“जैन पत्रकार सम्मेलन” कहीं विद्वान प्रवक्ता सम्मेलन बनकर ही नहीं रह जाए ….
इंदौर ! (देवपुरी वंदना) दिगंबर जैन समाज की एकमात्र 125 वर्षों से बिना किसी विभाजन के
हमारी आस्था, श्रद्धा, भक्ति, संस्कार, संस्कृति की पहचान व धर्म के पौराणिक प्राचीन तीर्थ क्षेत्रों के संरक्षण ,संवर्धन, विकास के लिए दिगंबर जैन समाज की न संत वाद न पंथ वाद न मतभेद न मन भेद रखते हुए देश के सभी प्रांतो में समय व आवश्यकता अनुरूप अपनी जिम्मेदारियों को पूर्ण करने वाली श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी पिछले कई वर्षों से जैन समाज का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार बंधुओ के साथ मिलकर कलम की ताकत को पहचानते हुए कलम करो की दूर दृष्टि, सोच, विचार व उनके अनुभवों के साथ अपनी शारीरिक आर्थिक ताकत से अपने क्षेत्र पर आर ही आपदाओं का निराकरण कर तीर्थ क्षेत्रों को सुरक्षित कर बिना भय के अपनी भक्ति भाव के साथ श्रावक – श्राविकाओं की मानसिक, शारीरिक, आर्थिक चिंता रहित करने का सतत प्रयास कर रही है ! खेर सबके साथ मिलकर सामाजिक हेतु कार्य करना भी एक बड़ी चुनौती सब बन गया है
जिसका अभी-अभी ताजा प्रत्यक्ष उदाहरण मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक नगरी चंदेरी में विगत 2-3 अप्रैल 2025 को हुए सम्मेलन मे सहभागिता करते हुए जैसा दिखा- जैसा सुना इस उसी आधार पर श्री भारत वर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी और सम्मेलन के मुख्य आयोजक शरद जी जैन (महालक्ष्मी चैनल) का बहुत-बहुत धन्यवाद है विगत कई वर्षों के अंतराल के बाद पुनः कलमकारों को अपना एक उचित स्थान देते हुए समाज के अच्छे कार्यों में योगदान देने का अवसर दिया एक सकारात्मक निवेदन है कि आगामी 16 -17 अगस्त 2025 रायपुर और 12 -13 अक्टूबर 2025 कोलकाता में होने वाले सम्मेलन को विद्वान प्रवक्ता सम्मेलन न बनाते हुए कलमकारों का सम्मेलन ही बनाएं !
कार्यशालाओं की आवश्यकता है !.::
भारत देश के प्रत्येक प्रांत के दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्रों के प्रभावी या प्रभावशाली संत -पंथ वाद, मत- मन भेद, नाम, पद की महत्वाकांक्षा से परे पदाधिकारीयों से लेकर सभी कर्मचारीयो की विषय वस्तु अनुसार पृथक-पृथक विभाग व समय अनुसार कार्यशालाओं का आयोजन रखा जाए क्योंकि कर्मचारियों में स्थानीय अजैन व्यक्ति ही कार्य करता है जिससे क्षेत्र की स्थानीय व्यवस्थाओं को ध्यान रखते हुए क्षेत्र पर आने – जाने वाले श्रावक -श्राविकाओ (यात्रियों ) व संतो के प्रति बिना किसी अनुचित आर्थिक दबाव के मान सम्मान जैसे सामान्य व्यवहार ज्ञान, शिष्टाचार, से किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचे ! जिससे क्षेत्र सिर्फ आर्थिक ही नहीं सभी व्यवस्थाओं में उन्नति कर सके !
एक जैन संपादक / पत्रकार को निकटतम तीर्थ क्षेत्र से अवश्य जोड़े ::
समस्त तीर्थ क्षेत्रों पर वार्षिक व अन्य गतिविधियों के प्रचार – प्रसार के लिए एक जैन पत्रकार को प्रचार- प्रसार विभाग में निर्धारित करें जिससे तीर्थ क्षेत्र की आवश्यक सकारात्मक गतिविधि ही समाज,और श्रावको तक पहुंचे न कि नकारात्मक अवांछित तथ्य तीर्थ क्षेत्रों से बाहर निकले क्योंकि कोई घटना होने पर क्षेत्र के पदाधिकारी अपने मोबाइल नहीं उठाते जिस के दुष्परिणाम से आप में से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है !