झुमरीतिलैया जैन समाज ने भक्तामर पर पी.एच.डी .प्राप्त प्रियंका जैन पांडया को किया सम्मानित

झुमरी तलैया ! ( देवपुरी वंदना) अमेरिका यूनिवर्सिटी के द्वारा‌ प्रियंका जैन ‌ पांडया को जैन समाज के महा काव्य भक्तामर स्तोत्र पर विशेष शोध और अध्ययन के लिए पी.एच.डी .की उपाधि से सम्मानित किया गया । इसी प्रसन्नता को ओर चार चांद ओर समाज ने अपने आप को गौरवान्वित मानते हुए । प्रियंका जैन के आवास स्थल पर जाकर निवर्तमान वार्ड पार्षद पिंकी जैन और समाज के पदाधिकारियों ने उनको फूलों का गुच्छा देकर सम्मानित किया पार्षद पिंकी जैन ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया और कहा कि कोडरमा जिले के लिए सम्मान की बात है धर्म के क्षेत्र में पीएचडी प्राप्त करना बहुत बड़ी बात है हम सभी आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं प्रियंका जैन पांडया जैन समाज,कोडरमा के उपाध्यक्ष प्रदीप जैन पांड्या- प्रेम पंड्या की पुत्री है मौके पर समाज के उप मंत्री राज छाबड़ा ,कोषाध्यक्ष सुरेंद्र जैन काला, पूर्व अध्यक्ष सुशील जैन छाबड़ा ,नरेंद्र झाझंरी सरोज जैन, जैन समाज के मीडिया प्रभारी नवीन जैन, राजकुमार जैन अजमेरा ने बधाई दी।
भक्तामर स्तोत्र के बारे में कई कहावते हैं। इसमें सबसे प्रसिद्ध किदवंती यह है कि आचार्य श्री108 मानतुंगजी को जब राजा भोज ने जेल में बंद करवा दिया था। और उस जेल के 48 दरवाजे थे जिन पर 48 मजबूत ताले लगे हुए थे। तब आचार्य मानतुंग ने भक्तामर स्तोत्र की रचना की तथा हर श्लोक की रचना ताला टूटता गया। इस तरह 48 शलोको पर 48 ताले टूट गए।
मानतुंग आचार्य 7वी शताब्दी में राजा भोज के काल में हुए है। मंत्र शक्ति में आस्था रखने वालो के लिए यह एक दिव्य स्तोत्र है। इसका नियमित पाठ करने से मन में शांति का अनुभव होता है व सुख समृद्धि व वैभव की प्राप्ति होती है। यह माना जाता है कि इस स्तोत्र में भक्ति भाव की इ तनी सर्वोच्चता है कि यदि आपने सच्चे मन से इसका पाठ किया तो आपको साक्षात ईश्वर की अनुभति होती है।
राजकुमार अजमेरा
(कोडरमा)
9304864773

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