आओ पूर्व आचार्य श्री दर्शन सागरजी की उत्कृष्ट समाधि हेतु णमोकार मंत्र का जाप करें ….
इंदौर ! (देवपुरी वंदना) विधान सम्राट आचार्य श्री 108 दर्शन सागरजी महाराज (सुरेंद्र कुमार जैन) का जन्म 13 अगस्त 1947 को दिल्ली में हुआ। माताजी का नाम श्री मती रत्नमलाजी जैन और पिताजी का नाम श्री सूरज भानजी जैन था उन्होंने 21 फरवरी 1972 को तिजारा, राजस्थान में आचार्य श्री 108 निर्मल सागरजी महाराज से ब्रह्मचर्य व्रत लिया। व गुरुदेव से उन्होंने 9 अप्रैल 1972 को तिजारा, राजस्थान में क्षुल्लक दीक्षा प्राप्त की। 13 मार्च 1973 को उन्होंने बूँदी, जिला कोटा, राजस्थान में मुनि दीक्षा ली, जिसमें आचार्य श्री 108 निर्मल सागरजी महाराज उनके गुरु थे। 11 फरवरी 1994 को आगरा, उत्तर प्रदेश में आचार्य पद प्राप्त किया, जो आचार्य श्री 108 सुमति सागरजी महाराज द्वारा प्रदान किया गया। आचार्य श्री 108 दर्शन सागरजी महाराज की सरलता और सहजता के कारण समाज का हर वर्ग, हर सामाजिक प्राणी उनका विशेष परम भक्त बन जाता है। उनके गुणों की व्याख्या करने के लिए श्रद्धालुओं के पास शब्द ही नहीं होते हैं। आचार्य श्री दर्शन सागरजी महाराज को ऋषिरत्न, सन्मार्ग दिवाकर, विधान सम्राट, उपसर्ग विजेता जैसी उपाधियों से सम्मानित किया गया है। उनके योगदान में सुसनेर व त्रिमूर्ति मंदिर कालानी नगर, अंजनी नगर, इंदौर और नवग्रह मंदिर इंदौर के निर्माण की प्रेरणा देना, पिड़ावा में श्री 1008 पार्श्वनाथ जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव में सान्निध्य, सुसनेर में छात्रावास-गुरुकुल की स्थापना, और अनेक विधानों में सान्निध्य शामिल हैं। दर्शन सागरजी महाराज श्री को महाराज श्री 108 सुधा सागर जी आचार्य श्री108 प्रज्ञा सागर जी महाराज आचार्य श्री 108 सौभाग्य सागर जी दिल्ली , 108 आदित्य सागर जी का संबोधन प्राप्त हो गया है।
संपूर्ण जैन समाज इंदौर नगर पुरोहित पंडित नितिन झांझरी व समाज जन सुसनेर त्रिमूर्ति मंदिर में उनकी उत्कृष्ट समाधि की मंगल कामना कर रही है। आइए हम सभी णमोकार मंत्र का जाप करें।