विद्यार्थी वह जो, अपने कार्यों को कहकर नहीं, पूर्ण करके दिखाता है :- मुनि श्री 108 आदित्य सागर जी

इंदौर ! अच्छा विद्यार्थी वह होता है जो शांत रहकर अपना कार्य करता रहता है कार्य की पूर्णता, स्वयं ही शोर मचाती है। दुनिया को जवाब जीत के बारे में बोलकर नहीं बल्कि जीत कर देना चाहिए।
यह बात मुनि श्री 108आदित्य सागर जी‌ महाराज ने कुंदकुंद ज्ञानपीठ के अंतर्गत विश्व के आठवें आश्चर्य माने जाने वाले महान ग्रंथ ‘सिरि भूवलय” एवं प्राकृत भाषा के विकास के लिए आयोजित संगोष्ठी के दूसरे दिन, विद्वानों और शोधार्थियों के बीच, उदासीन आश्रम एमजी रोड इंदौर में कही।
उन्होंने कहा कि सीखने की उम्र नहीं, जुनून और जिद चाहिए।
वृक्ष कभी नहीं सोचता कि उसके सुंदर पुष्पों को कौन देखेगा? कौन उसका उपयोग करेगा? वह सिर्फ अपना कार्य करता है और दुनिया उसकी दीवानी हो जाती है।
कार्यक्रम में पधारे डॉक्टर केदारनारायण जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रकृति से जो उत्पन्न हो वह प्राकृत है। प्राकृत जन भाषा है विचार का दीपक तभी तक प्रज्वलित रहता है जब तक हम उस में आचार का पालन करते हैं।
दोपहर के सत्र के मुख्य अतिथि पंडित मिथिला प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षक वह होता है जो शास्त्रों को घोलकर पी ले।
जो दुख में कभी दुखी और सुख में कभी सुखी नहीं होता, वही साधु कहलाता है।
कुंदकुंद ट्रस्ट इंदौर द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में, शास्त्रों की पांडुलिपि एवं ताम्रपत्र लेखन का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में ट्रस्ट के अमित कासलीवाल, पुष्पा कासलीवाल, विमला कासलीवाल, इंजीनियर अनिल जैन, कुलपति रेनू जैन, नरेंद्र धाकड़, प्रोफेसर सरोज कुमार, डॉ शोभा जैन, अजीत जैन, दिलीप मेहता, आजाद जैन व अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
कार्यक्रम में देशभर से पधारे विद्वान एवं शोधार्थी मौजूद रहे सभी शोधार्थियों एवं विद्वानों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का ‌सफल संचालन डॉ संगीता मेहता एवं डॉ अरविंद जैन ने किया।

संजीव जैन संजीवनी

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