत्तियों पर दावा ?
जैन मंदिरों और संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड का दावा पूरी तरह से अनुचित और गैरकानूनी है। जैन धर्म के पूजा स्थलों पर किसी अन्य बोर्ड का अधिकार कैसे हो सकता है? यह न केवल जैन धर्मस्थलों पर, बल्कि उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा आघात है। धर्मनिरपेक्ष भारत में इस तरह की आक्रामकता की कोई जगह नहीं है। जैन समुदाय को इस तरह के किसी भी दावे का सख्ती से विरोध करना चाहिए।
धरोहर की रक्षा का समय है आपकी संपत्ति पर हमला!
वक्फ बोर्ड द्वारा जैन धर्मस्थलों पर कब्ज़े का दावा सिर्फ धार्मिक स्थल तक सीमित नहीं है; यह जैन समुदाय की हजारों वर्षों से चली आ रही सांस्कृतिक धरोहर और पहचान को मिटाने की साजिश का हिस्सा है ! क्या आप अपनी विरासत को इस तरह मिटते हुए देख सकते हैं?जैन समाज को अपनी संपत्ति और धरोहर की सुरक्षा के लिए संगठित होकर खड़ा होना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह के दावों से बचा जा सके।
धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन – यह सिर्फ शुरुआत है
अगर आज जैन समुदाय इस मुद्दे पर चुप रहा, तो यह सिर्फ एक शुरुआत होगी। भविष्य में अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को भी इसी तरह के हमलों का सामना करना पड़ सकता है। यह केवल जैन धर्म की बात नहीं है, यह पूरे देश की धार्मिक स्वतंत्रता का सवाल है। जो आज चुप रहेगा, उसे कल अपने अधिकार खोने पड़ेंगे!
राजनीति के पर्दे के पीछे वक्फ बोर्ड का एजेंडा ?
वक्फ बोर्ड के दावों के पीछे राजनीतिक मकसद साफ नजर आता है जिस तरह से वक्फ बोर्ड को सत्ता का संरक्षण मिल रहा है, उससे यह साफ हो जाता है कि यह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक खेल है। इसका असली मकसद शांतिप्रिय समुदायों, जैसे जैन समाज, को कमजोर करना और उनकी संपत्तियों पर कब्जा करना है। जैन समुदाय को इस राजनीति का पर्दाफाश करना होगा और इसके खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
वोट की ताकत का इस्तेमाल करें –: सही विकल्प चुनें :-
वक्फ बोर्ड और उसकी विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ जैन समुदाय को अपनी वोट की ताकत का इस्तेमाल करना होगा। जो भी नेता या पार्टी वक्फ बोर्ड के इस विस्तारवाद का समर्थन कर रही है, उनके खिलाफ वोट करें। आपका वोट ही आपका सबसे बड़ा हथियार है – इसे सही दिशा में इस्तेमाल करें।
सरकार से सीधे सवाल पूछें
यह भी समय है कि जैन समुदाय सरकार से सीधे सवाल करे। क्यों वक्फ बोर्ड को इतना अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी धार्मिक स्थल पर दावा ठोक सके? क्यों सरकार जैन समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर रही है? जैन समुदाय को इन सवालों पर सरकार से जवाब मांगना चाहिए और इसे एक राष्ट्रीय मुद्दा बनाना चाहिए।
निष्कर्ष: अब वक्त है खड़े होने का अब वक्त आ गया है कि जैन समुदाय वक्फ बोर्ड के खिलाफ सशक्त रूप से खड़ा हो और अपने अधिकारों और धरोहर की रक्षा के लिए लड़ाई लड़े। यह सिर्फ आपकी संपत्ति का सवाल नहीं है, यह आपकी धार्मिक स्वतंत्रता, अस्मिता और पहचान का सवाल है। आपका वोट, आपकी आवाज़ – इसे बुलंद करें और इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों!
प्रबल जैन–