कौन बनेगा मध्य प्रदेश जैन कल्याण बोर्ड का पहला अध्यक्ष

( दिगंबर या श्वेतांबर ..? इंदौर, उज्जैन, सागर, जबलपुर, रतलाम से या अन्य … )

इंदौर ! ( देवपुरी वंदना ) बड़े ही प्रसन्नता का विषय है कि मध्य प्रदेश में भी जैन समाज मे आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, व्यवसायिक व हमारे तीर्थ और श्रमण परंपरा के संरक्षण, संवर्धन के विकास की गति को और प्रोत्साहित करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा बहुत समय से चल रही जैन समाज की मांग को मानते हुए (कैबिनेट) मंत्री परिषद की बैठक के निर्णय के बाद मध्य प्रदेश में भी जैन कल्याण बोर्ड का गठन करने की घोषणा की यह जैन समाज के लिए बहुत ही सु:खद एवं गौरवान्वित क्षण है मगर सभी को विदित है कि ऐतिहासिक पौराणिक प्राचीन परंपरा से ही जैन समाज ही सर्वाधिक शैक्षणिक, राजनैतिक, व्यवसायिक, व्यवहारिक, मानसिकता, सकारात्मक सोच व इत्यादि सभी योग्यताओं में सर्वाधिक श्रेष्ठ रहता है व रहा है ! जैन समाज संपूर्ण विश्व में सबसे ज्यादा करदाता रहा है जिससे राष्ट्र की हर योजना में सहयोग मिलता रहा है !
एक अध्यक्ष व दो सदस्य जैन कल्याण बोर्ड में रहेंगे मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री द्वारा मंत्री परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय अनुसार जैन कल्याण बोर्ड में 2 वर्ष के लिए दिगंबर जैन व पुनः 2 वर्ष के लिए श्वेतांबर बंधु का कार्यकाल निश्चय किया है अब देखना यह है कि प्रथम 2 वर्ष के लिए कौन अध्यक्ष पहले बनता है श्वेतांबर या दिगंबर ? प्रायः देखा जाए तो मध्य प्रदेश में सर्वाधिक जैन बाहुल्य ‌शहर इंदौर ही आता है ! मगर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री उज्जैन शहर के निवासरत हैं वहां भी जैन समाज का अच्छा बोल – बाला है! सागर और जबलपुर शहर भी जैन बाहुल्य समाज राजनिति में अच्छी पेठ रखते हैं !
इंदौर शहर को भी भा.ज.पा. का गढ़ माना जाता है यहां पर भी विधायक से लेकर मंत्री तक की पहुंच में जैन समाज के साथी है!
अगर इंदौर शहर का जैन समाज जैन कल्याण बोर्ड में आगे आता है तो अशोक बड़जात्या, प्रकाश चंद्र भटेवरा, निर्मल कासलीवाल, कांतिलाल बम, दीपक जैन (टीनू जैन) पूर्व पार्षद भाजपा दल के सक्रिय पदाधिकारी , डी.के. जैन (दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी मध्यांचल के निकट दो वर्षों से अध्यक्ष शासन प्रशासन में भी अच्छी पकड़ है समाज सेवा में भी सक्रिय योगदान रहता है) वीरेंद्र जैन, नवीन गोधा, हंसराज जैन, आदि जैसे कर्मठ अपनी कार्य कुशलता से जैन कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद का निर्वहन करते हुए समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभाने मैं अपनी अहम भूमिका रख सकते हैं ! दूसरी ओर राजनैतिक गलियारों की आवाजाही से देखे तो अगर मुख्यमंत्री या मंत्री श्रमण परंपरा के आदेश के अनुसार जैन कल्याण बोर्ड की सुरक्षा की दृष्टि से देखे तो फिर अलग ही रुख नजर आएगा ! क्योंकि बंद कमरे में संतों के सानिध्य की चर्चा अलग ही हवा देती है ! इंदौर दिगंबर जैन समाज क्या मध्य प्रदेश जैन कल्याण बोर्ड में अपनी सहभागिता प्रथम अवसर में निभा पाएगा या यूं ही हाथ पर हाथ रख कर बैठा रह जाएगा ?
क्योंकि पिछले कई वर्षों से घटित हो रही घटना को देखते हुए इंदौर दिगंबर जैन समाज स्थाई तौर पर ही अपने स्वयं के अहम् नाम,पद, मंच,माला,की महत्वाकांक्षा से ऊपर नहीं उठ पाया तो राजनैतिक क्षेत्र में प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर पर कौन सी ऊंचाई प्राप्त कर सकता है यह एक विचारणीय प्रश्न नई युवा पीढ़ी के मन मै कौतुहल पैदा कर सकता है !

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