पडगाहन विधि नहीं मिलने से हुआ उपवास ,संयम भूषण चतुर्थ पट्टाचार्य श्री के खिले केसरी चरण चिन्ह ….
जयपुर ! राजस्थान की राजधानी व जैन समाज का हृदय स्थल जयपुर में वर्षायोगरत तपस्वी सम्राट गुरुवार 108 सन्मति सागर जी के बेमिसाल नंदन राष्ट्र गौरव चतुर्थ पट्टाचार्य 108 श्री सुनील सागर जी यतिराज दिनांक 14 अक्टूबर को भट्टारक जी की नसिया में दिगंबरत्व संस्कार – संस्कृति रक्षार्थ परंपरा का निर्वहन की क्रिया अनुरूप नित्य की भाति आहार चर्या हेतु निकले तो लगभग सभी चौकों तक तीन -चार भ्रमण में भी संकल्प ( पढगाहन ) विधि नहीं मिली,जिस पर आचार्य श्री मंदिर की तरफ जाने लगे लेकिन श्रावको के अत्यंत अनुरोध पर उन्होंने सम्पूर्ण चौकों तक एक बार और भ्रमण किया फिर भी विधि नहीं मिली। जिस वजह से आचार्य श्री का उपवास हुआ ।
और पूज्य गुरुदेव अत्यंत शांत,सहज रूप से अपने ध्यान कक्ष में सामयिक क्रिया में अग्रसर हो गए।
दोपहर की सामयिक के पश्चात आचार्य श्री जब अपने कक्ष से निकले तो जहां जहां उनके चरण पड़े वहा स्वतः केसरी चरण चिन्ह खिल उठे।
दिगंबर जैन तपस्वी संतो की ऐसी पवित्र साधना को देखकर समग्र जैन समाज के साथ-साथ समूचा जयपुर नतमस्तक है।
-शाह मधोक जैन चितरी
श्री सुनील सागर युवा संघ