अन्तर्मना तपाचार्य श्री 108 प्रसन्नसागर जी महामुनिराज ने आहार में आजीवन सभी फलों के रसों के त्याग की घोषणा की

हैदराबाद ! ( देवपुरी वंदना ) तेलंगाना जैन समाज के लिए यह बहुत ही खुशी का मौका चल रहा है! क्यों कि एक लंबे अंतराल के बाद तेलंगाना में फिर से पूरे चार माह (104) दिन अध्यात्म की गंगा बह रही है।और इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बन‌ रहा तेलंगाना का एकमात्र अतिशय क्षेत्र पार्श्वनाथ कुलचारम जो कि हैदराबाद से 80 कि.मी. है। कुलचारम कमेटी के कार्यकारिणी सदस्य महावीर चांदवाड ने बताया कि तेलंगाना की धरा पर पहली बार साधना महोदधि, उत्कृष्ट सिंहनिष्क़ीडित ब्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज के संघ सानिध्य अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर महाराज के संघ सानिध्य अपने ससंघ मे 19 साधु – साध्वियों के साथ भव्य प्रवेश हुआ जिसमे केवल जैन समाज ही नहीं बल्कि दूसरे समुदाय भी बहुत उत्साहित था ।
सभी को विदित है कि अंतर्मना तपा चार्य श्री 108 प्रसन्न सागरजी अपनी कठोर तपस्या और साधना के लिए जाने जाते हैं और देश भर के जैन श्रृद्धालुओं में बहुत ही लोकप्रिय और पूज्यनीय हैं।
श्री 1008 विघ्नहर पार्श्वनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र, कुलचारम, जिला-मेडक (तेलंगाना) श्री विघ्न-हरनेश्वर पार्श्व दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र या “चमत्कार का स्थान” 23 वें तीर्थंकर को समर्पित एक तीर्थ है। इस मूर्ति ने चमत्कारी परिणाम दिखाए हैं और माना जाता है कि विघ्न-हरण पार्श्व के दर्शन से सांसारिक चिंताएँ कम होती हैं और मनोवांछित फल की पूर्ति होती है। पार्श्व की मुख्य मूर्ति काले पत्थर से बनी है, जिसकी ऊँचाई 11 फीट और 3 इंच है, और यह खड़ी मुद्रा में है, जिसके ऊपर सात सर्पों के फन हैं और यह 9वीं शताब्दी की है। अभिषेक का जल सभी फन से बहता है और फिर सिर और कंधों से होता हुआ पैरों तक आता है। दूध से अभिषेक का दृश्य मोतियों की धारा जैसा दिखता है। आचार्य श्री द्वारा 33 दिवसीय ”मुरजमध्य व्रत” किये जा चुके हैं ! गुरुदेव ने आजीवन फलों के रसों का त्याग किया है!

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