इंदौर में धर्म / धन प्रभावना समिति द्वारा रथावर्तन महोत्सव में शहर में विराजित अन्य संतो का समावेश क्यों नहीं ..?
इंदौर ! (देवपुरी वंदना) इंदौर दिगंबर जैन समाज में चातुर्मास (वर्षा योग) 2024 के लिए नवनिर्मित धर्म / धन प्रभावना समिति के अशोक दोषी, नवीन गोधा, डी.के. जैन, हर्ष जैन, राहुल जैन, गजेंद्र जैन (गिन्नी ग्रुप), व अन्य पदाधिकारी के अनुसार मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी के सानिध्य में हो रहे सिद्ध चक्र महामंडल विधान के तत्पश्चात 108 रथवर्तन इंदौर के इतिहास मे यह आयोजन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा ! जो कि गिनीज बुक, लिम्का बुक मे रिकॉर्ड होने वाले आयोजन में इंदौर शहर के लगभग 140 स्थानीय अन्य मंदिरों के समाज श्रेष्ठी वर्गों के साथ विभिन्न प्रांतो से आए सोने – चांदी – कांस्य व लकड़ी के रथो में लगभग 20 स्वर्ण के व 40 से 50 चांदी के रथो के साथ लोक नृत्यों की टोलिया, झांकी, बैंड बाजों 4 किलोमीटर के लगभग शोभायात्रा का मार्ग व्यस्त रहा मगर
इंदौर शहर में विराजित मुनि श्री 108 विनम्र सागर जी, आचार्य श्री108 कुमुद नंदी जी, मुनि श्री 108 पूज्य सागर जी, आचार्य श्री 108 विप्रणत सागरजी,आचार्य श्री 108 सिद्धांत सागर जी, आचार्य श्री 108 उदार सागर जी,मुनि श्री 108 सहज सागर जी ससंघ आदि के साथ आर्यिका माताजी का रथ यात्रा में समावेश नहीं रहा ? क्या वह दिगंबरत्व की पहचान नहीं है ? इसके पूर्व विधान में अजैन राजनेताओं को उनके कुर्ते – पजामे के ऊपर ही शौले के वस्त्र पहनाकर मुनि श्री के समक्ष उपस्थित किया ? क्या अन्य संत समिति की नजरों में जैन एकता, संस्कार, संस्कृति, परंपरा,अनुशासन से हटकर जैन समाज में कार्य कर रहे हैं ? जहां समिति के अनुमान द्वारा एक से डेढ़ लाख श्रावक – श्राविकाओं का आयोजन हुआ वही शहर में विराजित संतों का अपमान या अनादर करना उनकी किस प्रकार की मजबूरी रही यह तो वही मंथन कर सफाई या जवाब दे सकते हैं ! जहां इंदौर दिगंबर जैन समाज की नवनिर्मित समिति इतिहास रचने की कवायद में लगा रहा वहीं दूसरी ओर दर्शक – दीघा मे हो रही चर्चा की सुने तो सानिध्य दाता व नवरत्नों की योजना अनुरूप रथ वर्तन से गुणायतन के लिए लगभग 15 से 20 करोड़ रुपए एकत्रित करने का लक्ष्य साधा है!
खैर सब कुछ ठीक है अब देखना है इंदौर दिगंबर जैन समाज और धर्म / धन प्रभावना समिति मन में उठे प्रश्नों का क्या उत्तर देती है ! उत्तर के इंतजार में…