दिगंबर जैन समाज मौन श्वेतांबर महाराज द्वारा भगवान महावीर के जीवन चरित्र के साथ खिलवाड़ क्यों
इंदौर ! ( देवपुरी वंदना ) आज हम हमारे भगवान श्री 1008 महावीर स्वामी जी के 2550 वें निर्वाण महोत्सव को अनेकों रूप से जिसमें हम बाल वर्ग से लेकर सभी ग्रुपों के श्रावक – श्राविकाओं के साथ मना रहे हैं
मगर जिन आराध्य भगवान को हम मानते हैं हम उनकी एक भी बात मानने को तैयार नहीं है !जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण महाराष्ट्र सरकार और श्वेतांबर संप्रदाय मिलकर दिगंबर जैन संप्रदाय के साथ अन्याय कर रहा है और वह भी आराध्य भगवान श्री महावीर स्वामी जी के चरित्र चित्रण के साथ खिलवाड़ ? अगर श्वेतांबर संप्रदाय के ग्रंथ या पुरानी किताबों में महावीर भगवान के चरित्र चित्रण में कुछ अलग लिखा है तो वह जैन समाज ना लिखते हुए श्वेतांबर संप्रदाय का उल्लेख कर भगवान के स्वरूप को किसी भी तरह से दिखा सकते हैं ! जब आप भी भगवान महावीर का 2550 वा निर्वाण महोत्सव मना रहे हैं तो यह निश्चित है कि भगवान महावीर सृष्टि में एक ही होंगे! फिर चरित्र चित्रण में अंतर क्यों ?
अभी हाल फिलहाल में श्वेतांबर समाज के संत आचार्य श्रीमद् विजय योग तिलक योग सुरीश्वर महाराज द्वारा “अध्यात्मा चे एवरेस्ट भगवान महावीर”
नामक एक पुस्तक में
कैश लोंचन व सब वस्त्र त्याग कर दीक्षा लेने पर महावीर स्वामी दिगंबर नहीं हुए उनके कंधे पर वस्त्र रख दिया महावीर स्वामी की कानों से छड खींची और वे दर्द से चीख पड़े
महावीर स्वामी ने वैराग्य लेने से पहले नहाना छोड़ दिया, सिर्फ हाथ पैर धोते थे महावीर स्वामी ने शादी भी कर ली, एक बेटी भी हो गई ऐसा बहुत कुछ पढ़ाया जा रहा निबंध प्रतियोगिता के नाम पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक करोड़ पचास लाख रुपए बच्चों को इनाम के बहाने
गजब तो इससे ज्यादा तब है , जब आप सब चुप हें,,, गलत को भी गलत कहने की हिम्मत नहीं और हम मना रहे महावीर स्वामी का 2550 वां निर्वाण महोत्सव वर्ष क्या दिगंबर जैन श्रमण परंपरा और श्रावक – श्राविका श्वेतांबर समाज या महाराष्ट्र सरकार द्वारा फैलाई जा रही इस भ्रामक जानकारी से वह चुपचाप रहेगी या कोई कदम उठाएगी!