इंदौर दिगंबर जैन समाज और क्षमावाणी का महापर्व..

इंदौर ! (देवपुरी वंदना) नाम, पद, और महत्वाकांक्षा और वर्चस्व की लड़ाई इंदौर दिगंबर जैन समाज को और क्या-क्या दिखाएगा यह तो वक्त ही बताएगा यह बात मजाक में लेकर नजर अंदाज करने की नहीं रही अब तो खेल इस पार या उस पार का होकर ही विजेता की घोषणा करेगा क्योंकि इस वर्चस्व की लड़ाई में श्रमण परंपरा और श्रावक परंपरा के बीच अपने स्वार्थ की रोटी सेकने वाले सक्रिय है ! हम हमारे संस्कार, संस्कृति, वंश परंपरा कुल गोत्र को भूलकर केवल नाम, पद, अहम, महत्वाकांक्षा और वर्चस्व को दिखाने के चक्कर में हमारे आराध्य भगवान की अव्हेलना करते हुए क्रिया पद्धति को भी ताक में रख दी जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण इंदौर शहर में विगत दिवस हुए क्षमावाणी महापर्व तो है ही बस दु:ख तो इस बात का है कि पुरानी संस्था में अपने वर्चस्व की लड़ाई के चलते इंदौर शहर के कुछ धार्मिक समाज सेवको ने वर्ष – 2024 के चातुर्मास के लिए धर्म प्रभावना समिति बनाकर शहर में ऐतिहासिक अविस्मरणीय धर्म की प्रभावना करते हुए इंदौर जैन समाज के श्रावक – श्राविकाओं को बहुत लाभ दिलाया मंगल प्रवेश से लेकर चातुर्मास कलश स्थापना तक तो बहुत अच्छा रहा मगर असली रंग पर्यूषण महापर्व पर दिखाई दिया जिससे इंदौर जैन समाज ही नहीं संपूर्ण देश का जैन समाज अनभिज्ञ नहीं रहा क्या मुनि श्री108 पर प्रमाण सागर जी इंदौर में ही विराजमान रहेंगे ?
क्योंकि समाज की सुविधा व व्यवस्था के बतौर एक अस्थाई स्थान देखना पड़ता है धर्म प्रभावना समिति ने भी इंदौर शहर की सबसे अच्छी जगह मोहता भवन जंजीर वाला चौराहा चुना जिसके लिए वह साधुवाद के पात्र हैं ।
मगर इंदौर जैन समाज को जब पता चला कि ऐतिहासिक पौराणिक तीर्थ स्थल गोमटगीरी जहां पर कई वर्षों से क्षमावाणी पर्व के पश्चात के पहले रविवार को सामूहिक रूप से श्री जी के कलशाभिषेक के बाद खुशनुमा माहौल में कभी एक दूसरे से अपनी गलतियों की सुधार के लिए क्षमावाणी पर्व मनाते आ रहे हैं ! फिर इस वर्ष क्या हुआ कि श्री दिगंबर जैन बाहुबली ट्रस्ट गोमटगिरी अपनी वर्षों पुरानी संस्कृति को भूल गया ? क्या वह भी महत्वाकांक्षियों के दबाव में आकर अपनी आस्था, श्रद्धा, भक्ति में संशोधन कर गया ?
सभी जानते हैं कि गोमटगिरी तीर्थ को रचाने – बसाने में इंदौर शहर की शान श्रद्धैय ‘बा’ श्री बाबूलाल जी पाटोदी की विशेष माहिती भूमिका रही है क्योंकि उन्हें के प्रयासों से इंदौर दिगंबर जैन समाज ही नहीं संपूर्ण देश को ऐतिहासिक धरोहर प्राप्त हुई है ! मगर अभी हुए घटनाक्रम को नजरअंदाज न करते हुए! ट्रस्ट कमेटी से बस एक ही प्रश्न है कि आप अपने दायित्वों को भूलकर किसके दबाव में आकर अपने दूसरों के हितों के लिए यह आश्चर्यजनक निर्णय लिया कि गोमटगीरी पर होने वाले
कलशाभिषेक के आयोजन को आगे बढ़ाना पड़ा ? क्या हुआ हमारे श्रद्धैय ‘बा’ पटौदी जी की श्रद्धा, भक्ति, आस्था, को भुला दिया ? जिम्मेदार कौन..?

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